कोलकाता : पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना स्थित सागर द्वीप पर लगने वाले विश्व के सबसे बड़े सालाना गंगा सागर मेला के आयोजन पर कलकत्ता हाइकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन व न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा है कि यदि कोर्ट को महसूस हुआ कि मकर संक्रांति के अवसर पर लगने वाले मेला की वजह से लोगों की सुरक्षा को खतरा है, तो मेला पर पूर्ण रोक का आदेश जारी कर सकते हैं.
चीफ जस्टिस ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव से हलफनामा देने के लिए कहा है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह लेने के बाद हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि गंगा सागर मेला की तुलना दुर्गा पूजा या छठ से नहीं की जा सकती. इसकी तुलना सिर्फ कुंभ से हो सकती है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि जीवन का अधिकार लोगों का मौलिक अधिकार है. आप विकल्प तलाशिये. जरूरत पड़े, तो लोग जल लेकर लौट जायें. इस विषय पर शुक्रवार को भी सुनवाई होगी. मेला के आयोजन के लिए राज्य सरकार की तैयारियों पर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. गुरुवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी की.
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बुधवार को भी इस मामले में सुनवाई हुई थी. तब राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्त से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी. इस पर महाधिवक्ता किशोर दत्त ने हाइकोर्ट से समय की मांग की. इस दौरान हाइकोर्ट ने कहा कि वार्षिक उत्सव के लिए सबरीमाला मंदिर को भी खोल दिया गया है. सबरीमाला मंदिर में कड़ी निगरानी में हजारों पुण्यार्थियों को प्रवेश दिया जा रहा है.
ऑनलाइन आवेदन करने के बाद एक साथ मात्र 20 लोगों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है. पश्चिम बंगाल सरकार को भी यहां इस प्रकार की व्यवस्था शुरू करनी चाहिए. गौरतलब है कि कोरोना की परिस्थिति को देखते हुए गंगा सागर मेला में भीड़ नियंत्रित करने के लिए हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है.
हावड़ा निवासी अजय कुमार दे ने अपनी याचिका में सागर द्वीप में मेला परिसर व बाबूघाट क्षेत्र को एक महीने के लिए कंटेनमेंट जोन घोषित करने की मांग की है. इससे पहले अजय कुमार दे ने दुर्गा पूजा, काली पूजा, छठ पूजा व जगधात्री पूजा के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने की मांग पर याचिका दायर की थी और हाइकोर्ट ने भीड़ नियंत्रण के लिए गाइडलाइन भी जारी की थी.
Posted By : Mithilesh Jha