रोइंग ट्रेनिंग का नेशनल कैंप बनेगा गोरखपुर का रामगढ़ताल, जर्मनी को दिया 20 बोट का आर्डर
अब रामगढ़ताल में रोइंग खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए ट्रेनिंग लेंगे. खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के बाद यह ताल लाइम लाइट में आ गया है.
गोरखपुर. खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के अंतर्गत रोइंग प्रतियोगिता की शानदार सफलता के बाद अब रामगढ़ताल रोइंग के नेशनल कैंप का ठिकाना बनेगा. देशभर के रोइंग खिलाड़ी यहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के अनुरूप ट्रेनिंग लेंगे. रोइंग गेम के ट्रेनिंग के लिए इंटरनेशनल इवेंट के अनुरूप अलग-अलग श्रेणियों के बोट्स जर्मनी से मंगाए जा रहे हैं. खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में इसके पहले कभी रोइंग प्रतियोगिता नहीं हुई थी.
गोरखपुर में रोइंग के प्रशिक्षण के लिए कोच की नियुक्ति कर दी गई है. यहां पर रोइंग की नर्सरी तैयार की जाएगी. किशोर और युवाओं का पंजीकरण भी शुरू हो गया है. अभी तक 10 युवा प्रशिक्षण से जुड़ चुके हैं. तैराकी और शारीरिक प्रशिक्षण देकर मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया जा रहा है.आले हैदर, क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी, गोरखपुर
उत्तर प्रदेश को खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी मिली तो रोइंग भी इसमें शामिल हुआ. पहले से रामगढ़ताल और गोरखपुर के वॉटर स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स का चयन योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप किया जा चुका था. योगी सरकार ने ताल के पास ही 45 करोड़ रुपए की लागत से विश्व स्तरीय वाटर स्पोर्ट्स कांपलेक्स इसी मकसद से तैयार करवाया था कि यहां जल क्रीड़ा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हो सके. जिले के साथ-साथ पूर्वांचल के युवाओं का रुझान इस दिशा में बढ़े.
जर्मनी से 20 बोट का आर्डर दे दिया गया है.यह बोट 10 से 20 लाख रेंज की हैं, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के हिसाब से बोट मंगाई जा रही है. 15 जुलाई के बाद बोट्स का आना शुरू हो जाएगा. जिसके बाद से युवाओं की प्रैक्टिस शुरू हो जाएगी. बताते चलें वाटर स्पोर्ट्स कंपलेक्स में सारे इंतजाम अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं. रामगढ़ ताल से 50 किलोमीटर की दूरी पर कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है ऐसे में विदेशी खिलाड़ियों की यहां सीधी पहुंच संभव है.
वाटर स्पोर्ट्स के लिए लाइमलाइट में आया गोरखपुरगोरखपुर में बीते 27 से 31 मई कोई खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स प्रतियोगिता में वाटर स्पोर्ट्स के लिए रामगढ़ताल की उपयोगिता को सिद्ध कर दिया है. देशभर के अलग-अलग राज्यों के विश्वविद्यालयों से आए खिलाड़ी उनके कुछ और फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी भी हैरत में थे कि वाटर स्पोर्ट्स के लिए समूचे उत्तर भारत के लिए महत्वपूर्ण यह वही लाइमलाइट में नहीं था. सबने माना कि यहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता आसमान छू सकती है.
रिपोर्ट–कुमार प्रदीप