गुड न्यूज : शिकार छोड़ खेती कर रहे कोरी के बिरहोर, डेढ़ दशक में कुछ ऐसी बदली जीवनशैली
सिमरिया प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर जांगी पंचायत के देल्हो के समीप स्थित कोरी बिरहोर टोला में सौ से ज्यादा बिरहोर रहते हैं.
दीनबंधु/धर्मेंद्र, चतरा/सिमरिया : सिमरिया प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर जांगी पंचायत के देल्हो के समीप स्थित कोरी बिरहोर टोला में सौ से ज्यादा बिरहोर रहते हैं. खास बात यह है कि कभी जंगल पर आश्रित रहनेवाले ये बिरहोर अब खेती-बारी कर अपना जीवन संवार रहे हैं. बगल के गांव देल्हो और चाडरम के किसानों को देख इन्हें खेती की प्रेरणा मिली है. खेती-बारी के साथ ये लोग मुर्गी, बकरी और सूअर पालन भी करते हैं.
गांव के प्रवीणचंद्र पाठक ने बताया कि बिरहोर यहां 50 वर्ष से हैं. 20 साल पहले तक खानाबदोश की तरह जिंदगी बितानेवाली बिरहोर जाति के ये लोग जंगल से खरगोश, हिरण, तीतर, बटेर सहित अन्य जंगली जानवरों का शिकार कर जीवनयापन करते थे. जंगल में जब शिकार का अभाव हुआ, तो इन्होंने खेती की ओर रुख किया.
समय के साथ इनकी जीवनशैली में भी काफी बदलाव आया है. आज इन लोगों के पास गैर मजरुआ (जीएम लैंड), बकास और वन विभाग की करीब 17 एकड़ से अधिक जमीन है, जिस पर ये लोग साग-सब्जी के अलावा धान, गेहूं, आलू, मटर, चना, मिर्चा, लहसुन, प्याज आदि की खेती करते हैं.
क्या कहते हैं बिरहोर : बिरहोरों के मुखिया टिकुली बिरहोर ने कहा कि खेतीबारी से जीवन में बहुत बदलाव आया है. वह ढाई एकड़ में खेतीबारी करते हैं. चांदो बिरहोर ने बताया कि जब जंगल में शिकार मिलना बंद हो गया, तो हमने जीवनयापन के लिए खेती को अपनाया. खेती कर अपने बेटे को मैट्रिक तक पढ़ाया. बेटा अशोक बिरहोर सिपाही बन गया है. चांदो बिरहोर तीन एकड़ में खेती करते हैं.
बुधु बिरहोर ने कहा कि 15 साल से पांच एकड़ में खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा हूं. बच्चों को पढ़ा रहा हूं. सरकार सब्सिडी पर बीज देती, तो और बेहतर तरीके से खेतीबारी करते. कोमल बिरहोर, सोहर बिरहोर, जयनाथ बिरहोर, धमन बिरहोर, फोगनी बिरहोरिन आदि भी खेतीबारी कर आर्थिक रूप से संपन्न हो रहे हैं.
पढ़ लिख कर सरकारी नौकरी कर रहे दो बिरहोर युवक, बिरहोर महिलाओं की वेशभूषा भी बदली : बिरहोरों का खान पान व रहन-सहन में बदलाव का सिलसिला डेढ़ दशक से बदस्तूर जारी है. इनमें शिक्षा के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है. ये अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजते हैं. यहां के दो बिरहोर मैट्रिक पास कर सिपाही बने हैं. कई बिरहोर युवक ट्रैक्टर व चारपहिया वाहन चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. बिरहोर महिलाओं की वेशभूषा में भी बदल आया हैं. बिरहोर प्रखंड व जिला से संचालित योजनाओं का लाभ ले रहे हैं.
Posted by : Pritish Sahay