धनबाद : जामा मस्जिद के प्रांगण में जोरदार आवाज के साथ बना गोफ, दहशत में ग्रामीण
धनबाद में एक के बाद एक अचानक गोफ बनने से लोग दहशत में हैं. गुरुवार की अहले सुबह सिजुआ में 22/12 स्थित जामा मस्जिद के परिसर में जोरदार आवाज के साथ गोफ बन गया. जिससे एक बार फिर से लोगों में दहशत का महौल उतपन्न हो गया है.
धनबाद, संजीव झा : धनबाद जिले के सिजुआ क्षेत्र के जोगता में सोमवार को अहले सुबह हुई गोफ व भू- धंसान की घटना से अभी लोग उबर भी नहीं पाये थे कि गुरुवार की अहले सुबह 22/12 स्थित जामा मस्जिद के परिसर में जोरदार आवाज के साथ गोफ बन गया. जिससे एक बार फिर से लोगों में दहशत का महौल उतपन्न हो गया है. स्थानीय लोगों में बीसीसीएल प्रबंधन के प्रति रोष है. लोगों का आरोप है कि बीसीसीएल जानबुझकर पुनर्वास के कार्यो में लापरवाही बरत रही है. इसके पीछे उनकी मंशा है कि बार-बार गोफ की घटना घटित होता रहे ताकि 22/12 के लोग डरकर खुद ही पलायन कर जाएं. जिससे कि बीसीसीएल को पुनर्वास कराने की जरूरत ही ना पड़े.
कैसी घटी घटना
बता दें कि बुधवार की रात इलाके में जोरदार बारिश हुई थी. इलाके के लोग अपने-अपने घरों में सो रहे थे. तभी अहले सुबह अचानक जोरदार की आवाज हुई. जिसके बाद आसपास के लोगों ने बाहर निकलकर देखा तो जामा मस्जिद के प्रांगण में एक बड़ा सा गोफ बन गया था और उसमें से जहरीली गैस निकल रही थी. इसके बाद लोगों ने इसकी जानकारी मोदीडीह कोलियरी प्रबंधन को दी. वहीं, लोगों ने बताया कि इस घटना से मस्जिद का सीढ़ी का आधा हिस्सा जमींदोज हो गया.
पूर्व में भी यहां होती रही है गोफ की घटना
डेजर जोन के रूप मे चिन्हित 22 /12 तेतुलमुढी में गोफ और जमींदोज होने की घटना कोई नई बात नहीं है. इसके पहले भी यहां कई बार गोफ की घटना घट चुकी है. छोटी मस्जिद के साथ-साथ कई लोगों का आवास भी जमींदोज हो चुका है. यही नहीं एक बार तो बुजुर्ग महिला भी जमींदोज हो गयी थी. जिससे काफी प्रयास के बाद लोग बचाने में सफल हुऐ थे. तब यहां काफी जमकर हंगामा भी हुआ था. और नेताओं का लगभग एक सप्ताहा तक आना जाना लगा रहा था. हर कोई सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास की मांग पर अड़ गये थे. यहां तक कि दिंवगत पूर्व मंत्री के नेतृत्व में सिजुआ क्षेत्रिय कार्यलय के मुख्य द्धार पर 100 से अधिक दिनों तक धरना पर बैठ गये थे. तब जिला प्रशासन, बीसीसीएल प्रबंधन तथा ग्रामीणों की संयुक्त बैठक हुई थी. जिसमें बस्ती के सभी लोगों को मुआवजा के साथ सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास कराने पर सहमति बनी थी. लेकिन एक लंबे समय बीत जाने के बावजूद यहां के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास नहीं करायी गयी है. जिससे लोग आज भी अपनी जान हथेली पर लेकर यहां रहने को विवश हैं.