Garhwa : 36.89 करोड़ रुपये मजदूरी भुगतान लंबित रहने से 74 हजार योजनायें अधूरी, नहीं मिल रहे मजदूर
झारखंड में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी लंबित रहने से मनरेगा की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. इसका असर सबसे अधिक गढ़वा जिले में साफ दिख रहा है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में अक्टूबर से मार्च तक मनरेगा की योजनाओं में काम कर चुके गढ़वा जिले के लाखों मजदूरों का 36.89 करोड़ मजदूरी भुगतान अब तक लंबित है.
Jharkhand News : झारखंड में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी लंबित रहने से मनरेगा की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. इसका असर सबसे अधिक गढ़वा जिले में साफ दिख रहा है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में अक्टूबर से मार्च तक मनरेगा की योजनाओं में काम कर चुके गढ़वा जिले के लाखों मजदूरों का 36.89 करोड़ मजदूरी भुगतान अब तक लंबित है. जो पूरे राज्य में अन्य जिलों की अपेक्षा सबसे अधिक है. ऐसे में योजनाओं में काम करने वाले मजदूरों की संख्या प्रत्येक दिन घट रही है. वहीं अधिकारी से लेकर मेठ और मजदूर एवं बिचौलिया कार्यों के प्रति रुचि नहीं नही दिखा रहे हैं.
कई योजनाएं हो रही लंबित
मजदूरों के नहीं मिलने से स्थिति ऐसी है कि मनरेगा से संचालित बिरसा हरित आम बागवानी, प्रधानमंत्री आवास योजना(ग्रामीण), पशु शेड, डोभा, तालाब, बांध निर्माण, भूमि समतलीकरण, मिट्टी मोरम सड़क निर्माण व मरम्मती, मेड़बन्दी, सिंचाई कूप निर्माण सहित अन्य प्रकृति की करीब 74 हजार योजना लंबित पड़ा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार जिले में 6.52 लाख पंजीकृत मनरेगा मजदूर हैं. इनमें 3.40 लाख सक्रिय मजदूरों में सक्रिय महिला मजदूरों की संख्या 1.55 लाख हैं. जो नियमित रूप से मनरेगा में काम करते हैं. लेकिन इन दिनों यह काम नही कर रहे हैं. आगे भी यदि ऐसी ही स्थिति रही तो मजदूरों के पास दूसरे राज्यों में पलायन करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नही होगा. बताया जाता है कि राज्य में कोटिवार मजदूरों की भुगतान प्रक्रिया की शुरुआत होने से यह स्थिति बनी है.
घट रही है काम करने वाले परिवारों की संख्या
रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में जून महीने से कोटिवार मजदूरी भुगतान होने की शुरुआत के बाद से महीनों तक मजदूरी लंबित होने के कारण योजनाओं से मजदूरों के घटने का सिलसिला शुरू हुआ. जहां एक महीने में करीब एक लाख परिवार मनरेगा में मजदूरी करते थे. तो अब प्रत्येक महीने काम करने वाले परिवारों की संख्या वर्तमान महीनों में काफी कम हो गयी.
2022 में ऐसे कम होते गए मजदूर
माह 2021 में स्थिति 2022 में स्थिति
जनवरी 57282 63099
फरवरी 56021 42515
मार्च 69906 36946
अप्रैल 89640 27891
मई 83530 8731
जून 60101 18 (नौ जून तक)
गढ़वा में 36 और पूरे राज्य में 328 करोड़ मजदूरी बकाया
राज्य में वित्तीय वर्ष 2021-22 का 328 करोड़ रुपये मजदूरी बकाया है. सबसे अधिक गढ़वा जिले में मजदूरों का 36.89 करोड़ रुपये मजदूरी बकाया है. इसके बाद गिरिडीह में 27.84, दुमका में 20.50, पलामू में 18.77, देवघर में 18.65, हजारीबाग में 16.91, रांची में 15.87, चतरा में 15.86, साहेबगंज में 14.42, लातेहार में 14.19, बोकारो में 12.63, जामताड़ा में 13.25, सरायकेला खरसांवा व पाकुड़ में 11.49, गोड्डा में 10.13, पश्चिमी सिंहभूम में 9.97, सिमडेगा में 9.64, रामगढ़ में 9.39, गुमला में 9.04, पूर्वी सिंहभूम में 8.79, धनबाद में 7.09, लोहरदगा में 5.61, खूंटी में 5.14, कोडरमा में 4.69, करोड़ बकाया है.
74 हजार योजनायें लंबित, सबसे अधिक रंका में 12 हजार
रिपोर्ट के अनुसार गढ़वा जिले में मनरेगा से संचालित 74361 योजनायें लंबित पड़ा हुआ है. सबसे अधिक रंका में 12042 योजनायें अब तक अधूरी पड़ी है. इसी तरह बरडीहा में 2071, बड़गड़ में 1099, भंडरिया में 1255, भवनाथपुर में 3590, विशुनपुरा में 1512, चिनिया में 2972, डंडा में 940, डंडई में 4212, धुरकी में 4822, गढ़वा में 4855, कांडी में 4035, केतार में 3139, खरौंधी में 5389, मझिआंव में 1954, मेराल में 4335, नगर उंटारी में 5324, रमकंडा में 4486, रमना में 3239 व सगमा में 3092 योजनायें लंबित पड़ा हुआ है.
प्रखंडवार बकाया रिपोर्ट
प्रखंड सक्रिय मजदूर बकाया राशि(करोड़ में)
गढ़वा 38289 6.05
खरौंधी 19266 1.43
भवनाथपुर 14036 2.84
मेराल 38744 3.56
रंका 37422 4.80
रमकंडा 13741 1.99
चिनिया 13292 2.04
डंडई 22949 2.58
भंडरिया 6323 1.56
मझिआंव 10129 1.25
कांडी 19301 2.15
रमना 17852 2.12
वंशीधर नगर 19373 1.84
धुरकी 16375 2.51
डंडा 4743 0.86
विशुनपुरा 8088 0.79
केतार 15273 1.45
बरडीहा 7726 0.50
सगमा 11637 0.85
बड़गड़ 6137 1.0
रिपोर्ट : विनोद पाठक/मुकेश तिवारी