मध्य प्रदेश के इटारसी के एक ढाबे से गढ़वा का बाल मजदूर हुआ मुक्त, 3 साल में इसने कमाये मात्र 470 रुपये
Jharkhand News, Garhwa News, गढ़वा न्यूज : फरठिया गांव के 13 साल के एक नाबालिग आदिवासी बच्चे को बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के घर में काम करने के लिए उसी गांव के एक व्यक्ति के माध्यम से भेजा गया था. वहां से चिकित्सक ने अपने रिश्तेदार के घर काम करने के लिए बिहार के पटना में भेज दिया. पटना जाने के दो माह बाद नाबालिग बच्चा वहां से गायब हो गया. बच्चे के गायब होने के बाद वह कहां गया, इसका पता किसी को भी नहीं चल सका. साल 2019 के मई महीने से वह पूरी तरह से ट्रेसलेस हो चुका था. पटना स्थिति चिकित्सक के रिश्तेदारों ने भी उसके बारे में जानकारी होने से इनकार कर दिया था.
Jharkhand News, Garhwa News, गढ़वा न्यूज (पीयूष तिवारी) : गढ़वा शहर के एक प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के पास 3 साल पहले काम करने के दौरान गायब हुए 13 साल के बच्चे को मध्य प्रदेश के इटारसी के एक ढाबे से मुक्त कराया गया है. इटारसी में उसे बंधक बनाकर काम कराया जा रहा था. बचपन बचाओ आंदोलन, बाल कल्याण समिति एवं चाइल्ड लाइन के माध्यम से जब बच्चे का रेस्क्यू किया गया, तब उसके पास 3 साल के दौरान कमाये हुए मात्र 470 रुपये पाये गये. गुरुवार को नाबालिग को गढ़वा सीडब्ल्यूसी कार्यालय में लाया गया. वहां से उसे परिजन को सौंपते हुए घर भेज दिया गया. साथ ही CWC चेयरमैन उपेंद्रनाथ दूबे ने जिला बाल संरक्षण इकाई को उसके पुनर्वास एवं अन्य सहयोग उपलब्ध कराने संबंधी निर्देश भी दिये.
फरठिया गांव के 13 साल के एक नाबालिग आदिवासी बच्चे को बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के घर में काम करने के लिए उसी गांव के एक व्यक्ति के माध्यम से भेजा गया था. वहां से चिकित्सक ने अपने रिश्तेदार के घर काम करने के लिए बिहार के पटना में भेज दिया. पटना जाने के दो माह बाद नाबालिग बच्चा वहां से गायब हो गया. बच्चे के गायब होने के बाद वह कहां गया, इसका पता किसी को भी नहीं चल सका. साल 2019 के मई महीने से वह पूरी तरह से ट्रेसलेस हो चुका था. पटना स्थिति चिकित्सक के रिश्तेदारों ने भी उसके बारे में जानकारी होने से इनकार कर दिया था.
20 घंटे तक लिया जाता था काम
इधर, इस मामले के संज्ञान में आने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यर्थी की संस्था बचपन बचाओ आंदोलन की टीम ने भी गढ़वा एसपी को पत्र लिखकर उसे खोजने के लिए आग्रह किया था. काफी खोजबीन के बाद बचपन बचाओ आंदोलन की झारखंड टीम ने मध्यप्रदेश की टीम के साथ मिलकर 26 जनवरी, 2021 की शाम को बच्चे को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के एक अन्नपूर्णा ढाबा से बरामद कर लिया था. इसमें मध्यप्रदेश के होशंगाबाद की पुलिस ने भी सहयोग किया. मुक्त कराने के बाद उसे चाइल्ड लाइन, होशंगाबाद में रखा गया था. जहां सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद गुरुवार को बंधुआ बाल मजदूर को गढ़वा लाया गया.
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इस दौरान बाल मजदून ने बताया कि उसे ढाबा में 3000 रुपये प्रतिमाह देने की बात कही गयी थी, लेकिन बाद में उसे बंधक बना लिया गया़ उससे अक्सर सुबह 4.30 बजे से रात 12 बजे तक काम लिया जाता था. ढाबे का मालिक, उसके साथ हमेशा मारपीट किया करता था एवं गालियां भी देता था.
होशंगाबाद के डोलरिया में ढाबा मालिक पर दर्ज करायी गयी प्राथमिकी
इस मामले में बचपन बचाओ आंदोलन की शिकायत पर होशंगाबाद जिले के डोलरिया थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी. इस मामले में बच्चे की मां ने अपने परिचित सीताराम उरांव एवं गढ़वा के एक प्रसिद्ध चिकित्सक दंपति पर गायब करने का आरोप लगाया था़
परिवार के सभी लोग हैं निरक्षर
मुक्त कराये गये बाल बंधुआ मजदूर के परिवार के सभी लोग निरक्षर हैं. मुक्त हुए बाल मजदूर के चार और भाई- बहन हैं, लेकिन सभी विद्यालय से बाहर हैं. उसके पिता एवं मां ने भी पढ़ाई नहीं की है. बताया गया कि उसके परिवार के लोग दो साल से गायब बच्चे के आने की उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन गुरुवार को बच्चे के गढ़वा वापस लौटने पर उन्होंने खुशी जाहिर की तथा मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार भी किया. उन्होंने इसके लिए CWC चेयरमैन उपेंद्रनाथ दूबे के प्रति अभार जताया है.
Posted By : Samir Ranjan.