सऊदी अरब में फंसे झारखंड के 45 मजदूरों ने साल के अंतिम दिन फिर सरकार से वतन वापसी को लेकर गुहार लगायी है. पांचवीं बार मजदूरों ने वीडियो साझा करते हुए अपनी पीड़ा सुनायी है. कहा है कि उनके सामने अब भोजन का संकट खड़ा हो गया है. खाने-पीने के लिए कुछ नहीं है और ना ही पैसे हैं. कहा कि सरकार वतन वापसी कराने में पहल करे, ताकि वह सुरक्षित अपने घर पहुंच सकें. मालूम रहे कि 11 मई को सभी मजदूर कॉमर्शियल टेक्नोलॉजी कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट पर ट्रांसमिशन लाइन में काम करने के लिए सऊदी अरब गये थे. कंपनी सात महीना काम करवाकर दो महीने की मजदूरी दी है. बकाया मांगने पर टालमटोल करने लगी. इसके बाद मजदूरों ने हड़ताल की तो कंपनी ने खाना-पीना देना तक बंद कर दिया. फंसे हुए मजदूरों में बगोदर प्रखंड के तारानारी के अर्जुन महतो, भागीरथ महतो, टेकलाल महतो, बेको के संतोष साव, महेश साव, कामेश्वर साव, खेतको के महेश महतो, रीतलाल महतो, विजय महतो, मुंडरो के अशोक महतो, जरमुन्ने के सोहन कुमार, समेत गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो के विभिन्न प्रखंड के हैं.
प्रवासी श्रमिक का शव पहुंचने पर मातम
देवरी प्रखंड के जमडीहा गांव निवासी प्रवासी श्रमिक हाकिम अंसारी (43) का पार्थिव शरीर रविवार को गांव पहुंचते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. प्रवासी श्रमिक की मौत हो जाने की घटना की सूचना पर जमुआ के विधायक केदार हाजरा ने जमडीहा पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी. मृतक हाकिम अंसारी के भाई जैनुल अंसारी के मुताबिक हाकिम अंसारी महाराष्ट्र के भंडारा में चालक था. बीते गुरुवार (28 दिसंबर) को अचानक सीने में तेज दर्द होने की जानकारी परिजनों को फोन से दी. दर्द से राहत मिलने के बाद फोन करने की बात कही. दुबारा फोन करने पर पता चला कि उसकी मौत हो चुकी थी.