गोरखपुर: गुरु को आदिकाल से ही भगवान से बड़ा दर्जा दिया गया है. किसी भी सफल शिष्य के जीवन में उसके गुरु का विशेष योगदान होता है. शिष्य चाहे कितना भी बड़ा और ऊंचा दर्जा प्राप्त कर ले लेकिन कभी भी शिष्य अपने गुरु की जगह नहीं ले सकता. गुरु और शिष्य की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, गोरखपुर के एक कंपोजिट विद्यालय में अनुदेशक पद पर तैनात शिक्षक ने बच्चों को शिक्षा देने का अनोखा और नायाब तरीका निकाला. जिससे उस विद्यालय के बच्चे खेल के साथ-साथ पढ़ाई में रुचि लेते हुए आसानी से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
गोरखपुर के नरायणपुर कंपोजिट विद्यालय चारगांवा में अनुदेशक के पद पर तैनात विक्रम सिंह ने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए अनोखा तरीका निकाला है.उन्होंने नायाब तरीकों से बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया हुआ है. वह बच्चों में नए-नए तरीके से उनमें सीखने की ललक जागते हैं. ताकि बच्चे अपने पाठ को नए अंदाज के साथ रुचि लेते हुए बड़ी आसानी से सीख सके. शिक्षक विक्रम सिंह अपनी पाठशाला के दौरान बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार की प्रतियोगिता भी रखते हैं. उन्हें अपनी तरफ से पुरस्कृत भी करते हैं. पढ़ाने के इस तरीके से वह आसपास के क्षेत्र में खूब चर्चित हैं.
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शिक्षक विक्रम सिंह ने अपने नए तरीके से विद्यालय के बच्चों को पाठ को कंठस्थ कराने का बीड़ा उठा लिया है. वह बच्चों के लिए पढ़ाई को एक खेल के रूप में परिवर्तित करते हैं, रुचिकर बनाते हैं, तो कभी कोई कंपटीशन आयोजित कर उन्हें लड़ने और जीतने की ललक पैदा करते हैं. कभी कौन बनेगा करोड़पति की तर्ज पर कौन बनेगा सैकड़ा पति के तहत बच्चों से सवाल जवाब करते और उन्हें अपने खर्चे से पुरस्कृत करते हुए भी दिखाई देते हैं. इस दौरान बच्चे भी अपने गुरु के नायाब और रोचक तरीकों के मुरीद हुए बिना नहीं रहते हैं. ऐसे में बच्चों को पढ़ाई बेहद आसान और रुचिकर लगती है.
विक्रम सिंह बच्चों को कक्षा के पाठ्यक्रम के बाद कंपटीशन की भी तैयारी कराते रहते हैं. बच्चों को राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की तैयारी वह पहले से ही करवाते आए हैं. इसके लिए वह बच्चों को विद्यालय के छुट्टी के बाद 2 घंटे तक परीक्षा की तैयारी करवाते हैं. उनके इसी परिश्रम का फल है कि इस विद्यालय की 20 बच्चे अभी तक उक्त परीक्षा में सफल होकर छात्रवृत्ति का लाभ ले चुके हैं. उनके पढ़ने के इस तरीके से बच्चे काफी खुश दिखाई देते हैं.
विद्यालय के छात्रों का कहना है कि उनके विद्यालय के विक्रम मास्टर साहब के पढ़ाने का तरीका बेहद ही आसान और रुचिकर है. वह गीतों और कविताओं के माध्यम से बड़ी आसानी से अपनी बात बात कर हमें अपना पाठ याद करा देते हैं. छात्रों का कहना है कि उनकी पाठशाला में उनको बहुत ही आनंद आता है. एक छात्रा का कहना है कि विक्रम सर के पढ़ाने का तरीका अलग है. वह खेल-खेल में है न जाने कब हमारा पाठ याद करवा देते हैं, हमें पता ही नहीं चलता.