गीताप्रेस से प्रकाशित दुर्गा सप्तशती की नवरात्र में बढ़ जाती है मांग, यहां होती है सबसे ज्यादा बिक्री
गीताप्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि गीता प्रेस की पटना ब्रांच में दुर्गासप्तशती पुस्तक की ज्यादा सेलिंग होती है, क्योंकि बंगाल के पूर्वी इलाके के सटे होने से वहां दुर्गासप्तशती का पाठ ज्यादा होने के कारण यह पुस्तकें ज्यादा बिकती हैं.
Gorakhpur News: विश्व प्रसिद्ध गीताप्रेस का अपना एक अलग स्थान है. धार्मिक ग्रंथों की छपाई का इतिहास कायम करने में पहला स्थान गीता प्रेस ही है. पूरी दुनिया में धार्मिक किताबों के छापने का सबसे ऐतिहासिक कारखाना जो लगभग 96 सालों से पूरी दुनिया में अपनी हनक बनाए हुए है. अगर हम दुर्गासप्तशती पुस्तक की बात करें तो गीताप्रेस से छपने वाली इस पुस्तक की मांग नवरात्र में ज्यादा हो जाती है, जिसको लेकर गीताप्रेस प्रशासन पहले से ही पुस्तकों की छपाई शुरु कर देती है.
चैत्र नवरात्रि जल्द ही आने वाली है, जिसको लेकर गीता प्रशासन ने पहले से ही लगभग एक लाख पुस्तकों की छपाई का लक्ष्य रखा है. यह पुस्तकें बनकर तैयार होने की कगार पर है.
गीताप्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि गीता प्रेस की पटना ब्रांच में दुर्गासप्तशती पुस्तक की ज्यादा सेलिंग होती है, क्योंकि बंगाल के पूर्वी इलाके के सटे होने से वहां दुर्गासप्तशती का पाठ ज्यादा होने के कारण यह पुस्तकें ज्यादा बिकती हैं. दुर्गासप्तशती गीताप्रेस में 7 भाषाओं में प्रकाशित होती है.
गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि शक्ति की उपासना वाले लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं. हमारे पास दुर्गा सप्तशती 7 भाषाओं हिंदी, संस्कृत, गुजराती, बंगाली, उड़िया, मलयालम इन सभी भाषाओं में उपलब्ध हैं. इस पुस्तक की सर्वाधिक बिक्री हमारे पटना शाखा से होती है. उन्होंने बताया कि चैत्र नवरात्र से ज्यादा शारदीय नवरात्र में इस पुस्तक की बिक्री होती है. इस नवरात्र में शारदीय नवरात्र की अपेक्षा रामचरितमानस की बिक्री ज्यादा होती है ,शारदीय नवरात्र में हम लोग ढाई लाख से ज्यादा दुर्गा सप्तशती की पुस्तक का स्टाक रखते हैं.
लालमणि तिवारी ने बताया कि हमारे पटना ब्रांच के अलावा दुर्गासप्तशती पुस्तक की बिक्री वाराणसी, रांची, कानपुर, दिल्ली, भीलवाड़ा, इंदौर सहित जो हिंदी भाषी एरिया है, वहां बहुत अधिक होती है. हम लोग की यहां जो पुस्तकें प्रकाशित होती हैं, उनकी कीमत लागत मूल्य से कम हम लोग रखते हैं. इसके लिए हम लोग किसी से डोनेशन नहीं लेते हैं, लेकिन जो कीमत कम होती है, उसकी पूर्ति हम अपने अन्य संसाधनों से कमाकर पूरा करते हैं.
लालमणि तिवारी ने बताया कि गीताप्रेस का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है, इसलिए अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें महंगी है, यह हम नहीं कह सकते. क्योंकि वह व्यवसाय की दृष्टि से पुस्तक छाप रहे हैं, जिनके ऊपर उनका जीविकोपार्जन चल रहा है. इसलिए हम लोग और किसी प्रकाशक से अपनी तुलना नहीं करते हैं.
फोटो रिपोर्ट- कुमार प्रदीप गोरखपुर