गोरखपुर में जंगल कौड़िया-जगदीशपुर रिंग रोड का काम रुका, मुआवजा के विरोध में किसानों की महापंचायत
गोरखपुर में जंगल कौड़िया-जगदीशपुर रिंग रोड के लिए एनएचएआई द्वारा अधिगृहित कराई जा रही जमीन के विरोध में किसानों ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाई. रविवार को स्वामी दयानंद इंटर कॉलेज इटहिया के परिसर में 26 गांव के किसान ने महापंचायत की.
गोरखपुर. मुआवजे को लेकर रविवार को जंगल कौड़िया से जगदीशपुर फोरलेन बाईपास से प्रभावित 26 गांव के किसानों ने महापंचायत कर हुंकार भरी. इन किसानों की जमीन जंगल कौड़िया से जगदीशपुर फोरलेन बाईपास में जा रही है. मुआवजा राशि से असंतुष्ट किसान स्वामी दयानंद इंटर कॉलेज इटहिया परिसर में एकत्र हुए.इस महापंचायत में प्रशासन के आला अधिकारी भी पहुंचे.किसानें के गुस्से को देखते हुए जिला प्रशासन के फोरलेन का काम अभी शुरू नहीं करने के साथ ही सर्वे भी रोकने का आश्वासन किसानों को दिया है.
26 किलोमीटर का हिस्सा अटका
गोरखपुर शहर के चारों तरफ रिंग रोड बन रही है. इस रोड का काम लगभग पूरा हो गया है. केवल सिर्फ 26 किलोमीटर का हिस्सा रह गया है. इसके लिए जंगल कौड़िया से जगदीशपुर के बीच भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई ) जमीन अधिग्रहण का कार्य कर रहा है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इसके लिए सर्वे का कार्य शुरू कर दिया है. कब्जा पत्र जारी हो चुका है. ग्रामीणों सात साल पुराने मानक पर मिल रहे मुआवजा के विरोध में आंदोलित हैं. उनका कहना है कि बिना मुआवजा मिले वह कार्य को शुरू नहीं करने देंगे. प्रशासन की ओर से अभी तक किसी भी किसान को मुआवजे की राशि नहीं दी गई है. हालांकि सरकार 100 करोड़ रुपए भेज चुकी है. मुआवजे की राशि कम मिलने की वजह से किसानों में काफी आक्रोश है यह मामला काफी दिनों से फंसा हुआ है.प्रशासन ने जंगल कौड़िया से जगदीशपुर बाईपास पर बनने वाले फोरलेन सड़क में पड़ रही किसानों की जमीन को लेकर कई बार किसानों से संपर्क किया. लेकिन मुआवजा राशि कम मिलने से किसान तैयार नहीं हुए.
इटहिया के कॉलेज में 26 गांव के किसान जुटे
रविवार को स्वामी दयानंद इंटर कॉलेज इटहिया के परिसर में 26 गांव के किसान ने महापंचायत में आगे की रणनीति पर चर्चा की. पंचायत में मुख्यमंत्री से मिलकर मांगपत्र सौंपने के साथ अन्य रास्तों पर भी विचार विमर्श किया गया. ग्राम प्रधान सरैया सुमित कुमार साहनी ने बताया कि जंगल कौड़िया से जगदीशपुर फोरलेन में बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जमीन व मकान से बेघर होना पड़ रहा है.कुछ ऐसे किसान भी हैं जिनकी जमीन और मकान दोनों ही फोरलेन में पड़ रहे हैं. ऐसे लोग जमीन के साथ-साथ बेघर हो रहे हैं. किसान कृषि भूमि और आवास का उचित मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.किसानों का आरोप है कि जिले के जिम्मेदार अधिकारी और एनएचएआई के अधिकारी किसानों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. जिसको लेकर आज किसानों ने महापंचायत लगाकर अपनी समस्या को गंभीरता से लेने की वैकल्पिक रास्ते पर भी विचार कर रहें हैं.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप