बिहार के जमुई की धरती में कब से छिपा है सोने का सबसे बड़ा भंडार? आज भी अलग रंग की माटी बताती है इतिहास

बिहार के जमुई की धरती में सोने का सबसे बड़ा भंडार छिपा हुआ है. सोनो प्रखंड के करमटिया की माटी आज भी सामान्य से अलग है. अब यहां खुदाई के बाद यह जांच किया जाएगा कि स्वर्ण भंडारण की हकीकत क्या है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2022 1:12 PM
an image

बिहार का जमुई जिला एकबार फिर देशभर में सुर्खियों में बना हुआ है. देश के सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार इसी जिला में मौजूद है और अब इसे खोजने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी. पूरे देश के समस्त स्वर्ण अयस्क भंडार का तकरीबन आधा भाग यहीं की धरती अपने गर्भ में समेटे हुए है. जमुई का करमटिया, सोनो प्रखंड अंतर्गत आने वाला एक सामान्य निर्जन, वीरान व सुनसान टांड है. लेकिन यहां सोने का वो भंडार मौजूद है जो इसे खास बनाता है.

बिहार से दिल्ली तक सदन में गूंजा सोने का इतिहास

कुछ महीने पहले बिहार विधान परिषद में राज्य के खनन व भूतत्व विभाग के मंत्री जनक राम ने यह बयान दिया था कि सोनो में देश के सर्वाधिक स्वर्ण भंडार मौजूद हैं और जल्द ही इसके खनन की प्रक्रिया शुरू होगी. जिसके बाद सोनो प्रखंड को जानने की ललक लोगों में तेज हुई. इससे पहले 2021 में केंद्रीय खनन मंत्री प्रहलाद जोशी ने लोकसभा में इसका जिक्र किया था कि जीएसआई की पुष्टि के अनुसार, देश का लगभग 44 प्रतिशत सोना जमुई के सोनो में हो सकता है. दरअसल यहां के इतिहास की बात करें तो यहां के ग्रामीण आज भी इसका जिक्र करते हैं.

1982 में जांच के लिए हुई खुदाई, आज इलाका वीरान 

ग्रामीणों की मानें तो करमटिया करीब पौने तीन सौ एकड़ में फैला हुआ है. यह टांड पथरीला व लाल मिट्टी वाला है और इसका अधिकांश भाग बंजर जैसा ही है. यहां झाड़ियां व खजूर के पेड़ की अधिकता है. बताया जाता है कि पहले यहां खेती होती थी लेकिन 1982 में इसे सरकार द्वारा सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया.जिसके बाद कई जगहों पर जांच हेतु खुदाई हुई और अधिकांश वैसे जगह जहां उस वक्त खुदाई हुई थी, वो आज भी वीरान पड़ा है.

करमटिया में अकूत सोना, पर आज इलाका शांत

बेहद वीरान, लाल और पथरीली भूमि वाला करमटिया में अकूत सोना है लेकिन उसके बाद भी आज यह इलाका सामान्य व शांत है. जब सरकार के तरफ से हाल में लगातार करमटिया की बात सदन में उठी तो प्रभात खबर की टीम भी उस जगह पर पहुंची जहां चार दशक पूर्व चरवाहो व ग्रामीणों को स्वर्ण कण मिला था. उस जगह ग्रामीणों की खुदाई से बने गड्ढे काफ़ी हद तक भर गए थे.

मिट्टी सामान्य से अलग

करमटिया में जिस जगह पर सोना के कण तब पाए गये थे वहां की मिट्टी सामान्य से अलग दिखने को मिलती है. यहीं से तब मिट्टी के नमूने जांच के लिए लिये गये थे.लाल रंग के इस मिट्टी में एक खास चमक स्पष्ट दिखता है. असामान्य और लाल रंग की मिट्टी होने के कारण ही इस क्षेत्र को करमटिया के बदले अब ललमटिया कहा जाने लगा. यहां सोना पाए जाने के बाद से इसे सोनमटिया भी कहने लगे.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

Exit mobile version