Jharkhand News : झारखंड में गंगा नदी का बढ़ा जलस्तर, बाढ़ से दियारा क्षेत्र के कई गांव जलमग्न
Jharkhand News : झारखंड के साहिबगंज जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर गंगा से सटे लालबथनी गांव का संपर्क कट गया है. गंगा का जलस्तर बढ़ने से दियारा क्षेत्र के कई गांव जलमग्न हैं. लालबथनी गांव सहित तीन पंचायत के लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है.
Jharkhand News : झारखंड के साहिबगंज जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर गंगा से सटे लालबथनी गांव का संपर्क कट गया है. गंगा का जलस्तर बढ़ने से दियारा क्षेत्र के कई गांव जलमग्न हैं. लालबथनी गांव सहित तीन पंचायत के लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है. तलझारी प्रखंड क्षेत्र के गदाई दियारा के 250 घरों में पानी घुस गया है. इससे लोगों में काफी नाराजगी है. ये कृषि बहुल क्षेत्र है. यहां जूट, मक्का, गेहूं की खेती होती है. दो दर्जन से ज्यादा गांव के 30 हजार से ज्यादा की आबादी हर साल बाढ़ से प्रभावित होती है. गर्भवती महिलाएं, स्कूली बच्चे, बुजुर्ग को इससे काफी परेशानी होती है.
नहीं बनी है अब तक सड़क
स्थानीय जनप्रतिनिधि जिसमे सांसद, विधायक, विधायक प्रतिनिधि, सांसद प्रतिनिधि, मंत्री प्रतिनिधि सिर्फ चुनाव के समय गांव पहुंचकर सिर्फ वोट बैंक के लिए राजनीति करते हैं, घोषणाएं करते हैं, आश्वासन देते हैं कि बन जाएगा, लेकिन वर्षों से लालबथनी गांव के लोगों की समस्या का समाधान और मांग पूरी नहीं हुई है. ग्रामीणों ने बताया कि समय-समय पर सांसद, सांसद प्रतिनिधि, मंत्री, मंत्री प्रतिनिधि गांव आते हैं. हर बार हमलोग मांग करते हैं. आश्वासन मिलता है लेकिन अब तक धरातल पर कार्य नहीं हुआ है. किशन प्रसाद से लालबथानी बिहार बॉर्डर तक सड़क, पुल, पुलिया बन जाने से इस क्षेत्र के एक लाख से ज्यादा आबादी को राहत मिलेगी. फिर बाढ़ में जिला मुख्यालय से दो दर्जन से ज्यादा गांव का संपर्क नहीं टूटेगा. गर्भवती महिला, मरीज, बुजुर्गों को बाढ़ के समय परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
गंगा का जलस्तर बढ़ने से नाव एक मात्र सहारा
गंगा का जलस्तर बढ़ने से लालबथानी सरपंच टोला समीप पुलिया पानी-पानी हो गया है. रविवार को तीन फीट से ज्यादा पानी हो गया था, वहीं स्थानीय लोगों ने चंदा करके बांस व प्लाई लगाकर अस्थाई बांस की पुलिया का निर्माण किया है. स्थानीय लोग वाहिद अली, अब्दुल रहमान सहित अन्य ने बताया कि चंदा करके अस्थाई पुलिया बनाए हैं, जिसमें 20 हजार से ज्यादा का खर्च आया है. अस्थाई बांस की पुलिया के सहारे लोग पैदल व दो पहिया वाहन लेकर आ जा रहे हैं, गंगा का जलस्तर अगर एक से दो फिट बढ़ने पर अस्थाई पुलिया पर भी पानी आ जाएगा. सड़क पर भी पानी आ जाएगा, जिससे पूरी तरह से तीन पंचायत के दो दर्जन से ज्यादा गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से कट जाएगा. तब मात्र नाव ही एक मात्र सहारा होगा.
सड़क व पुलिया का कराएं निर्माण, बच्चों की जाती है जान
लालबथानी के स्थानीय ग्रामीणों ने हेमंत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, सांसद विजय हांसदा, स्थानीय विधायक अनंत ओझा व जिला प्रशासन से मांग की है कि किशन प्रसाद से लालबथानी होते हुए उत्तरी मखमलपुर व दक्षिणी मखमलपुर पंचायत होते हुए बिहार बॉर्डर तक सड़क व पुल पुलिया का निर्माण कराएं, जिससे इस क्षेत्र के लोग जिला मुख्यालय से हमेशा जुड़े रहें. सदर प्रखंड क्षेत्र का कृषि बहुल क्षेत्र रामपुर स्थित सकरी गली पंचायत, उतरी मखमालपुर, दक्षिणी मखमलपुर का लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है. स्थानीय लोग मो नाजीर हुसैन, मो माजूल सहित अन्य ने बताया कि इस क्षेत्र में पटुवा, गेहूं, मक्का का खेती वृहद पैमाने पर होती है. बाढ़ में जिला मुख्यालय से संपर्क टूट जाने से अनाज की कीमत क्विंटल में 100 से 300 रूपये कम हो गयी है. व्यापारी कहते हैं सड़क नहीं है कैसे लेकर जाएंगे बाढ़ में. बाढ़ का पानी पार करने के दौरान हर साल बच्चे डूबकर मरते हैं. वर्ष 2020 में दो बच्चों की एक साथ डूबने से मौत हो चुकी है.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
मत्युर रहमान ने कहा कि पुलिया व सड़क में पानी भरने से ऐसा लगता है जैसे हमलोगों की रीढ़ का हड्डी टूट गयी है. अगर ग्रामीण वैकल्पिक व्यवस्था बांस और प्लाई का पुलिया नहीं बनाते तो हमलोग तो कहीं आ जा भी नहीं पाते. अब खर्च बढ़ गया है. प्रत्येक वर्ष ऐसे ही दो माह तक परेशानी होती है. वाहिद अली ने कहा कि तीन पंचायत के लगभग 25 से ज्यादा गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है. व्यापारी के मन के दाम के अनुसार अनाज पटुवा बेचना पड़ता है. जिला प्रशासन जल्द से जल्द सड़क-पुलिया बनाए. बिहारी कुमार, निजामत अली, मो कौशर आलम, मो जैनुल एवं अब्दुल रहमान कहते हैं कि जनप्रतिनिधि गांव आते हैं तो हमलोग सड़क, पुलिया बनाने के लिए ज्ञापन देते हैं, लेकिन आश्वासन देकर चले जाते हैं. बांस का पुल, नाव ही एकमात्र सहारा होता है.
रिपोर्ट : नवीन कुमार, साहिबगंज