गिरिडीह : हर्षोल्लास के साथ मनी गोवर्धन पूजा, बरदखूंंटा मेले का आयोजन

उल्लीबार के पूर्व पंसस ने बताया कि प्रतिपदा तिथि को सभी गो पालक सुबह से ही अपने गाय, बैल, भैंस आदि को नहला-धुलाकर उन्हें सजाते हैं. उनकी पूजा की जाती है. परंपरा के अनुसार गाय के दूध को शिव मंदिर में चढ़ाकर गोवर्धन की पूजा की जाती है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 15, 2023 12:11 PM

सरिया प्रखंड अंतर्गत विभिन्न गांवों में गोवर्धन पूजा की धूम रही. उल्लीबार, मोकामो तथा गोविंदपुर गांवों में गोवर्धन पूजा के साथ-साथ मेले का आयोजन भी किया गया. गोवंश की पूजा कर उसे नचाया गया. तीन दिनों तक मनाये जाने वाले इस पर्व के बारे में उल्लीबार के पूर्व पंसस कौलेश्वर मंडल तथा लुटन मंडल ने बताया कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को उल्लीबार गांव में मां काली की पूजा की जाती है.

गोवर्धन पूजा में लगाये जाते हैं 56 भोग 

उल्लीबार के पूर्व पंसस ने बताया कि प्रतिपदा तिथि को सभी गो पालक सुबह से ही अपने गाय, बैल, भैंस आदि को नहला-धुलाकर उन्हें सजाते हैं. उनकी पूजा की जाती है. परंपरा के अनुसार गाय के दूध को शिव मंदिर में चढ़ाकर गोवर्धन की पूजा की जाती है. द्वितीया को गोवंश का विशेष पूजन-अर्चन कर 56 प्रकार के भोग लगाते हैं. मंगलवार को गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति दरवाजे पर बनाकर सभी गो पालकों ने मंगलवार को पूजा की. बताया कि उल्लीबार गांव में 1900 ई से भगवान गोवर्धन की पूजा होते आ रही है.

उल्लीबार में 57 साल से हो रही काली पूजा 

ग्रामीणों ने कहा कि 1966 ई से गांव में लोग मंदिर स्थापित कर कार्तिक अमावस्या से तीन दिनों तक श्यामा काली की मूर्ति स्थापित कर उनकी विधिवत पूजा होती आ रही है. अंत में भंडारा के साथ प्रतिमा विसर्जित की जाती है. पुजारी राम लखन पांडेय तथा नंदकिशोर पांडेय मां काली की पूजा कराते हैं. काली पूजा के लिए बनी समिति में अध्यक्ष सुनील मंडल, सचिव विजय मंडल, कोषाध्यक्ष आशीष मंडल, उपाध्यक्ष दिलीप मंडल, उप सचिव सचिन मंडल, उप कोषाध्यक्ष विनोद मंडल, मीडिया प्रभारी सुरेश मंडल हैं. 21 सदस्यीय कार्यकारिणी भी है.

गोविंदपुर व मोकामो में बरदखूंटा 

गोविंदपुर तथा मोकामो गांव में आयोजित बरदखूंटा मेले में मंगलवार को गोवंश की साज-सज्जा कर उनकी पूजा की गयी. मांदर की थाप पर लोगों ने बैलों को नचाया. खुद भी झूमे. ग्रामीणों ने मेले का आनंद लिया. मेले में डुगलाल महतो, मुरली महतो, राजेंद्र प्रसाद, लोकनाथ प्रसाद महतो, कालेश्वर महतो, सुनील कुमार निराला, रमन कुमार, उमेश कुमार, नेमचंद महतो, खेमलाल महतो आदि का सराहनीय योगदान रहा.

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