राहु या काल सर्प दोष से हैं परेशान, कार्यों में सफलता नहीं मिल रही है तो धारण करें गोमेद रत्न

Gomed stone benefits in hindi: जब आपके कुडली में राहु का महादशा चल रहा हो इस समय गोमेद रत्न को धारण करने से बढ़िया लाभ मिलता है. जन्मकुंडली के अनुसार जिनके कुंडली में कालसर्प दोष हो या राहु से परेशान है अक्सर इस प्रकार के लोग बड़े अधिकारी होते है इनका वर्चस्व खुब बना रहता है

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2023 5:37 PM

ज्योतिष शास्त्र में राहु एक छाया ग्रह माना जाता है यह शरीर रहित एक सिर है इनका मुख काफी भयंकर है .इनका वस्त्र काला होता है. ग्रहों के साथ यह भी ब्रह्मा के सभा में बैठते है पृथ्वी का छाया मंडलाकार होती है वही राहु इस छाया का भ्रमण करता है ,यह छाया का अधिष्ठात्री देवता है राहु जब सूर्य और चंद्रमा को अपने तन में ढक लेता है तब इतना अंधेरा छा लेता है कुछ दिखाई नहीं देता है. इनका वाहन बुध की तरह सिह है. ज्योतिषाचार्य संजीत मिश्रा के अनुसार राहु यह चतुर्थ श्रेणी का पाप ग्रह है. यह ग्रह नवनिर्माण , जांच -पड़ताल, भौतिक, प्रगति, विदेश की यात्रा कराने वाला ग्रह है. कभी -कभी अचानक गुप्त धन दिलवाता है . लेकिन आपके कुंडली के किस भाव में राहु-केतु विराजमान है उसी के अनुसार परिणाम मिलता है .राहु का गोचर पुरे 18 वर्ष तक रहता है.

केतु की महादशा 7 वर्ष तक रहती है

इसी तरह केतु की महादशा 7 वर्ष तक रहती है राहु केतु के गोचर के अन्तर्गत कई तरह से शुभ तथा अशुभ प्रभाव पड़ता है. छाया ग्रह के कारण जीवन में जैसे गलत लत लग जाता ,धन के मामले में परेशानी होती है. दाम्पत्य जीवन में परेशानी होता है . घटना -दुर्घटना, होनी -अनहोनी ,सिर पर चोट लगना ,जुआ का लत लग जाता है. जीवन में कई तरह से परेशानी देता है वैसे ही प्रभाव कालसर्प दोष होने पर होता है.

गोमेद रत्न को धारण करने से बढ़िया लाभ मिलता है

इस तरह के परेशानी में गोमेद रत्न धारण करने से बहुत ही लाभकारी होता है राहु केतु एक छाया ग्रह है इनकी कोई राशि नहीं है ,इसलिए जब आपके कुडली में राहु का महादशा चल रहा हो इस समय गोमेद रत्न को धारण करने से बढ़िया लाभ मिलता है जन्मकुंडली के अनुसार जिनके कुंडली में कालसर्प दोष हो या राहु से परेशान है अक्सर इस प्रकार के लोग बड़े अधिकारी होते है इनका वर्चस्व खुब बना रहता है लेकिन अपने काम को ठीक तरह से नहीं कर पाते है, जिसे इन जातको को अपने पद -प्रतिष्ठा में कई तरह से व्योधान होता है.

स्‍टोन विचारों में पारदर्शिता लाता है

इनका मानसिक हालत ठीक नहीं रहता है अपने आप को संभाल नहीं पाते है. इस तरह के लोग को गोमेद रत्न धारण करने पर इनके जीवन में अस्थिरता बन जाता है और निरंतर आगे बढ़ते जाते है .शत्रुओं और विरोधियों को पराजित करने एवं निराशा से भरे विचारों को दूर करने के लिए भी इस रत्‍न को पहना जा सकता है. जिन लोगों का मन भ्रम और आशंकाओं से घिरा रहता है, उन्‍हें राहु का रत्‍न पहनना चाहिए. ये स्‍टोन विचारों में पारदर्शिता लाता है. मन के डर को दूर कर गोमेद व्‍यक्‍ति का आत्‍मविश्‍वास बढ़ाता है और उसे प्रेरित करता है.

राहु ग्रह या काल सर्प दोष के आलावा कौन से लोग गोमेद धारण कर सकते है

(1) जिस व्यक्ति के लगन वृष , मिथुन ,तुला ,कुम्भ का हो उन्हें गोमेद धारण करना चाहिए .

(2) यदि राहु केंद्र स्थान प्रथम ,चौथे ,सातवे ,दसवे या एकादश भाव में राहु हो उन्हें गोमेद रत्न धारण करना चाहिए .

(3 )यदि लगन कुंडली में राहु दुसरे , तीसरे,नवम या एकादश भाव में हो उसे गोमेद पहनना चाहिए .

(4 )वकालत ,न्याय राजपक्ष आदि के क्षेत्र में उन्नति के लिए गोमेद रत्न धारण कर सकते है .

(5) राहु चोरी जुआ आदि पाप क्रम का कारक है इन कार्यो में लगा हुआ व्यक्ति के लिए उपयोगी होता है .

गोमेद के बारे क्या है विचार

राहु एक आस्तित्व वाले ग्रह नहीं है इनकी अपनी राशि नहीं है .इसलिए जब राहु केंद्र, त्रिकोण ,पंचम नवम तीसरे छठे तथा एकादश भाव में रहे तब राहु की महादशा में गोमेद रत्न धारण करना लाभकारी रहेगा .यदि राहु दुसरे ,सातवे ,आठवे ,या बारहवे भाव में है तब राहु के महादशा में गोमेद रत्न धारण नहीं करे.

गोमेद रत्न कब और कैसे धारण करे

गोमेद रत्न को आद्रा ,शतभिखा , और स्वाति नक्षत्र में ही पंचधातु या चांदी के अंगूठी में 5 से 6 रति का गोमेद रत्न शनिवार को मध्यमा उंगुली में संध्याकाल में धारण करना चाहिए.इस रत्नको धारण करने से पहले ॐ रां राहवे नमः मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

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