Garhwa : आंगनबाड़ी के बच्चों से पदाधिकारी पूछेंगे, पांच साल पहले खिचड़ी खाया या नहीं
जिला प्रशासन आंगनबाड़ी केंद्रों में पांच साल पहले किये गये पोषाहार वितरण की जांच कराने का फैसला किया है. इस दौरान तब आंगनबाड़ी जानेवाले बच्चों या उनके अभिभावकों से उनके घर जाकर यह पता किया जायेगा कि उन्हें पांच साल पहले आंगनबाड़ी केंद्र में खिचड़ी (पोषाहार के रूप में मिलनेवाला) मिला था या नहीं.
Jharkhand News : जिला प्रशासन ने आंगनबाड़ी केंद्रों में पांच साल पहले किये गये पोषाहार वितरण की जांच कराने का फैसला किया है. इस दौरान तब आंगनबाड़ी जानेवाले बच्चों या उनके अभिभावकों से उनके घर जाकर यह पता किया जायेगा कि उन्हें पांच साल पहले आंगनबाड़ी केंद्र में खिचड़ी (पोषाहार के रूप में मिलनेवाला) मिला था या नहीं. उल्लेखनीय है कि आंगनबाड़ी केंद्र में चलाये जानेवाले पोषाहार वितरण की राशि वितीय साल 2018-19 से लेकर 2020-21 तक के बीच का 16 माह का बकाया रह गया है. इसका बिल आंगनबाड़ी केंद्र संचालिका की ओर से काफी पहले ही जमा कर दिया गया है, लेकिन भुगतान नहीं किया जा रहा है.
2.58 करोड़ रुपये आंगनबाड़ी केंद्रों को करना है भुगतान
भुगतान करने से पहले प्रशासन आश्वस्त होना चाहता है कि पोषाहार का वितरण हुआ है या नहीं. विपत्र के हिसाब से 16 माह का बकाया करीब 2.58 करोड़ रुपये आंगनबाड़ी केंद्रों को भुगतान करना है. भुगतान नहीं होने की वजह से आंगनबाड़ी-सेविका व सहायिकायें आंदोलन कर रही हैं और शुक्रवार से वे सभी भूख हड़ताल शुरू करनेवाली हैं.उनका कहना है कि उन्हें अपनी साख पर किराना दुकानों से सामग्री लेकर बच्चों को पोषाहार खिलाया, लेकिन अब जिला प्रशासन व सरकार इसका भुगतान करने में आनाकानी कर रही है.
पोषहार चलाये बिना विपत्र जमा किया गया
जिला प्रशासन को इस बात का संदेह है कि बिना पोषाहार चलाये ही इसका फर्जी विपत्र जमा किया गया है. भुगतान भी करोड़ो रुपये का करना है. इस वजह से इसकी जांच करानी आवश्यक है. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दो बार पहले भी इसकी जांच को लेकर सीडीपीओ को निर्देश दिया गया था, लेकिन एकाध परियोजना को छोड़कर कहीं से भी जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी ही नहीं गयी. इस बार एक सप्ताह के अंदर जांच कर रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया है. उपविकास आयुक्त की ओर से जारी निर्देश के अनुसार बीडीओ, सीडीपीओ एवं बीईईओ की तीन सदस्यीय कमेटी जांच करेगी.
14 माह से बच्चों को नहीं मिला भोजन
साल 2018-19 से लेकर साल 2020-21 तक के बीच का पोषाहार का वितरण नहीं होने की वजह से बीते वितीय साल 2021-22 के मार्च महीने से अब तक (करीब 14 माह) बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र में खिंचड़ी व नाश्ता नहीं मिला है. उन्हें सिर्फ सूखा चावल ही दिया जा रहा है. इसका असर बच्चों की उपस्थिति पर भी पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि गढ़वा जिले में करीब 1330 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. एक आंगनबाड़ी केंद्र में अधिकतम 40 बच्चे नामांकित होते हैं.
तीन सदस्यीय टीम करेगी जांच
इस संबंध में उपविकास आयुक्त राजेश कुमार राय ने कहा कि राशि का भुगतान करोड़ो में करना है. उन्होंने कहा कि पोषाहार की राशि का दावा तब का है, जब न तो वे यहां पदस्थापित थे और न ही दूसरे पदाधिकारी़ इसलिये इसकी जांच करानी आवश्यक है. उन्होंने कहा कि तीन सदस्यीय टीम इसकी जांच करेगी.
घर से पैसे लगाकर सेविका-सहायिका ने भोजन कराया है
इस संबंध में आंगनबाड़ी कर्मचारी वर्कर्स यूनियन के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बालमुकूंद सिन्हा ने कहा कि सेविका-सहायिकायें अपने घर से पैसे लगाकर बच्चों को भोजन करायी है, लेकिन जब देने की बारी आयी तो पांच साल से कई बहाने किये जा रहे हैं. पहले आवंटन नहीं रहने का बहाना और जांच का बहाना किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अभी जनवरी में ही जांच करायी गयी थी और अब फिर से जांच की जा रही है. सेविका-सहायिकायें इस मामले को लेकर पहले से ही आंदोलन कर रही हैं, शुक्रवार से इसको लेकर भूख हड़ताल किया जायेगा.
आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिकायें भी कलमबंद हड़ताल पर
आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के साथ-साथ अपने 11 माह के वेतन भुगतान को लेकर आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिकायें भी कलम बंद हड़ताल पर हैं. उनका कहना है कि जून 2021 के बाद से उन्हें वेतन नहीं मिला है. भूखे पेट रहकर वे कब तक काम करें, इसलिये मजबूरी में उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है. गढ़वा जिले में 19 स्थायी तथा तीन अनुबंध पर पर्यवेक्षिकायें काम कर रही है.
रिपोर्ट : पीयूष तिवारी