Varanasi News: वाराणसी को मोक्ष नगरी कहा जाता है. वाराणसी के गंगा घाट पर बैठकर आप जीवन की सच्चाई से रूबरू हो सकते हैं. कहते हैं वाराणसी की धरती पर उन्हें ही रहने का अवसर मिलता है, जिन्हें महादेव बुलाते हैं. इसी पावन नगरी में कुछ ऐसा भी है, जो इस अद्भुत शहर को सवालों में खड़ा करता है. एक तो धार्मिक नगरी और उसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र. आप सोचते होंगे, यहां सबकुछ है. अगर ऐसी बात है तो हम आपको वाराणसी का एक सच बताना चाहते हैं.
वाराणसी में बीएचयू अस्पताल है. इस पर पूर्वांचल से लेकर बिहार और झारखंड तक के लोगों का भरोसा है. रविवार को गाजीपुर से वृद्ध मां को इलाज के लिए लेकर आए भरत यादव बेबस दिखे. वो अपनी मां को कंधे पर लादकर काफी देर तक घूमते रहे. बीएचयू अस्पताल प्रबंधन और स्टाफ के आगे गिड़गिड़ाते रहे. किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया. वो मां को कंधे पर लेकर ही बीएचयू परिसर में देर तक घूमते दिखे.
जब पत्रकारों ने भरत यादव से बात की तो उन्होंने भरी आवाज में बताया कि वो उम्मीद में आए थे कि मां को अच्छी इलाज मिलेगी. मां घुना देवी को सांस लेने में दिक्कत है. इसी वजह से वो गाजीपुर से मां को लेकर बीएचयू पहुंचे. मगर स्ट्रेचर देने में अस्पताल प्रबंधन ने कोई मदद नहीं की. इसके बाद वो मां को कंधे पर लादकर इलाज की कोशिश में जुट गए. उन्होंने पूछा कि मां को जिंदा रखने के लिए क्या करें?
भरत यादव कहते हैं कि मां को इस हालत में बिना इलाज कराए नहीं छोड़ सकता. भरत यादव ने बताया कि वो मां को कंधे पर लादकर डॉ. ओम शंकर के पास गए. उन्होंने चौथी मंजिल पर कार्डियोलॉजी विभाग में जाने को कहा. लिफ्ट खराब थी. मां को पीठ पर लादकर चौथी मंजिल तक का सफर पूरा किया.
भरत यादव की मानें तो सिक्यूरिटी रूम में भी जाकर उन्होंने स्ट्रेचर मांगा. किसी ने नहीं दिया. कई लोग स्ट्रेचर लेकर खड़े थे. मगर, यह कहकर देने से इनकार कर दिया कि उनको समान ढोना है. उन्होंने हाथ जोड़कर गुहार लगाई. किसी ने उनकी नहीं सुनी. इस मसले पर बीएचयू प्रबंधन ने कुछ नहीं कहा है.
(रिपोर्ट: विपिन सिंह, वाराणसी)
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