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गोरखपुर यूनिवर्सिटी: B.com और B.Sc से ग्रेजुएशन करने वाले स्टूडेंट्स को राहत, अब MA कोर्स में ले सकेंगे दाखिला

गोरखपुर विश्वविद्यालय में बीकॉम और बीएससी करने वाले विद्यार्थी अब कला संकाय के किसी विषय से एमए डिग्री ले सकते हैं. यह सुविधा गोरखपुर विश्वविद्यालय और उससे संबंधित महाविद्यालयों में मिलेगा. विश्वविद्यालय इस नियम को लागू करने के लिए एडमिशन क्राइटेरिया एंड कमेटी गठित करने जा रहा है.

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में अब बीकॉम और बीएससी के विद्यार्थी मन माफिक विषय में एमए की नियमित पढ़ाई कर सकेंगे. अब बीकॉम और बीएससी करने वाले विद्यार्थी जो मानविकी के किसी विषय से परास्नातक की डिग्री लेना चाहते उन्हें यह सुविधाएं मिलेंगी. विश्वविद्यालय में यह व्यवस्था न होने की वजह से विद्यार्थी अपनी इच्छा पूरी नहीं कर पा रहे थे. विश्वविद्यालय प्रशासन न केवल अपनी परिसर में बल्कि संबंधित महाविद्यालय में भी उन्हें अपनी यह इच्छा पूरी करने का अवसर देने जा रहा है.

विद्यार्थियों में खुशी की लहर

गोरखपुर विश्वविद्यालय के इस निर्णय से अब बीकॉम और बीएससी के विद्यार्थी मन माफिक विषय में एमए की नियमित पढ़ाई कर सकेंगे. गोरखपुर विश्वविद्यालय के इस निर्णय से विद्यार्थियों में काफी खुशी है. इस व्यवस्था को लागू करने को लेकर एडमिशन क्राइटेरिया एंड वेटेज नाम की एक कमेटी गठित की जा रही है. यह कमेटी इसे लेकर नियम का प्रारूप भी तैयार करेगी. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि छात्रा को उनकी इच्छा अनुसार पढ़ाई का अवसर मिलना चाहिए. ऐसे में बीकॉम और बीएससी के छात्रों को एमए करने से रोकना अनुचित है.

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बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है- कुलपति

कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि इसे लेकर विश्वविद्यालय के नियम में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. बदलाव का प्रारूप तय करने के लिए कमेटी का गठन किया जा रहा है. अगले सत्र से इस बाध्यता को समाप्त करने की तैयारी है. बताते चले गोरखपुर विश्वविद्यालय के लिए यह कोई नया नियम नहीं होगा. क्योंकि 1988 के पहले ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी.

इस रणनीति से विद्यार्थियों का पलायन रूकेगा

अब विश्वविद्यालय ने दोबारा इस पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मल्टी डिसीप्लिनरी कोर्स के संचालन पर जोर है. तो विश्वविद्यालय ने इस पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू करने का निर्णय ले लिया है. गोरखपुर विश्वविद्यालय ऐसा इसलिए भी करने जा रहा है. क्योंकि देश व प्रदेश में ज्यादातर विद्यालयों में यह व्यवस्था पहले से लागू है. ऐसे में जिन विद्यार्थियों को गोरखपुर विश्वविद्यालय में दाखिला लेना होता है. यह विकल्प नहीं मिलने की वजह से उन्हें दूसरे विश्वविद्यालय की ओर रुख करने को मजबूर होना पड़ता है. ऐसे में विश्वविद्यालय की मनसा विद्यार्थियों का पलायन रोकने का भी है.

गोरखपुर विश्वविद्यालय में ऑनलाइन आवेदन फॉर्म में इस बात का जिक्र नहीं होता है कि बीएससी या बीकॉम के अभ्यर्थी मानविकी के विषयों में परास्नातक के लिए फॉर्म नहीं भर सकते हैं. ऐसे में बहुत से अभ्यर्थी फॉर्म को भर देते हैं. और प्रवेश परीक्षा में प्रवेश योग अंक भी हासिल कर लेते हैं. लेकिन जब प्रवेश के लिए वह काउंसलिंग में आते हैं तो उन्हें नियम की जानकारी देते हुए लौटा दिया जाता है. विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इस कारण से प्रवेश न ले पाने वाले 100 से अधिक अभ्यर्थियों को निराश होकर वापस लौटना पड़ता है. इस वर्ष जब यह संख्या 150 के करीब पहुंच गई तो विश्वविद्यालय प्रशासन का ध्यान इसे लेकर नियमों में बदलाव की ओर गया.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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