प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित उच्च विद्यालय इस्लामपुर में आठवीं के छात्र 12 वर्षीय जीत रजक ने अनोखा प्रोजेक्ट तैयार कर अपनी प्रतिभा से स्कूल प्रबंधन का नाम रोशन किया है. प्रतिभाशाली जीत ने लोगों को निर्बाध बिजली मुहैया कराने के उद्देश्य से कचरे से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया है. इससे न सिर्फ बिजली संकट से निजात मिलेगी. बल्कि जहां-तहां फैले कचरे से भी छुटकारा मिल सकेगा.
इस प्रोजेक्ट का नाम जीत ने ‘जेनरेटिंग एनर्जी फ्रॉम वेस्ट मैटेरियल’ रखा है. जीत विद्यालय के शिक्षक आहेद अली को अपना प्रेरणास्रोत मानता है. दो भाईयों में बड़ा जीत काफी मेहनती है, उसके पिता पलटू रजक मजदूर हैं, तो उनकी माता अर्चना देवी सहिया के रूप में कार्यरत है. जीत आगे बताता है कि वह अपने प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने की ख्वाहिश रखता है.
जीत का प्रोजेक्ट प्लांट पूरी तरह कचरे पर ही निर्भर है. सबसे पहले विभिन्न क्षेत्रों से इकट्ठा किया गया कचरा प्लांट में लाया जाता है, यहां रिसाइक्लिंग होनेवाले कचरों की छंटनी होती है. इसमें रिसाईकिल होनेवाले कचरे को आगे प्रोसेस करने के लिए दूसरे जगह भेज दिया जाता है. ज्वलनशील कचरे को प्रोजेक्ट में लगे भट्ठे में जलने के लिए डाला जाता है, जहां कचरे के जलने से उत्पन्न ऊष्मा से उस भट्ठे से जुड़ा सोलर प्लेट गर्म होता है.
सोलर प्लेट गर्म होने के साथ बिजली आपूर्ति शुरू हो जाती है. इसका संकेत आपूर्ति होने से पूर्व उससे जुड़े इंडिकेटर के माध्यम से पता चलता है. ऑटोमेटिक तरीके से जुड़े एलइडी बल्ब भी जलने लगते हैं. साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सोलर प्लेट से जुड़ा बैटरी भी चार्ज होना शुरू हो जाता है. बैटरी बिजली आपूर्ति न होने की दशा में बैकअप के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा.
जीत ऑटोमेटिक अग्निशामक यंत्र प्रोजेक्ट पर भी कार्य कर रहा है. वह बताता है कि आग लगने से व्यापारियों को लाखों का नुकसान होता है. इसी वजह से उसका यह प्रोजेक्ट बड़े कल-कारखानों के लिए है, जहां यह यंत्र आग लगने की स्थिति में सबसे पहले साइरन के जरिये लोगों को अलर्ट करेगा. इसके बाद बोरिंग से जुड़े पाइप से पानी की सप्लाई करेगा तथा आग बुझायेगा. वहीं, इसका एक सेंसर कल-कारखाने के मालिक के घर पर लगा रहेगा, जो उन्हें आग लगने के बारे में तुरंत सूचित करेगा.
रिपोर्ट- अभिजीत कुमार