झारखंड के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट में रिसाव, 85.88 लाख की लागत से बना प्लांट है बेकार
कोरोना रिटर्न्स के बीच पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में डीएमएफटी फंड से बने ऑक्सीजन प्लांट में रिसाव हो रहा है. 85 लाख 88 हजार 321 रुपये की लागत से वर्ष 2021 में बने ऑक्सीजन प्लांट से अब तक एक बार भी ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं हुआ है.
चीन समेत कई देशों में कोरोना के कोहराम से भारत भी अलर्ट मोड में है. झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता (Jharkhand Health Minister Banna Gupta) ने भी कहा है कि झारखंड (Jharkhand News) सरकार पूरी तरह से अलर्ट है. सरकार के दावे से इतर अभी व्यवस्था दुरुस्त नहीं दिख रही. न तो ऑक्सीजन का समुचित प्रबंध हुआ है, न ही पर्याप्त संख्या में बेड का इंतजाम किया गया है.
85.88 लाख की लागत से बना था ऑक्सीजन प्लांट
कोरोना रिटर्न्स (Corona Returns) के बीच पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में डीएमएफटी फंड (DMFT Fund) से बने ऑक्सीजन प्लांट में रिसाव हो रहा है. 85 लाख 88 हजार 321 रुपये की लागत से वर्ष 2021 में बने ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant at Chakradharpur Hospital) से अब तक एक बार भी ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं हुआ है.
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टेक्निकल ऑपरेटर की नहीं हुई व्यवस्था
मेसर्स हरि ओम इन्फ्रास्ट्रक्चर हजारीबाग द्वारा लगाये गये प्लांट की पाइपलाइन में लीकेज की वजह से यह चालू नहीं हो सका. प्लांट में टेक्निकल ऑपरेटर की व्यवस्था भी जिला स्वास्थ्य विभाग ने नहीं की. इसका खामियाजा आज भी लोगों को उठाना पड़ रहा है. अस्पताल में प्लांट और पाइपलाइन के वावजूद ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल हो रहा है.
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ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अस्पताल के 60 बेड तक बिछायी गयी पाइप लाईन
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ऑक्सीजन प्लांट शुरू नहीं होने से सिलेंडर से मरीजों को दी जा रही है प्राणवायु
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ऑक्सीजन प्लांट लगने के बाद तीन बार हुआ ट्रायल, नहीं हो सका गैस का उत्पादन
60 बेड तक पाइपलाइन की व्यवस्था
चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में लगाये गये ऑक्सीजन प्लांट से 60 बेड तथा अस्पताल के लेबर रूम, ड्रेसर रूम तक ऑक्सीजन सप्लाई के लिए पाइपलाइन बिछा दी गयी है. इसका उद्देश्य यह है कि जब भी जरूरत पड़े, लोगों को तत्काल ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके, लेकिन अभी भी यहां सिलेंडर का ही इस्तेमाल हो रहा है.
ऑक्सीजन के उत्पादन का तीन बार हुआ ट्रायल
अनुमंडल अस्पताल में लगे ऑक्सीजन प्लांट में ऑक्सीजन के उत्पादन की शुरुआत वर्ष 2021 में ही होनी थी. वर्ष 2022 अब खत्म होने को है, लेकिन यह अब तक चालू नहीं हो सका. प्लांट में गैस उत्पादन की तीन बार कोशिश की गयी. हर बार लीकेज की समस्या आड़े आ गयी. इसलिए प्लांट का लाभ लोगों को नहीं मिला.
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प्लांट को शुरू कराने का हो रहा प्रयास : डॉ अंशुमन शर्मा
चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अंशुमन शर्मा ने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट वर्ष 2021 में बनकर तैयार हो गया था. ट्रायल में ही लीकेज की शिकायत मिली. इसकी जानकारी विभाग के वरीय पदाधिकारियों को दी गयी, लेकिन एक साल बाद भी लीकेज को दुरुस्त नहीं किया जा सका. फलस्वरूप मरीजों को सिलिडेंर से ऑक्सीजन दी जाती है. उन्होंने बताया कि प्लांट में टेक्निकल ऑपरेटर की व्यवस्था भी नहीं है. उन्होंने कहा कि प्लांट को शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है. डॉ शर्मा ने कहा है कि सरकार द्वारा जारी कोरोना गाईडलाइन का सभी लोग पालन करें. मास्क लगायें. सोशल डिस्टैंसिंग का पालन जरूर करें.
स्थानीय लोगों ने ऑक्सीजन प्लांट जल्द चालू करने की मांग की
पुरानी बस्ती के दिनेश जेना ने मांग की है कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग यथाशीघ्र ऑक्सीजन प्लांट को चालू करे, ताकि कोरोना से लोगों को बचाया जा सके. वहीं शीतला मंदिर के पास रहने वाले दीपक पासवान ने कहा कि कोरोना का देखते हुए प्रधानमंत्री ने फंड दिया और ऑक्सीजन प्लांट बना. लेकिन आज प्लांट शुरू नहीं होना चिंता व जांच का विषय है.
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ऑक्सीजन के अभाव में न हो किसी की मौत
पोस्ट ऑफिस रोड में रहने वाले गोनू जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयास व डीएमएफटी फंड से बने ऑक्सीजन प्लांट को क्षेत्र के जनप्रतिनिधि शीघ्र चालू करायें, ताकि आनेवाले समय में कोरोना से लड़ने में आसानी हो. पुरानी बस्ती के वेद प्रकाश दास कहते हैं कि विदेशों में कोरोना महामारी फिर से आ चुकी है. इसे ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ऑक्सीजन प्लांट को जल्द से जल्द शुरू करवाए, ताकि ऑक्सीजन के अभाव में किसी व्यक्ति की मौत न हो.
रिपोर्ट: रवि मोहांती, चक्रधरपुर, पश्चिमी सिंहभूम