Ganesh Ji Ki Aarti: बुधवार के दिन पूजा के समय जरूर करें ये आरती, जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा…

Ganesh Ji Ki Aarti: बुधवार के दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ कोई व्यक्ति यदि भगवान गणेश की पूजा करता है, तो उसके जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं, इसलिए बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा जरूर करनी चाहिए.

By Radheshyam Kushwaha | November 22, 2023 6:45 AM
an image

Ganesh Ji Ki Aarti: हिंदू धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है. मान्यता है कि बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी कष्टों का अंत होता है. इनकी कृपा से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं. गणेश जी को मंगलकर्ता भी कहा जाता है. गणेश जी बुद्धि और ज्ञान के देवता है. ऐसा माना जाता है कि बुधवार के दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ कोई व्यक्ति यदि भगवान गणेश की पूजा करता है, तो उसके जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं, इसलिए बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा जरूर करनी चाहिए. इसके अलावा बुधवार को गणेश जी की आरती और चालीसा पढ़ने से भी जीवन में खुशियां आती हैं. इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. गणेश जी की पूजा करने के बाद आरती जरूर करनी चाहिए.

गणेश जी की आरती -1

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

गणेश जी की आरती -2

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा

रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना

सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को

दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को

हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को

महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी

विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी

कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी

गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे

संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

गणेश जी का मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥.

Exit mobile version