लातेहार, चंद्रप्रकाश सिंह. झारखंड से मुंबई की दूरी अब 400 किलोमीटर कम हो जायेगी. रेल बजट 2023 में इसके लिए एक नयी रेल लाइन को मंजूरी दी गयी है, जिसकी वजह से मायानगरी जाने में लोगों को आसानी होगी. दूरी भी कम तय करनी होगी. रेल बजट में टोरी-चतरा-गया नयी रेल लाइन के अंतिम स्थल सर्वेक्षण तथा बरवाडीह-चिरमिरी नयी रेल लाइन निर्माण के लिए राशि का आवंटन किया गया है.
टोरी-चतरा-गया नयी रेल लाइन निर्माण के लिए सर्वे कराने के लिए बजट में राशि का प्रावधान किया गया है, जबकि 77 वर्ष से बंद पड़ी बरवाडीह-चिरमिरी-अंबिकापुर रेलवे लाइन निर्माण के लिए केंद्रीय बजट में राशि का आवंटन किया गया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान यह घोषणा की है.
बरवाडीह-चिरमिरी रेल लाइन का कार्य अंग्रेजों ने 1940-41 में शुरू किया था. काम वर्ष 1946 तक चला. 1947 में देश आजाद होने के बाद इस प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया. उसके बाद कई सरकारें आयीं-गयीं पर इस पर काम नहीं हुआ. अंग्रेजों के शासनकाल के अधूरे पुल और मकान के अवशेष गढ़वा जिले के भंडरिया में आज भी मौजूद हैं.
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इस परियोजना के पूरा हो जाने से झारखंड के पलामू प्रमंडल का आदिवासी बहुल यह इलाका देश के बड़े शहरों मुंबई और हावड़ा से सीधे जुड़ जायेगा. अंग्रेजों ने जबलपुर, कटनी, अनुपपुर, चिरमिरी रेल लाइन को रांची, बड़काकाना, बरवाडीह से जोड़कर मुंबई व कोलकाता के बीच की दूरी अन्य रेल मार्गों की अपेक्षा 400 किलोमीटर कम करने की रूपरेखा तैयार की है. बरवाडीह से बलरामपुर जिले के सरना तक अर्थ वर्क के अलावा कई जगहों पर पुल-पुलियों के काम भी कराये गये हैं.
चतरा के सांसद सुनील कुमार सिंह का प्रयास रंग लाया है. सांसद के प्रयासों से ही बरवाडीह-चिरमीरी-अंबिकापुर रेलवे लाइन निर्माण के लिए केंद्रीय बजट में राशि का अलग से प्रावधान किया गया है.
सांसद श्री सिंह ने बताया कि उक्त रेलवे लाइन के निर्माण के लिए वर्ष 2014 से ही इस मामले को लोकसभा में उठाते रहने, रेलवे जोन एवं मंडल की बैठकों में उठाने, विभिन्न स्तरों पर पत्राचार करने एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से कई बार इस कार्य के लिए मुलाकात कर अनुरोध किया था. उन्होंने प्रधानमंत्री व रेल मंत्री का आभार जताया है.