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Govatsa Dwadashi 2023: आज है गोवत्स द्वादशी, जानें डेट, शुभ मुहूर्त और इस दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का महत्व

Govatsa Dwadashi 2023 Date: गोवत्स द्वादशी गौ माता और बछड़े को समर्पित है. गोवत्स द्वादशी का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए बहुत शुभ माना जाता है. गोवत्स द्वादशी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को है. इसे बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है.

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द्वादशी का दिन गौ माता और बछड़े को समर्पित

ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को पहली बार कान्हा वन में गाय-बछड़े चराने गए थे. इसी वजह से गोवत्स द्वादशी का दिन गौ माता और बछड़े को समर्पित है, इस दिन इनकी पूजा करने से श्रीकृष्ण संतान की हर संकट से रक्षा करते हैं.

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कब है गोवत्स द्वादशी

इस साल 11 सितंबर 2023 दिन सोमवार को गोवत्स द्वादशी मनाई जाएगी. इस दिन महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु एवं विपत्ति से उनकी रक्षा और खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं. इस दिन अजा एकादशी व्रत का पारण भी किया जाता है.

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पूजा के लिए शुभ समय

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि 10 सितंबर 2023 को रात 9 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 11 सितंबर 2023 को रात 11 बजकर 52 मिनट पर इसका समापन होगा. इस दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का शुभ समय सुबह 4 बजकर 32 मिनट से सुबह 6 बजकर 03 मिनट तक रहेगा.

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द्वादशी की पूजा विधि

गोवत्स द्वादशी के दिन गाय की पूजा की जाती है, इसलिए व्रती को इस दिन गाय का दूध, दही या घी का प्रयोग नहीं करना चाहिए. गोवत्स द्वादशी के दिन व्रत रखकर सूर्योदय से पूर्व गाय और बछड़े को सजाएं. विधि अनुसार उनकी पूजा करें, नए वस्त्र ओढ़ाएं और अंकुरित मूंग, मोठ, बाजरा गाय-बछड़े को खिलाएं. आरती करें. व्रती इस दिन चावल, गेहूं न खाएं.

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गोवत्स द्वादशी का महत्व

सनातन धर्म के अनुसार गौ माता में 33 देवी देवताओं का वास होता है. इस दिन गौ सेवा करने करने का विधान है. भविष्य पुराण के अनुसार गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा और व्रत करने वाला सभी सुखों को भोगते हुए अंत में गौ के शरीर पर जितने भी रौएं हैं, उतने सालों तक गौलोक में वास करता है. श्रीकृष्ण की कृपा से उसे संतान सुख, बच्चे की खुशहाली और तरक्की का आशीर्वाद मिलता है.

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