Makar Sankranti : पुण्य नहीं, पेट के लिए भी गंगासागर में कई लोग लगाते है डुबकी
हर साल हमलोग गंगासागर मेले का इंतजार करते है क्योंकि जो लोग स्त्रान के बाद दान में पैसे गंगा में फेंकते है उसके लिये समुद्र में हम गोता लगाते हैं. हम सिर्फ इतना जानता है कि हर साल मेले में आएगें तो दो पैसे कमा लेंगे.
राज्य का कुंभ कहे जाने वाले भव्य गंगासागर मेला (Gangasagar Mela) का आगाज हो गया है. सभी शिविरों में तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ने लगी है. सूत्रों के मुताबिक आउट्राम घाट और गंगासागर में अब तक लाखों तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं. प्रशासन का अनुमान है कि बंधन पहल के माध्यम से भी उन्हें गंगासागर पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या का पता चलेगा. फिर भी सूचना के अनुसार शनिवार को हजारों की संख्या में तीर्थयात्री गंगासागर स्नान के लिए पहुंचे. प्रशासन तीर्थयात्रियों की सेवा में जुट गयी है. सेवा शिविर के लोगों की मानें तो आजकल तीर्थयात्री भीड़ के डर से मकर संक्राति तक का इंतजार नहीं कर रहे हैं. उनके अनुसार रोज हजारों की संख्या में लोग स्नान कर रहे हैं और लौट जा रहे हैं.
ऐसा कहा जाता है कि गंगासागर में हर रोज स्नान कर जहां लोग अपने पापों को धोने का प्रयास करते है वहीं कई लोग अपना पेट भरने के लिये इस गंगासागर में डुबकी लगाते है. सागर के घाटों पर एक लड़का मिला जिसने बताया कि वह हर साल जब समुद्री मेला लगता है तब भी यहां आते हैं. लेकिन उन्हें पुण्य स्नान में कोई रुचि नहीं है. हर साल हमलोग गंगासागर मेले का इंतजार करते है क्योंकि जो लोग स्त्रान के बाद दान में पैसे गंगा में फेंकते है उसके लिये समुद्र में हम गोता लगाते हैं. हम सिर्फ इतना जानता है कि हर साल मेले में आएगें तो दो पैसे कमा लेंगे. अगर मेले का बाबू थोड़ा ज्यादा दे दे तो कोई सवाल नहीं. पेट भरा रहे तो ही पुण्य है.
अतिश ने बताया कि हर रोज कई हजार लोग सागर में स्नान करते है और हमें 500 रुपये से अधिक की कमाई हो जाती है. हमलोग हर वर्ष मकर संक्रांति का बेसब्री से इंतजार करते है क्योंकि इस दौरान हमारी अच्छी से कमाई हो जाती है और जब आपकों पेट भर खाना मिल जाये तो उससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है.