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गणेश चतुर्थी की मूर्ति स्थापित से पहले जानें गणपति किस दिशा में होनी चाहिए सूंड

Ganesh Chaturthi 2022: आज से देशभर में गणेश उत्सव की शुरूआत हो रही है. इस अवसर पर लोग गणपति जी की मूर्ती अपने घर में स्थापित करते हैं. मान्यता है कि मुड़ी हुई सूंड के कारण ही इन्हें वर्कतुण्ड कहा जाता है. गणेश जी की बाईं सूंड चंद्रमा और दाईं ओर सूंड में सूर्य का प्रभाव होता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2022 7:01 AM

Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी का पर्व 31 अगस्त को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इससे कार्यों में सफलता मिलती है. इस अवसर पर लोग गणपति जी की मूर्ती अपने घर में स्थापित करते हैं. मान्यता है कि मुड़ी हुई सूंड के कारण ही इन्हें वर्कतुण्ड कहा जाता है. गणेश जी की बाईं सूंड चंद्रमा और दाईं ओर सूंड में सूर्य का प्रभाव होता है. जानते हैं गणेश चतुर्थी पर गणपति की मूर्ति स्थापित करते समय गणेश जी की सूंड किस ओर होनी चाहिए. साथ ही जानते हैं दाईं और बाईं किस ओर सूंड होने पर मिलता है शुभ फल.

किस दिशा में हो उनकी सूंड ?

सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्तियां गणेश जी के शरीर में ही विद्यमान है. जैसे – गणपति की सूंड पर धर्म विद्यमान है तथा कर्ण में ऋचाएं, दाएं हस्त वर, बाएं हस्त अन्न, नैनो में लक्ष्य, चरणों में सात लोक, कपाल में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है.

सुख और समृद्धि विघ्नहर्ता गणपति के दर्शन मात्र से आ जाती है. अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा स्थापना से पूर्व सवाल सामने आता है कि श्री गणेश की कौन सी सूंड होनी चाहिए यानी किस तरफ सूंड वाले श्री गणेश पूजनीय हैं? आइए जानें …..

किस तरफ की सूंड लाभदायी है ?

क्या कभी आपने ध्यान दिया है. भगवान गणेश की तस्वीरों और मूर्तियों में उनकी सूंड दाई या कुछ में बाई ओर होती है. सीधी सूंड वाले गणेश भगवान दुर्लभ हैं. इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है. भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप के भी कई भेद हैं. कुछ मुर्तियों में गणेश जी की सूंड को बाई तरफ घुमा हुआ दर्शाया जाता है. तो कुछ में दाई ओर घुमा दर्शाया जाता है.

गणेश जी की सभी मूर्तियां सीधी या उत्तर की ओर सूंड वाली होती हैं. मान्यता है कि गणेश जी की मूर्ति जब भी दक्षिण की ओर मुड़ी हुई बनाई जाती है. तो वह टूट जाती है. कहा जाता है यदि संयोगवश आपको दक्षिणावर्ती मूर्ति मिल जाए और उसकी विधिवत उपासना की जाए तो अभिष्ट फल मिलते हैं.

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