झारखंड में किशन ने शौक से शुरू किया गौपालन, गिर गाय के दूध की इस वजह से बढ़ने लगी डिमांड
झारखंड के कोडरमा जिले के झुमरी तिलैया में गिर गाय के दूध (Gir cow milk) की डिमांड बढ़ने लगी है. ए-2 दूध (A-2 milk) मधुमेह, उच्च रक्तचाप समेत कई बीमारियों के लिए फायदेमंद है. यह दूध विदेशी नस्ल की जर्सी व अन्य गायों की तुलना में ज्यादा सुपाच्य व सेहतमंद होता है.
Jharkhand News, कोडरमा न्यूज (विकास) : कहते हैं कुछ अलग करना है तो उसे पूरा करने के लिए पहले शौक पालिए. शौक से असभंव काम भी संभव हो जाता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है शहर के व्यवसायी व उद्यमी किशन संघई ने. झुमरीतिलैया जैसे छोटे शहर, जहां सामान्य दूध की खरीद को लेकर एक तबके को कुछ देर के लिए सोचना पड़ता है वहां महंगी गिर गाय के दूध (Gir cow milk) की डिमांड बढ़ गयी है.
वह भी तब जब गिर गाय को कोडरमा लाना व उसको पालना आसान नहीं है. बावजूद अपने शौक व जुनून के बल पर किशन ने गिर गाय की गौशाला तैयार कर दी. आसपास के जिलों में इस तरह की गौशाला का संचालन अभी तक नहीं हो रहा है. ऐसे में अब इनकी गौशाला के चर्चे भी शुरू हो गए हैं. जानकारी के अनुसार वैश्विक महामारी कोरोना के बाद हर कोई अपनी सेहत पर भले ही ध्यान दे रहा है, पर इससे पहले ही अच्छी सेहत को ध्यान में रखते हुए किशन संघई व झुमरीतिलैया शहर के दो-तीन अन्य लोगों ने गुजरात से गिर गाय मंगाई.
शुरुआत में अपने घर-परिवार में ही दूध की खपत हो जा रही थी, पर जैसे ही कोरोना ने दस्तक दी और सेहत की तंदुरुस्ती को लेकर चिंता बढ़ी. हर किसी ने खाने-पीने का शौक बढ़ा लिया. खासकर इम्यूनिटी बढ़ाने पर लोगों का ध्यान जाने लगा. इस बीच गिर गाय के दूध की बिक्री शुरू होने पर इसे पीने वालों की संख्या बढ़ती चली गई. किशन संघई ने जहां तीन गाय से अपने गौशाला की शुरुआत की थी, वहां अब 13 गाएं हैं. विशुनपुर रोड में संचालित उनकी इंद्रकांता गिर गाय गौशाला आज ब्रांड बन चुका है.
गिर गाय के दूध की विशेष रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण कई लोग इसकी डिमांड कर रहे हैं. अधिकतर लोग अपने परिवार में सेहतमंद ए-2 दूध (A-2 milk) की जरूरतों की पूर्ति के लिए इसे खरीद रहे हैं. किशन की मानें तो गिर नस्ल की गाय पूरी तरह स्वदेशी होती है. ये गाय गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के गिर जंगल की होती है. वे बताते हैं कि शहर में ए-टू मिल्क उपलब्ध नहीं हो पाता था. बाजार में उपलब्ध जर्सी गाय का दूध ए-वन मिल्क है. इसलिए कई लोगों ने मिलकर गिर गाय पालने का निर्णय लिया.
Also Read: Weather Update : झारखंड में Monsoon कब तक रहेगा सक्रिय, कब से होगी भारी बारिश, आज यहां हैं बारिश के आसारगुजरात में गिर गाय की कीमत एक लाख से 3.5 लाख रुपये तक है. वहां से कोडरमा लाने में करीब 25 हजार की लागत आती है. गाय का रखरखाव भी प्रशिक्षित लोगों द्वारा की जाती है. वर्तमान में 70 रुपये प्रति किलो की दर से दूध की बिक्री हो रही है, जबकि बड़े शहरों में गिर गाय का दूध 120-150 रुपये या इससे अधिक की कीमत में मिलती है.
किशन कहते हैं कि गिर गाय को पालना व्यावसायिक दृष्टिकोण से काफी महंगा है. गिर गाएं जर्सी गायों की तुलना में काफी कम दूध देती हैं. इनका रखरखाव व दाना-पानी भी काफी महंगा है. गिर गाएं प्रतिदिन 8 से 12 लीटर दूध देती हैं. इनके अनुसार शहर में चुनिंदा लोग इस गाय के दूध की डिमांड कर रहे हैं. अभी सुबह-शाम मिलाकर करीब 50 लोगों के यहां दूध जा रहा है. दूध को पैक करने से लेकर पहुंचाने तक की प्रक्रिया में शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है.
Also Read: Dhanbad Judge Murder Case : झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस CBI जांच की करेंगे निगरानीगौशाला में बल्क मिल्क चिलर मशीन भी लगाई गई है. साथ ही दूध को विशेष बोतल में पैक कर लोगों के घर तक पहुंचाया जाता है. उनकी मानें तो मैंने यह गौशाला आमदानी बढ़ाने की सोच के साथ शुरू नहीं की है. गो सेवा का ध्येय व अच्छी सेहत के लिए यह शुरुआत की गई है. इसमें लोगों का भी सहयोग मिल रहा है.
ए-2 दूध मधुमेह, उच्च रक्तचाप समेत कई बीमारियों के लिए फायदेमंद है. यह दूध विदेशी नस्ल की जर्सी व अन्य गायों की तुलना में ज्यादा सुपाच्य व सेहतमंद होता है. जानकारी के अनुसार साढ़े तीन लीटर ए-2 दूध में आठ ग्राम प्रोटीन पायी जाती है. इसमें ए-1 कैसिइन प्रोटीन कम पाई जाती है जबकि ए-2 कैसिइन प्रोटीन की प्रचुरता रहती है जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है.
Posted By : Guru Swarup Mishra