गिरिडीह : 32 हाथियों का झुंड दो गुट में बंटा, तीसरा झुंड बगोदर में मचा रहा है उत्पात
पिछले एक सप्ताह से गांडेय व ताराटांड़ क्षेत्र में उत्पात मचाने के बाद हाथियों का झुंड शहर से सटे इलाके में दस्तक दे दिया है. इससे दहशत का माहौल है.
प्रतिनिधि, गिरिडीह : पिछले एक सप्ताह से गांडेय व ताराटांड़ क्षेत्र में उत्पात मचाने के बाद हाथियों का झुंड शहर से सटे इलाके में दस्तक दे दिया है. इससे दहशत का माहौल है. पिछले रविवार की रात को हाथियों का झुंड बांकीखुर्द होते हुए पहरीबोन, बाघाडीह पहुंचा था. झुंड में करीब 32 हाथी थे. ग्रामीणों ने हाथियों के खदेड़ कर जामताड़ा जिला के बनखंजों पहुंचा दिया था. सोमवार को हाथियों के झुंड ने अहिल्यापुर थाना क्षेत्र के कोरियाद निवासी मो. जैनुल एवं उसकी पोती नूरजहां खातून को कुचल कर मार डाला. इसके बाद रात में झुंड केनारी, कुंडलवादह होते हुए ताराटांड़ व वहां से यू टर्न लेते हुए फुलची होते हुए मंगलवार को कैराडीह पहुंच गया. वन विभाग की टीम ने हाथियों को किसी तरह खदेड़ कर उसरी फॉल तक लाने का प्रयास किया. इस दौरान हाथी दो गुट बिछड़ गये. एक गुट फुलची पंचायत के नीमाटांड़ पहुंचा जहां बुधवार की रात करंट से एक हाथी की मौत हो गयी. ग्रामीणों के अनुसार एक गुट में 10-12 हाथी को ग्रामीणों ने खदेड़ कर बड़कीटांड़ जंगल पहुंचाया था जो वर्तमान में टुंडी इलाके के जाताखुंटी में डेरा जमाये हुए है. जबकि दूसरे झुंड में शामिल 15-20 हाथी को फुलची व उदनाबाद पंचायत की सीमावर्ती क्षेत्र, चतरो-गगनपुर, उसरी वाटर फॉल में विचरण करते देखा गया है. इससे इस क्षेत्र के लोग काफी डरे हुए हैं. उन्हें आशंका सता रही है कि कहीं झुंड हमला कर दे.
चार हाथियों के झुंड ने किसानों की फसलों को रौंदा
बगोदर प्रखंड में एक बार फिर हाथियों ने दस्तक दिया है. चार हाथियों के झुंड ने बगोदर थाना क्षेत्र के बेको में गुरुवार की देर रात आधा दर्जन से अधिक किसानों के खेतों में लगी धान की फसलों को रौंद दिया है. प्रभावित किसानों में योगेंद्र यादव, जागेश्वर यादव, संतोष यादव, रूपलाल साव, कैला साव, माथुर साव, अशोक यादव शामिल हैं. गांव के मनीष कुमार का केला के पेड़ और स्ट्रॉबेरी के पौधे को भी हाथियों ने नष्ट कर दिया है. मनीष ने बताया कि हाथियों के झुंड ने एक एकड़ में लगाये करीब 150 तैयार केले का पेड़ को उखाड़ दिया है. वहीं खेत में स्ट्रॉबेरी के पौधे को नष्ट कर दिया है. मोटर पंप और आलू, मटर की भी फसलों को नुकसान पहुंचाया है. इससे उसे दो लाख रुपये की क्षति हुई है. अशोक यादव ने बताया कि करीब एक एकड़ में लगी धान की फसलों को रौंद दिया है. सूचना पर पंसस प्रतिनिधि इश्तियाक अंसारी गांव पहुंचे. उन्होंने इसकी जानकारी वन विभाग को दी. सूचना पर वनपाल सुजीत कुमार ने गांव पहुंचकर किसानों के हुए नुकसान का जायजा लिया. वन कर्मी ने बताया कि बगोदर प्रखंड के भरदेश अडवारा क्षेत्र से चार हाथियों का झुंड पहुंचा है. इसमें एक बच्चा भी है. यह झुंड चौधरीबांध होते हुए बेको में उत्पात मचाया है. फिलहाल झुंड बेको के जंगल में डेरा जमाए हुए है. सितंबर माह से बगोदर क्षेत्र हाथी उत्पात मचा रहे हैं. किसानों ने क्षतिपूर्ति के लिए वन विभाग को आवेदन भी दिया, लेकिन उन्हें अभी तक मुआवजा का नहीं मिला है. इससे किसानों में वन विभाग के प्रति नाराजगी है.
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ग्रामीणों के आवेदन पर नहीं हुई कार्रवाई, गजराज की मौत पर जागा विभाग
यदि प्रशासन ग्रामीणों के आवेदन के आलोक में काम करता तो हाथी की जान नहीं जाती. जमीन से महज छह-सात फीट ऊपर गुजरे 11 हजार के विद्युत तार की चपेट में आकर हाथी की मौत के बाद ग्रामीणों ने मांग को सार्वजनिक करते हुए आक्रोश व्यक्त किया. हालांकि, हाथी की मौत के बाद विभाग की तंद्रा भंग हुई और तत्काल एक पोल लगाकर खानापूर्ति कर दी गयी. ग्रामीणों ने बताया कि प्रखंड के फुलची पंचायत अंतर्गत शंकरडीह से पंचरुखी जाने वाले मार्ग के समीप 11 हजार वाल्ट का तार जमीन से झूल रहा है. इससे ग्रामीणों को हमेशा भय बना रहता है. ग्रामीणों ने उक्त मामले को ले मुखिया व अन्य पंचायत प्रतिनिधियों की अनुशंसा के बाद 21 मार्च को अनुमंडल पदाधिकारी को आवेदन देकर पहल की मांग की थी. इतना ही नहीं आवेदन की प्रतिलिपि बिजली विभाग के अधिकारियों को भी दी गयी थी. इसके बाद भी तार दुरुस्त नहीं किया गया. आवेदन पर प्रदीप कुमार राणा, विनोद प्रसाद वर्मा, गंगाधर वर्मा, लुटन वर्मा, मनोज वर्मा, अरुण वर्मा, चुरामन महतो, गणेश वर्मा, किरण देवी, नितेश राणा, सुरेश राणा, विपुल चौधरी समेत काफी संख्या में लोगों ने हस्ताक्षर किया था. फुलची पंचायत के मुखिया लॉरेंस सुनील सोरेन ने कहा कि करंट से हाथी की मौत पर ग्रामीणों के हो हंगामे के बाद तत्काल घटनास्थल पर एक विद्युत पोल लगाकर खानापूर्ति कर दी गयी है. कहा कि नीमाटांड़ में पांच पोल की जरूरत है. वहीं, फुलची-पंचरुखी-शंकरडीह के रास्ते मे भी झूले तार को दुरुस्त नहीं किया गया है. यदि ग्रामीणों के आवेदन पर तत्काल पहल होती तो हाथी की जान न जाती.