हजारीबाग के चौपारण के गणेश को अपनों का नहीं मिला साथ, पत्नी और बच्चे भी फेरे मुंह, छोटे भाई ने दी मुखाग्नि
Jharkhand News (चौपारण, हजारीबाग) : झारखंड के हजारीबाग जिला अंतर्गत चौपारण स्थित दैहर पंचायत के कैरीपिपराही गांव के 44 वर्षीय गणेश भुइयां बीमारी से लाचार था. वहीं, पत्नी की हरकतों से तंग आकर बीमार गणेश ने डेढ़ महीने पहले थाना में आवेदन देकर खुद को बचाने की गुहार लगायी थी. लेकिन, गणेश की फरियाद किसी ने नहीं सुनी और आखिरकार उसका निधन हो गया. गणेश के निधन के बाद भी उसे पत्नी और बच्चों का साथ नहीं मिला. गांव के श्मशान घाट में छोटे भाई ने मुखाग्नि दिया.
Jharkhand News (अजय ठाकुर, चौपारण, हजारीबाग) : झारखंड के हजारीबाग जिला अंतर्गत चौपारण स्थित दैहर पंचायत के कैरीपिपराही गांव के 44 वर्षीय गणेश भुइयां बीमारी से लाचार था. वहीं, पत्नी की हरकतों से तंग आकर बीमार गणेश ने डेढ़ महीने पहले थाना में आवेदन देकर खुद को बचाने की गुहार लगायी थी. लेकिन, गणेश की फरियाद किसी ने नहीं सुनी और आखिरकार उसका निधन हो गया. गणेश के निधन के बाद भी उसे पत्नी और बच्चों का साथ नहीं मिला. गांव के श्मशान घाट में छोटे भाई ने मुखाग्नि दिया.
44 वर्षीय बीमारी से लाचार गणेश भुइयां पत्नी के साथ जंग गुरुवार को हार गया. उचित इलाज एवं संतुलित आहार नही मिलने के कारण उसकी मौत हो गयी. मरने के बाद भी उसके शव को पत्नी एवं बच्चों का साथ नही मिला. देर तक उसके आंगन में कफन के लिए गणेश का शव पड़ा रहा.
उसके बाद आगे आये आपदा मित्र ने 4000 रुपये सहयोग कर उसके शव को अंतिम संस्कार कराया. वहीं, उसके छोटे भाई न मुखाग्नि दिया. बताया गया कि बीमार पड़ने के बाद जब गणेश परिवार का बोझ उठाने में शारीरिक रूप से असमर्थ हो गया, तो उसकी पत्नी एवं बच्चे उनसे अपने आपको अलग कर लिया. इतना ही बीमार एवं शारीरिक रूप से कमजोर गणेश को घर वालों ने खाना-पीना देना भी बंद कर दिया था.
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थाना में डेढ़ माह पहले दिया था आवेदन
लाचार गणेश 18 अप्रैल, 2021 को पत्नी चिंता देवी के खिलाफ थाना में आवेदन दिया है. इस आवेदन में उन्होंने खुद को बचाने की गुहार लगायी थी. आवेदन में कहा था कि मैं लाचार बीमार आदमी हूं. मेरी पत्नी कभी भी मुझे जान से मार देगी.
शायद गणेश के इस आवेदन पर उस वक्त समाज के अग्रणी लोग या प्रशासन गंभीर हुई होती, तो आज असामयिक मौत से गणेश को बचाया जा सकता था. गणेश चार बच्चों का पिता था. वह पिछले डेढ़ वर्ष से पेट की बीमारी से परेशान था. उसके पास उतना पैसे भी नहीं थे कि अपने पेट का इलाज बेहतर चिकित्सक से करा सके. गणेश को कुछ दिनों तक ग्रामीणों ने खाना-पीना दिया, लेकिन गणेश की पत्नी ग्रामीणों से उलझने लगी थी, जिससे ग्रामीणों ने खाना-पानी देना भी छोड़ दिया था.
Posted By : Samir Ranjan.