Jharkhand News, Garhwa News, गढ़वा (पीयूष तिवारी) : गढ़वा- कांडी भाया बरडीहा पथ निर्माण को लेकर पथ निर्माण व विद्युत विभाग आपस में उलझे हुए हैं. दोनों के बीच जुर्माना व मुआवजा को लेकर किचकिच हो रही है. दोनों विभाग किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस विभागीय किचकिच के बीच सड़क का निर्माण कर रही कंपनी RKTC जैसे- तैसे सड़क का निर्माण पूर्ण कर मुक्त होने का प्रयास कर रही है. इससे एक तरफ जहां सड़क की गुणवत्ता खराब हो रही है, वहीं दूसरी ओर सड़क के बीच में सैकड़ों इलेक्ट्रिक पोल आने के बाद आये दिन दुर्घटनाएं होने लगी है.
सड़क का निर्माण करा रहे पथ निर्माण विभाग का आरोप है कि उससे बिना NOC लिए विद्युत विभाग ने सड़क से सटाकर इलेक्ट्रिक पोल लगा दिये हैं. इस इलेक्ट्रिक पोल के ऊपर से 33 हजार, 11 हजार एवं 440 वोल्ट का तार ले जाया गया है. वर्तमान में इस सड़क का चौड़ीकरण किया जा रहा है, तब इलेक्ट्रिक पोल सड़क के बीच में आ रहे हैं. ऐसे में विद्युत विभाग को जब पत्राचार कर पोल हटाने के लिए कहा गया, तो उसके द्वारा मुआवजा (शिफ्टिंग व सर्वेक्षण चार्ज) का खर्च मांगी जा रही है, जिसका प्रावधान सड़क के प्राक्कलन में नहीं है.
यह सड़क केंद्र सरकार की राशि से बनायी जा रही है. इस वजह से राज्य पथ निर्माण विभाग से शिफ्टिंग चार्ज लेना लंबी प्रक्रिया है. इधर, इस मामले में विद्युत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विद्युत लाईन ले जाने के लिए उसे किसी से NOC या परमिशन लेने की जरूरत नहीं है.
अब जबकि सड़क का चौड़ीकरण किया जा रहा है, तो वैसी स्थिति में पथ निर्माण विभाग जब तक शिफ्टिंग चार्ज एवं सर्वेक्षण चार्ज नहीं देगा, तब तक पोल नहीं हटाया जायेगा. पोल हटाने के लिए उसके बगल में (सड़क से हटकर) दूसरा नया पोल व तार लगाना होगा. इसमें करोड़ों रुपये खर्च होंगे. यह खर्च वहन करने की स्थिति में विद्युत विभाग नहीं है. इसके लिए पथ निर्माण विभाग को ही राशि देनी होगी.
कुल 56 किमी की लंबाई वाले गढ़वा- कांडी पथ भाया बरडीहा का निर्माण कार्य पथ निर्माण विभाग से 136 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है. इस सड़क की चौड़ाई 16 मीटर (फ्लैंक लेकर) है. पथ निर्माण विभाग के सर्वेक्षण के हिसाब से सड़क निर्माण सही से करने के लिए 1510 इलेक्ट्रिक पोल हटाने पड़ेंगे. इसमें 33 हजार वोल्ट, 11 हजार वोल्ट एवं 440 वोल्ट के तार हैं.
कई स्थान पर सड़क के बीच में ट्रांसफरमर भी आ गये हैं. उन्हें भी दूसरे स्थान पर शिफ्ट करना होगा. इसमें करोड़ों रुपये खर्च आने की संभावना है. इस सड़क का निर्माण अक्टूबर 2019 में शुरू किया गया है. एग्रिमेंट के हिसाब से 2 साल के अंदर इसका निर्माण पूरा कर लेना है, लेकिन अभी तक दोनों विभाग यह तय नहीं कर पाये हैं कि आखिर सड़क के बीच में आनेवाले तार व पोल कैसे हटेंगे और उन्हें कौन हटायेगा.
इस संबंध में समाजसेवी ब्रजेंद्र पाठक ने कहा कि निर्माण करा रही कंपनी इलेक्ट्रिक पोल को बीच में छोड़कर ही जैसे- तैसे तेजी से निर्माण पूरा कर रही है, जबकि बिना समाधान निकले सड़क का निर्माण शुरू नहीं करना चाहिए था. उन्होंने आरोप लगाया कि संवेदक व विभाग आपस में मिले हुए हैं. वे राशि की बंदरबांट कर सड़क को अधूरा छोड़ने की फिराक में हैं. वे इस मामले को लेकर आंदोलन करेंगे.
Posted By : Samir Ranjan.