Gangaur 2023: 16 दिनों तक चलनेवाला लोक पर्व गणगौर शुरू

Gangaur 2023: होलिका दहन की राख से महिलाएं पिंड बना कर पूजा करती हैं. फिर सात दिन के बाद बासेड़ा यानी कि शीतला अष्टमी को लकड़ी अथवा मिट्टी के बने ईसर और गौरा यानी कि शिव और पार्वती को गणगौर के रूप में घर लाया जाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 12, 2023 10:49 AM

लाइफ रिपोर्टर @ रांची

मारवाड़ी समुदाय का प्रसिद्ध लोक पर्व गणगौर शुरू हो गया है. घर-घर गणगौर के गीत बजने लगे हैं. महिलाएं सुबह में गणगौर की पूजा कर रही हैं और घरों में गवर गणगौर माता खोल केवाड़ी.., एल खेल नदी बहे ओ पानी सिद जासी.. जैसे अन्य गणगौर के गीत भी सुनने के लिए मिल रहे हैं. समुदाय का यह प्रसिद्ध पर्व होलिका दहन के दूसरे दिन से शुरू होकर चैती नवरात्र की तृतीया के दिन संपन्न होता है.

16 दिन तक मनाया जाता है गणगौर

इस तरह से यह पूरा 16 दिवसीय पर्व मनाया जाता है. होलिका दहन की राख से महिलाएं पिंड बना कर पूजा करती हैं. फिर सात दिन के बाद बासेड़ा यानी कि शीतला अष्टमी को लकड़ी अथवा मिट्टी के बने ईसर और गौरा यानी कि शिव और पार्वती को गणगौर के रूप में घर लाया जाता है. गणगौर की पूजा की जाती है. इसी दिन से शाम को भी पूजा शुरू हो जाती है. पूजा-अर्चना के साथ-साथ शाम को भगवान को पानी पिलाया जाता है और प्रसाद भी चढ़ाया जाता है.

नयी दुल्हनों के घर उत्साह से मनता है पर्व

नयी नवेली दुल्हनों के घर में यह पर्व खासा उत्साह से मनाया जाता है. मां और सास के द्वारा सिंधारा किया जाता है, जिसमें बहू बेटियों का सत्कार किया जाता है. उनके हाथों में मेहंदी रचायी जाती है. परंपरा है कि बहू बेटी का पहला गणगौर मायके में होता है, पर सुविधा के अभाव में यह ससुराल में भी किया जा सकता है. 16 दिवसीय यह पर्व न केवल नयी नवेली दुल्हनें और सुहागिनें हीं करती हैं, बल्कि अच्छे वर की चाह में कुंआरी कन्याओं के द्वारा भी यह पूजा की जाती है.

16 दिन के बाद यानी के चैती नवरात्र की तृतीया के दिन पूजित कूंडो का विसर्जन कर दिया जाता है. यूं तो इस पर्व को महिलाएं अपने घरों में करती हैं. लेकिन विसर्जन के दिन मारवाड़ी समाज की महिलाएं लक्ष्मी नारायण मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद बड़ा तालाब में स्थापित विसर्जन घाट में गणगौर को विसर्जित कर देती हैं और गणगौर महोत्सव का हिस्सा बनती हैं.

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