21 माह से बंद है गिरिडीह ओपेनकास्ट, राजस्व का हो रहा नुकसान
गिरिडीह कोलियरी का संचालन 1857 से हो रहा है. गिरिडीह ओपेनकास्ट काफी पुरानी माइंस है. इस माइंस ने कई उतार-चढ़ाव देखा है. सीसीएल सूत्रों के अनुसार यहां परियोजना में प्रचूर कोयला का भंडार है. बेहतर तरीके से माइनिंग कार्य किये जाने पर कई साल तक यहां से उत्पादन हो सकता है.
सूरज सिन्हा, गिरिडीह : सीसीएल गिरिडीह कोलियरी अंतर्गत गिरिडीह ओपेनकास्ट में पिछले 21 माह से कोयला का उत्पादन ठप है. इससे एक ओर जहां सीसीएल और सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर कोयला व्यवसाय से जुड़े लोग भी आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं. ओपेनकास्ट में एक जनवरी 2022 से कोयला का उत्पादन बंद है. जमीन विवाद समेत इसी व सीटीओ के अभाव में उत्पादन नहीं हो रहा है. वैसे इन मुद्दों को सुलझाने के लिए सीसीएल प्रयास कर रही है. वन विभाग के साथ जमीन के विवाद के मामले में सुनवाई की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. माना जा रहा है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जायेगा. इसके बाद इसी व सीटीओ के लिए प्रक्रिया शुरू होगी.
काफी पुरानी है माइंस, प्रचुर मात्रा में है कोयला
मालूम रहे कि गिरिडीह कोलियरी का संचालन 1857 से हो रहा है. गिरिडीह ओपेनकास्ट काफी पुरानी माइंस है. इस माइंस ने कई उतार-चढ़ाव देखा है. सीसीएल सूत्रों के अनुसार यहां परियोजना में प्रचूर कोयला का भंडार है. बेहतर तरीके से माइनिंग कार्य किये जाने पर कई साल तक यहां से उत्पादन हो सकता है. इस माइंस से सीसीएल और सरकार का अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त होता है. कई लोगों की आजीविका चलती है. इसलिए गिरिडीह ओपेनकास्ट को चालू कराने की दिशा में सीसीएल के साथ-साथ गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू भी प्रयासरत हैं. विधायक लगातर प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क स्थापित कर समस्या समाधान में लगे हुए हैं. इधर, माइंस के बंद रहने के कारण यहां पर सन्नाटा पसरा रहता है. सीसीएल अधिकारी, कर्मी व सुरक्षा प्रहरी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, पूर्व की तरह चहल-पहल नहीं दिखता है. कबरीबाद माइंस के चालू होने के बाद कई मशीनों को यहां पर शिफ्ट किया गया है. अब सभी को इस माइंस से उत्पादन चालू होने का बेसब्री से इंतजार है.
आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं असंगठित मजदूर
ओसीपी में कोयला का उत्पादन बंद रहने के कारण यहां के असंगठित मजदूर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. रोड सेल पर लगभग तीन हजार से अधिक कोयला मजदूर निर्भर हैं. रोजगार के अभाव में असंगठित मजदूर पलायन करने पर विवश हैं. पिछले 20 माह में यहां के कई मजदूर दिल्ली, कोलकाता, पंजाब, गुजरात समेत अन्य प्रदेशों में पलायन कर चुके हैं. झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के सचिव तेजलाल मंडल ने कहा कि रोजगार के अभाव में संगठित मजदूरों के समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो रही है. कहा कि इस क्षेत्र की खुशहाली के लिए ओपेनकास्ट का सुचारू रूप से संचालन जरूरी हो गया है. भाजपा नेता मनोज सिंह ने कहा कि ओसीपी से जल्द कोयला का उत्पादन चालू कराने की दिशा में प्रयास तेज करने की जरूरत है, ताकि कोयला व्यवसायी से लेकर रोड सेल से जुड़े मजदूरों का जीवन-यापन बेहतर रूप से हो सके.
अगले वित्तीय वर्ष में चालू होने की उम्मीद : पीओ
गिरिडीह कोलियरी के परियोजना पदाधिकारी एसके सिंह ने बताया कि गिरिडीह ओपेनकास्ट वर्ष 2022 से बंद है. वन विभाग के साथ जमीन के मामले को लेकर कुछ विवाद था. यह लगभग सुलझा लिया गया है. अगले वित्तीय वर्ष में इसके चालू होने की उम्मीद है. इसके बंद रहने के कारण पांच-छह लाख टन कोयला का उत्पादन नहीं हो पा रहा है.
गिरिडीह ओपेनकास्ट में कोयला उत्पादन की स्थिति
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वित्तीय वर्ष – उत्पादन (टन में)
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1993-94 – 78 हजार
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1994-95 – 82 हजार
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1995-96 – 85 हजार
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1996-97 – 79 हजार
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1997-98 – 90 हजार
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1998-99 – 47 हजार
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1999-2000 – 81 हजार
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2000-01 – 65 हजार
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2001-02 – 1 लाख
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2002-03 – 1.34 लाख
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2003-04 – 1.90 लाख
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2004-05 – 1.40 लाख
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2005-06 – 1.66 लाख
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2006-07 – 1.77 लाख
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2007-08 – 2.03 लाख
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2008-09 – 2.10 लाख
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2009-10 – 2.11 लाख
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2010-11 – 2.27 लाख
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2011-12 – 3.43 लाख
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2012-13 – 3 लाख
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2013-14 – 3 लाख
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2014-15 – 2.92 लाख
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2015-16 – 2.32 लाख
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2016-17 – 1.82 लाख
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2017-18 – 4.51 लाख
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2018-19 – 1.87 लाख
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2019-2020 – 1.28 लाख
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2020-21 – 1.15 लाख
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2021-22 – 99 हजार
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2022-23 – शून्य
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2023-24 (सितंबर 2023) – शून्य
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