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झारखंड : मलेशिया में नौकरी दिलाने के नाम पर साहिबगंज के 3 युवकों से लाखों की ठगी

साहिबगंज के तीन युवकों से मलेशिया में नौकरी दिलाने के नाम पर पांच लाख 40 हजार रुपये की ठगी का मामला सामने आया है. इस दौरान युवकों को बगैर वीजा और पासपोर्ट के मलेशिया में चोरी-छुपे प्रवेश करा दिया गया. इसके बावजूद वहां नौकरी नहीं मिला.

Jharkhand Crime News: साहेबगंज जिला अंतर्गत जिरवाबाड़ी ओपी क्षेत्र के मजहर टोला निवासी तीन युवकों से मलेशिया में नौकरी दिलाने के नाम पर पांच लाख 40 हजार रुपये की ठगी की गयी. यही नहीं युवकों को बगैर वीजा व पासपोर्ट के मलेशिया में चोरी-छुपे प्रवेश करा दिया गया. वहां पहुंचकर जब नौकरी नहीं मिली तो ये लोग किसी तरह भाग कर साहेबगंज पहुंचे व थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज करायी.

कैसे हुए ठगी के शिकार

पीड़ित तीन युवकों ने गुरुवार की दोपहर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए थाने में दिये आवेदन के माध्यम से बताया कि मजहर टोला का रहनेवाला मो मुख्तार ने उन तीनों युवकों से पांच लाख 40 हजार रुपये विदेश भेजने के नाम पर लिया. 21 मार्च से कोलकाता से बैंकॉक और फिर वहां से पानी के रास्ते मलेशिया में अवैध रूप से प्रवेश कराया गया. आरोप लगाया है कि मुख्तार ने वीजा देने का वादा किया था. बगैर वीजा और पासपोर्ट में मोहर के बिना गैर कानूनी तरीके से मलेशिया में दाखिल करवाया गया. इसके बाद पांच दिन कमरे के बाहर से नहीं निकलने दिया. युवकों ने ओपी प्रभारी से मलेशिया भेजनेवाले पर कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया है. ओपी प्रभारी चिरंजीत प्रसाद ने बताया कि पुलिस छानबीन में जुट गयी है. युवकों से पूछताछ की गयी है. विदेश भेजनेवाले गिरोह की तलाश की जा रही है.

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मोटर बोट व बस से पहुंचे मलेसिया, नहीं मिला काम

तीनों युवकों ने बताया कि जब उन्हें मलेशिया भेजने की बात तय हुई तो घर में खुशी का माहौल था. वह कोलकाता गये. वहां से बैंकॉक भेजा गया. वहां के बाद पानी के रास्ते से मलेशिया में जाने की कवायद शुरू की गयी. इसके बाद शक हुआ कि हमें पानी के रास्ते से क्यों ले जाया जा रहा है. मोटर बोट पर बैठे एक व्यक्ति ने छुप कर लेटने की बात कही, तो हमलोगों को संदेह हो गया कि कहीं न कहीं हम सब गलत तरीके से विदेश जा रहे हैं. इसके बाद बस से ले जाया गया. सुनसान इलाके में बताया गया कि यहां से सीधे प्रवेश करने के बाद सामने बॉर्डर आयेगा. अंदर प्रवेश कर जाना तो मलेरिया पहुंच जाओगे. चूंकि हम सब ने पैसे दे रखे थे, तो जैसा बताया वैसा किया. मलेशिया पहुंचने के बाद काम पर कोई रखने को तैयार नहीं हुआ. वीजा न होने पर धोखाधड़ी का अहसास हुआ. फिर हम लोग उसी रास्ते से घर लौट गये.

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