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Gorakhpur News: गोरखपुर के इस मंदिर में आज भी दी जाती है ‘रक्त बलि’, 350 साल से चली आ रही परंपरा

Gorakhpur News: गोरखपुर के एक मंदिर में आज भी 'रक्त बलि' दी जाती है. यह परंपरा 350 साल से चली आ रही है. श्रीनेत वंशी लोग नवरात्रि के नवमी के दिन अपने कुलदेवी मां दुर्गा को रक्त बलि अर्पित करते हैं.

  • प्राचीन दुर्गा मंदिर पर रक्त बलि चढ़ाने की प्राचीन परंपरा अभी भी जीवंत

  • 12 दिन के बच्चे से लेकर हर उम्र के लोग चढ़ाते हैं रक्त बलि

  • श्रीनेत वंशी अपने कुलदेवी मां दुर्गा को नवरात्रि के नवमी के दिन अपने शरीर से रक्त बलि अर्पित करते हैं

Gorakhpur News: नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महापर्व है. नवरात्रि के नौ दिन मां भगवती के नौ रूपों की अर्चना भक्त भारतीय संस्कृति, संस्कार के अनुसार करते हैं. जगह-जगह मां दुर्गा की मूर्ति पंडाल सजाए जाते हैं. नवरात्रि के इस महापर्व पर नवमी के दिन बांसगांव के श्रीनेत वंशी अपनी कुलदेवी मां दुर्गा को रक्तबली बली अर्पित करते हैं. यह परंपरा विगत साढ़े 300 वर्षों से जीवंत हैं.

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गोरखपुर जिले से 30 किलोमीटर दूर स्थित बांसगांव की 42 पट्टी में श्रीनेत वंशियों की कुल देवी का भव्य मंदिर स्थित है. नवरात्रि के 9 वें दिन क्षत्रिय वंश के लोग मां को रक्त की बलि चढ़ाते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. क्षत्रिय वंशज के लोग देश के किसी भी कोने में रहें, किसी भी पद पर रहें, लेकिन आज के दिन यहां जरूर आते हैं और मां को अपना रक्त अर्पित करते हैं.

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बता दें कि जो विवाहित होते हैं, उनके शरीर के 9 जगहों से रक्त निकाला जाता है. जो अविवाहित हैं, उनके शरीर के 5 अंगों से निकाला जाता है. यहां तक कि नवजात शिशु (12 दिन हो जाने पर) के भी रक्त की बलि चढ़ाई जाती है. Gorakhpur News:

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मंदिर पर रखें बेलपत्र व भभूत को ही कटे हुए स्थान पर लगाया जाता है और उसी बेलपत्र को मां के चरणों मे अर्पित किया जाता है. यह यहां की एक पुरानी परंपरा है, जो आज 21वीं सदी में भी देखने को मिल रही है.

रिपोर्ट- अभिषेक पांडेय

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