गंगासागर में डूब सकता है कपिल मुनि आश्रम, बचाव के लिए सरकार बना रही मास्टर प्लान

गंगासागर के तट पर स्थित कपिलमुनि मंदिर काफी पुराना है. इस जगह के साथ पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. इसका विशेष महत्व है. कपिलमुनि का मंदिर 1437 में स्वामी रामानंद ने स्थापित किया था.हालांकि, पहला मंदिर वर्तमान जगह से लगभग 20 किमी की दूरी पर था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2023 5:04 PM
an image

कोलकाता, शिव कुमार राउत : सागरद्वीप स्थित आस्था के केंद्र कपिल मुनि आश्रम में पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. पर अब इस मंदिर का अस्तित्व खतरे में है. पिछले कुछ वर्षों में आश्रम से सटे समुद्र तट के लगातार कटाव के कारण प्रशासन की चिंता बढ़ी हुई है. कटाव रोकने के लिए कई उपाय भी किये गये हैं. लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. आश्रम के साथ ही अस्थायी पुलिस कैंप को भी खतरा है. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को सिंचाई व जलमार्ग विभाग की विधानसभा में आपातकालीन बैठक हुई. राज्य के सिंचाई मंत्री पार्थ भौमिक की उपस्थित में यह बैठक हुई. बैठक में विभाग के आला अधिकारी व इंजीनियर भी शामिल थे.

मास्टर प्लान तैयार किये जाने की बनायी गयी योजना

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अगले साल सागर तट पर लगने वाले गंगासागर मेले से पहले समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किये जाने की योजना बनायी गयी है. इसी साल इस मास्टर प्लान को लागू किया जायेगा. उधर, वर्तमान स्थिति का जायजा लेने मंत्री पार्थ भौमिक विभाग के अधिकारियों के साथ शनिवार को गंगासागर जा रहे हैं. पूरी योजना इस बात को ध्यान में रखकर बनायी गयी है कि कपिल मुनि आश्रम को कोई नुकसान न हो. सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पहले ही सरकार ने भूमि कटाव को रोकने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से जापानी मॉडल का पायलट प्रोजेक्ट के तहत कटाव को रोकने की कोशिश शुरू की थी.

Also Read: West Bengal Breaking News : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इमामों के भत्ते में वृद्धि की घोषणा की
कपिल मुनि आश्रम के पास कटाव को रोकने की कोशिश जारी

पर सरकार की यह योजना सफल नहीं हो सकी. फिलहाल कपिल मुनि आश्रम के पास कटाव को रोकने की कोशिश की जा रही है. इस कारण अस्थायी पुलिस कैंप को अन्यत्र स्थानांतरित किये जाने की योजना है. कटाव रोकने के लिए राज्य प्रशासन सक्रियता के साथ आगे बढ़ रहा है. सूत्रों के अनुसार, फिलहाल कपिल मुनि आश्रम से समुद्र महज 500 मीटर की दूरी पर है. अब तक जितने भी यहां बांध बनाये गये, सब क्षतिग्रस्त हो गये हैं. आये दिन कटाव हो रहा है. गंगासागर आश्रम के पास स्थित जमीन धीरे-धीरे समुद्र में समा रही है, इसीलिए सरकार को लगता है कि आश्रम को डूबने से बचाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किये जाने की जरूरत है.

Also Read: बेहला में छात्र की मौत से नाराज हैं ममता बनर्जी, मुख्य सचिव को कहा जानें कैसे हुआ ऐसा
सागर से मंदिर की दूरी घट कर रह गयी है 500 मीटर

गंगासागर के तट पर स्थित कपिलमुनि मंदिर काफी पुराना है. इस जगह के साथ पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. इसका विशेष महत्व है. कपिलमुनि का मंदिर 1437 में स्वामी रामानंद ने स्थापित किया था. हालांकि, पहला मंदिर वर्तमान जगह से लगभग 20 किमी की दूरी पर था. लेकिन जलस्तर बढ़ने से यह समुद्र में समा गया. इसे फिर दूसरी जगह स्थापित किया गया. पर कुछ सालों बाद यह मंदिर भी समुद्र में समा गया. बताया जाता है कि इसी तरह कपिलमुनि के तीन मंदिर समुद्र में समा चुके हैं. अब वर्तमान मंदिर पर भी खतरा मंडरा रहा है. बताया जाता है कि वर्तमान मंदिर का निर्माण 1970 के दशक में किया गया था. लेकिन जब तट यह बना था, उस समय सागर से करीब चार था किमी की दूरी पर था. वर्तमान में सागर से क्या कपिलमुनि मंदिर की दूरी कम होकर मात्र 500 इस मीटर रह गयी है.

Also Read: West Bengal Breaking News : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इमामों के भत्ते में वृद्धि की घोषणा की
मात्र 850 मीटर क्षेत्र में कटाव रोकने के लिए तैयार हो रही योजना

गंगासागर – बकखाली विकास प्राधिकरण के चेयरमैन व सुंदरवन विकास मंत्री बंकिम चंद्र हाजरा ने बताया, राज्य सरकार ने समस्या के स्थायी समाधान के लिए योजना तैयार की थी. हमने सागर किनारे लगभग पांच किमी लंबा कंक्रीट का तटबंध बनाने का फैसला किया था. लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी. अब हम ट्रेटापोड तकनीक से गंगासागर में कटाव की समस्या को दूर करने की पहल शुरू करने जा रहे हैं. टेट्रापोड तकनीक से सागर की बड़ी लहरों को तट पर पहुंचने से पहले ही कमजोर कर दिया जायेगा, इससे वह किनारों पर कटाव ना कर सके. योजना पर राज्य सरकार की ओर से लगभग नौ करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इससे पहले मौसूनी, पाथर प्रतिमा व गोसाबा सहित अन्य क्षेत्रों में इस तकनीक का प्रयोग कर बड़े ज्वार व लहरों को तट पर पहुंचने से पहले ही तोड़ देने या कमजोर करने की दिशा में काम किया गया था.

Also Read: बेहला में छात्र की मौत से नाराज हैं ममता बनर्जी, मुख्य सचिव को कहा जानें कैसे हुआ ऐसा
आइआइटी मद्रास की रिपोर्ट पर नहीं हुआ काम

राज्य सरकार ने आइआइटी मद्रास को गंगासागर तट के पास सतह के स्तर के सर्वे का जिम्मा सौंपा था. किस तरह से समुद्र तट कट रहा है, इसके क्या कारण हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है, इस बारे में आइआइटी मद्रास ने प्राथमिक रिपोर्ट भी पेश की थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर तटवर्ती क्षेत्रों में कंक्रीट से तटबंध तैयार किया जाये, तो इससे कटाव नहीं होगा. इससे अगले 40 वर्षों तक गंगासागर तट पर कटाव की समस्या नहीं होगी. लेकिन केंद्र सरकार ने पर्यावरण संबंधी कारणों की वजह से इसे मंजूरी नहीं दी.

Also Read: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘पश्चिम बंग दिवस’ पर चर्चा के लिए 29 को बुलायी सर्वदलीय बैठक

Exit mobile version