Ganesh ji ki Aarti: प्रतिमा विसर्जन से पहले जरूर करें गणपति बप्पा की ये आरती, घर में बनी रहेगी सुख-शांति
Ganesh Ji Ki Aarti: आज गणपति विसर्जन हो रहा है. ऐसे में बप्पा की प्रतिमा जल में विसर्जन से पहले विधि- विधान से उनकी आरती जरूर करनी चाहिए. गणेश जी की पूजा करने के बाद आरती जरूर करनी चाहिए.
Ganesh Visarjan 2022: आज गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जा रहा है. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी को सब अपने घर बुलाकर उनका स्वागत सत्कार करते हैं और दसवें दिन उनको भारी मं से विदाई देते हैं. आज के ही दिन अनंत चतुर्दशी भी मनाई जाती है. भगवान गणेश दुखों का नाश और संकट दूर करने वाले देवता माने गए हैं. इनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होती है. यह सभी के कष्टों को हर लेने वाले हैं. गणेश विसर्जन के दौरान भक्त पूरे जोर शोर से ढोल नगाड़ों के साथ श्री गणेश को विदा करते नजर आ रहे हैं. गणेश जी की पूजा के समय गणेश जी की आरती जरूर करनी चाहिए. गणेश जी की आरती करने पर वे प्रसन्न होते है. जिसकी वजह से हमेश घर में सुख-शांन्ति बनी रहती है.
गणेश जी की आरती-2
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
गणेश जी की आरती- 2
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव