वर्तमान में नगर निगम की ओर से केंदू गाछ के पास कचरा डंपिंग यार्ड बनाया गया है. लेकिन नगर निगम खाली जगहों व गड्ढों को खोज कर शहर से निकले कचरे उनमें डालता है. जिला प्रशासन ने पिछले वर्षों में तीन जगहों पर ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट के लिए सरकारी जमीन उपलब्ध करायी थी, लेकिन स्थानीय लोगों के मना करने पर नगर निगम पीछे हट गया.नगर निगम के पास हैं 310 सफाईकर्मीनगर निगम के पास अपने 35 वार्ड के लिए 310 सफाई कर्मचारी हैं. तीन ट्रैक्टर तथा घर-घर कचरा उठाव के लिए 25 वाहन हैं.
घर-घर कचरा उठाव का ठेका सरकारी उपक्रम सूडा रांची के द्वारा क्यू बाओ नामक एजेंसी को दी गयी है. इसने आदित्यपुर वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी प्रालि का गठन किया है. कचरा उठाव के लिए इस कंपनी को मानव संसाधन के साथ वाहन भी नगर निगम ने ही उपलब्ध कराया है. इसे सिर्फ घर-घर जाकर कचरा संग्रह करना है. बाकी सफाई नगर निगम के स्वयं के जिम्मे है. सभी जगहों पर घर-घर कचरा उठाव की व्यवस्था नहीं है. जहां कचरा लेने गाड़ी आती है, वहां भी जगह-जगह पर कचरे का ढेर दिखायी देता है. आखिर ये कचरे कहां से आते हैं और इस पर रोक क्यों नहीं लगती है, इस सवाल का जवाब नगर निगम नहीं ढूंढ़ पाया है.
कचरों में लगायी जाती है आग, निगम सुधि नहीं लेता
आदित्यपुर में नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के अलावा आम नागरिक व दुकानदार नियमित रूप से कचरा जला कर उनका निष्पादन कर देते हैं. इस क्रम में डस्टबिन में भी आग लगा दी जाती है. इसके कारण दर्जनों लोहे व प्लास्टिक के डस्टबिन अब तक नष्ट हो चुके हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ नगर निगम कार्रवाई करना तो दूर, कचरा जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के प्रति कभी लोगों को जागरूक तक नहीं करता है.नये डिजाइन की डस्टबिन कारगर नहींनगर निगम ने ढक्कन व दरवाजे लगे नये चौकोर डस्टबिन का उपयोग शुरू किया है. जिससे सफाई कर्माचरियों की परेशानी बढ़ गयी है. पहले जो डस्टबिन होती थी, उसे डंपर प्लेसर से उठा कर ले जाया जाता था, लेकिन नयी बिन से कचरों को हाथ से निकाल कर ट्रैक्टर में लोड किया जाता है. इससे समय व श्रम दोनों अधिक लगता है. छोटी डस्टबिन होने के कारण कचरों से यह शीघ्र भर जाता है और आसपास गंदगी फैलने लगती है.
सिर्फ लिखा है सूखा व गीला कचरा, निष्पादन की व्यवस्था नहीं
नगर निगम की ओर से जगह-जगह पर लगी स्टील की ट्विन डस्टबिन की चोरी होने या नष्ट कर दिये जाने के बाद बड़ी संख्या में प्लास्टिक की डस्टबिन लगायी गयी है. इन डस्टबिनों के साथ घर-घर कचरा उठाव करने वाली गाड़ी में दो चेंबर हैं. हरे रंग के चेंबर पर गीला कचरा व नीले रंग के चेंबर पर सूखा कचरा लिखा रहता है. यह सिर्फ लिखावट में दिखता है, क्योंकि आदित्यपुर में सूखा (स्वयं नष्ट नहीं होने वाले) व गीला कचरा के अलग-अलग उठाव या उसके निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं है.सफाई को लेकर दायर है पीआइएल
आदित्यपुर में सफाई की लचर व्यवस्था व कचरे के निष्पादन के लिए उचित व्यवस्था नहीं किये जाने के खिलाफ सामाजिक संस्था जन कल्याण मोर्चा ने रांची हाइकोर्ट में वर्ष 2017 में जनहित याचिका दायर की है. जिस पर सुनवाई चल रही है. इस मामले में अगले सप्ताह पुन: सुनवाई होने वाली है. मोर्चा के अध्यक्ष अधिवक्ता ओम प्रकाश ने बताया कि उक्त याचिका में कोर्ट की अवमानना का मामला चल रहा है.
310कचरा उठाव के लिए वाहन :
नगर निगम व पंचायत क्षेत्र के हजारों लोग परेशान
सर्विस रोड में लग रही दुकानों की वजह से आदित्यपुर नगर निगम के आदित्यपुर व पंचायत क्षेत्र के छोटा गम्हरिया, जगन्नाथपुर, बलरामपुर, आदर्श नगर, बड़ा गम्हरिया, कालिकापुर समेत आसपास के लोग प्रतिदिन प्रभावित हो रहे हैं. लोगों को सर्विस रोड में चलने तथा आदित्यपुर-कांड्रा मुख्य मार्ग पर जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.हटाने के साथ ही सज जाती हैं दुकानेंलोगों की शिकायत के बाद जब प्रशासन सर्विस रोड से दुकानों को हटाने का प्रयास करता है तो इस तरह की कोशिश दिखावा साबित होती है. सर्विस रोड को खाली कराने के तुरंत बाद प्रशासनिक टीम के वहां से निकलते ही फिर से दुकानें सज जाती हैं. ऐसे में आम लोगों को परेशानी से निजात नहीं मिलती.
पार्किंग के रूप में उपयोग करने से भी लगता है जाम
आदित्यपुर-कांड्रा मुख्य मार्ग के सर्विस रोड को लाल बिल्डिंग चौक से सिटी स्टाइल तक लोग इस मार्ग का पार्किंग के रूप में उपयोग करते हैं. इससे मार्ग संकीर्ण हो गया है. दिनभर सर्विस रोड पर बड़ी संख्या में बाइक खड़ी रहती है. इससे सड़क जाम हो जाता है. कभी-कभी तो ऐसी स्थिति बन जाती है कि महज दो सौ मीटर की दूरी तय करने में लोगों को काफी समय लग जाती है. प्रशासन के द्वारा सर्विस रोड खाली कराने का अब तक का प्रयास बेकार साबित हुआ है.
शाम में लग जाती है वाहनों की लंबी कतार
गम्हरिया में शाम होते ही सर्विस रोड की स्थिति भयावह हो जाती है. कभी-कभी तो सर्विस रोड के साथ-साथ मुख्य मार्ग भी पूरी तरह से जाम हो जाता है. इससे दो-तीन किमी तक वाहनों की लंबी कतार लग जाती है. ऐसे में राहगीरों को बाहर निकलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है.सड़क की नाली का भी हो रहा व्यावसायिक उपयोगसड़क के दोनों ओर सर्विस रोड की नाली को अतिक्रमण कर दुकानदारों व होटल संचालकों ने व्यावसायिक उपयोग शुरू कर दिया है. इसकी वजह से ग्राहकों को सर्विस रोड पर खड़े होकर खरीदारी करनी पड़ रही है. इसकी वजह हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है.
हो सकता है समस्या का समाधान
गम्हरिया बाजार के अंदर काफी जगह खाली है, जहां सर्विस रोड में सब्जी लगाने वाले दुकानदारों को शिफ्ट करने से समस्या का समाधान हो सकता है. इसके अलावा बाजार के दुकानदारों व सड़क किनारे संचालित दुकानदारों के द्वारा अपनी जगह के अलावा सड़क की जमीन को अतिक्रमण कर लगायी गयी दुकानों को खाली करवाकर उक्त समस्या का समाधान हो सकता है.कोटसर्विस रोड जाम रहने से काफी परेशानी होती है. सड़क पर ही दुकानें लगाये जाने से लाल बिल्डिंग तक की दूरी तय करने में काफी वक्त लग जाता है.
संतोष ठाकुर, गम्हरिया निवासी.दुर्गा पूजा मैदान से लाल बिल्डिंग तक सर्विस रोड में दुकानें लगायी जाने की वजह से मार्ग पर बाइक तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. रास्ता खाली कराने को लेकर प्रशासन को पहल करनी चाहिए.
सुधांशु कुमार मौसम.सर्विस रोड जाम रहने का खामियाजा मरीजों व छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. खासकर शाम के समय अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने में जो दिक्कत आती है. उससे मरीज की स्थिति और बिगड़ जाती है.
अजीत कुमार
गम्हरिया बाजार के विपरीत लाल बिल्डिंग चौक से सिटी स्टाइल की ओर सर्विस रोड पर ही लोगों द्वारा बाइक खड़ी किये जाने से आवागमन में काफी परेशानी होती है. समस्या से निजात के लिए स्थायी व्यवस्था करने की जरूरत है.
अमरजीत कुमार.
रमेश की चाय बना गम्हरिया की पहचान
गम्हरिया. वैसे तो लाल बिल्डिंग चौक की अलग-अलग पहचान है, लेकिन चौक-चौराहों पर घूमने-फिरने व विभिन्न तरह की गतिविधियों की वजह से लाल बिंल्गिंक चौक पर आने-जाने वालों के लिए रमेश की चाय दुकान भी एक पहचान है जहां आकर लोग चाय की चुस्कियां भी लेते हैं तथा आसपास से भेंट-मुलाकात भी करते हैं. अगर दूसरे शब्दों में कहें तो रमेश की चाय की चुस्की गम्हरिया व आसपास के लोगों की आदतों में भी शुमार हो गया है. कुकड़ू निवासी रमेश गोप की चाय की इस दुकान को पहचान दिलाने में रमेश ने काफी संघर्ष किया है. रमेश को बचपन से ही कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ा. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इस वजह से इन्हें हाटलों में काम करना पड़ा. जब थोड़े बड़े हुए तो कुछ और बेहतर करने की सोची और गम्हरिया के लाल बिल्डिंग चौक पर एक छोटा सा स्टॉल लगा कर चाय बेचने लगे. मेहनत और लगन से इस स्टॉल को अलग पहचान दिलायी. रमेश ने कोविड महामारी के दौरान प्रशासनिक कार्यो में तैनात कर्मचारियों को मुफ्त में चाय की सेवा दी थी. रमेश गोप के पुत्र मनोज गोप अब इस दुकान को आगे बढ़ाने मे जुट गये हैं. फिलहाल पिता-पुत्र मिलकर इस चाय के स्टॉल को चला रहे हैं और लोगों को अपनी सेवा दे रहे हैं.