गणेश जयंती आज, इस आरती के बिना अधूरी रह जाएगी गणपति बप्पा की पूजा

Ganesh Ji Ki Aarti: सनातन धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य देव के रूप में जाना जाता है, क्योंकि किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य में सबसे पहले गणेश जी को याद किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा करने से उस कार्य में कोई बाधा नहीं आती.

By Radheshyam Kushwaha | February 17, 2024 2:31 PM
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Ganesh Ji Ki Aarti: विनायक चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश जी को समर्पित है. आज गणेश जयंती है. गणेश जयंती माघ मास के शुक्ल चतुर्थी, तिलकुंड चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है, यह एक हिंदू त्योहार है, इस दिन ज्ञान के देवता गणेश का जन्म दिवस मनाया जाता है. यह एक लोकप्रिय त्योहार है. गणेश जयंती महाराष्ट्र में और गोवा में धूमधाम से मनाया जाता है. माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 फरवरी दिन मंगलवार यानी आज है. इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा और व्रत करने का विधान है. सनातन धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य देव के रूप में जाना जाता है, क्योंकि किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य में सबसे पहले गणेश जी को याद किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा करने से उस कार्य में कोई बाधा नहीं आती. हर महीने अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि भगवान गणेश जी की पूजा के बाद उनकी आरती नहीं करने पर पूजा अधूरी रह जाती है. भगवान गणेश जी की आरती इस प्रकार है-

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

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गणेश जी की आरती

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा

रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना

सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को

दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को

हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को

महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी

विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी

कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी

गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे

संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

गणेश जी का मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

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