Govardhan Puja 2022 LIVE: गोवर्धन पूजा आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

Govardhan Puja 2022 LIVE Updates: इस साल गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन नहीं मनाई गई. इस बार 27 साल बाद ऐसा हो रहा है कि दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा नहीं की गई. ग्रहण होने के कारण गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को हो रही है. अर्थात दिवाली के तीसरे दिन गोवर्धन पूजा मनायी जा रही है. यहां जानें इस पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

By Shaurya Punj | October 26, 2022 1:13 PM

मुख्य बातें

Govardhan Puja 2022 LIVE Updates: इस साल गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन नहीं मनाई गई. इस बार 27 साल बाद ऐसा हो रहा है कि दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा नहीं की गई. ग्रहण होने के कारण गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को हो रही है. अर्थात दिवाली के तीसरे दिन गोवर्धन पूजा मनायी जा रही है. यहां जानें इस पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

लाइव अपडेट

गोवर्धन पूजा का महत्व (Importance of Govardhan Pooja)

सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का बहुत बड़ा महत्व है. यह मुख्य रूप से भगवान कृष्ण की बचपन की कहानियों को याद करने के लिए मनाया जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने भगवान इंद्र के क्रोध से जानवरों और ग्रामीणों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था और उन्हें अपनी गलती का एहसास कराया था. भगवान कृष्ण के भक्त उन्हें गेहूं, चावल, बेसन से बनी सब्जी और हरी सब्जियां चढ़ाते हैं.

अन्नकूट क्या होता है? (What is Annakoot?)

“अन्नकूट” शब्द का अर्थ है भोजन (अन्न) का एक ढेर. भक्त भगवान कृष्ण को भोग के रूप में चढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयां और व्यंजन बनाते हैं. परंपरागत रूप से 56 अलग-अलग भोग (छप्पन भोग) हैं जो भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं. इसलिए इस तरह से 56 प्रकार के पकवानों को अन्नकूट कहते हैं.

गोवर्धन पूजा 2022 के लिए तिथि और मुहूर्त: (Govardhan Puja 2022 Tithi Aur Shubh Muhurat)

दिनांक: 26 अक्टूबर, 2022

दिन: बुधवार

हिंदू महीना: कार्तिक

पक्ष: शुक्ल पक्ष

तिथि: प्रतिपदा

शुभ मुहूर्त: 26 अक्टूबर 2022 सुबह 6:28 बजे से 8:43 बजे तक

अवधि: 2 घंटे 14 मिनट

गोवर्धन पूजा का महत्व

पौराणिक कथाओं में ऐसा वर्णित है कि जब श्री कृष्ण ने ब्रज के लोगों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की अनुमती दी थी, तो भगवान इंद्र देव इससे क्रोधित हो गए थे. क्रोध में आकर उन्होंने खूब वर्षा की जिससे ब्रज के लोगों के जीवन संकट में आ गए. तब श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए अपने हांथ की सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था, जिससे लोग इसके नीचे शरण लें सकें.

56 भोग का महत्व

भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था इसलिए सभी ने खुश होकर श्री कृष्ण के लिए 56 प्रकार के भोग तैयार किए थे. तभी से गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन श्री कृष्ण को 56 भोग लगाते हैं, उनके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है.

अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट को इंद्र पर भगवान श्रीकृष्ण की जीत के रूप में मनाते हैं. इस दिन गोवर्धन की पूजा भगवान के रूप में होती है.

गोवर्धन पूजा की विधि और अन्नकूट

गोवर्धन पूजा वाले दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर फूलों से मंडप को सजाया जाता है. पूजा के शुभ मुहूर्त में गोवर्धन जी को फूल, अक्षत्, फल, दीप, नैवेद्य, मिठाई आदि अर्पित कर पूजन करते हैं. उनके नाभि स्थान पर मिट्टी के बड़े से दीपक में बताशे, दूध, दही आदि रखते हैं और उनकी कम से कम 7 बार परिक्रमा करते हैं. गोवर्धन की पूजा करने से व्यक्ति गौ धन, संतान, धन आदि में वृद्धि होती है.

गोवर्धन पूजा 2022 शुभ मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि का शुभारंभ: 25 अक्टूबर, दिन मंगलवार, शाम 04:18 बजे से

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि का समापन: आज 26 अक्टूबर, दिन: बुधवार, दोपहर 02:42 बजे

गोवर्धन पूजा का शुभ समय: सुबह 06:29 बजे से सुबह 08:43 बजे तक

प्रीति योग: आज प्रात:काल से लेकर सुबह 10:09 बजे तक

आयुष्मान योग: आज सुबह 10:09 बजे से लेकर कल सुबह 07:27 बजे तक

स्वाति नक्षत्र: आज दोपहर 01:24 बजे तक, फिर विशाखा नक्षत्र प्रारंभ

गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा

मान्यता यह है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था. श्रीकृष्‍ण ने इन्‍द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी. इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं. कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत मनाकर उसे पूजते हैं तो कुछ गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान को जमीन पर बनाते हैं.

गोवर्धन पूजा के पीछे की कथा

माना जाता है कि ब्रज के लोगों पर जब भगवान इंद्र का प्रकोप बढ़ा, तो उनकी रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से ही विशाल गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था, ताकि उसके नीचे हजारों जीव-जतुं और मनुष्य आसरा ले सकें. इंद्र के घमंड को चूर करने के लिए प्रभु ने अपनी दिव्य लीला दिखाई थी और गोवर्धन पर्वत की पूजा भी की थी. तभी से हर साल इस दिन पर लोग अपने घरों में गोवर्धन बनाते हैं.

गोवर्धन पूजा की विधि

  • सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं.

  • इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें.

  • कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है.

  • भगवान श्री कृष्ण का अधिक से अधिक ध्यान करें.

  • इस दिन भगवान को 56 या 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है.

  • भगवान श्री कृष्ण की आरती करें.

गोवर्धन पूजा पर इस विधि से करें आरती

गोवर्धन पूजा सुबह और शाम दो समय की जाती है. सुबह में जहां भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की धूप, फल, फूल, खील-खिलौने, मिष्ठान आदि से पूजा-अर्चना और कथा-आरती करते हैं, तो शाम को इनको अन्नकूट का भोग लगाकर आरती की जाती है.

Govardhan Puja Vidhi: क्या हो गोवर्धन पूजा की विधि ?

हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा का बहुत महत्व है. इसके लिए सबसे पहले गाय के गोबर से गोवर्धन का चित्र घर के आंगन में बनाया जाता है. इसके बाद गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है. इस पूजन में अक्षत, रोली, जल, दूध, बताशे, पान और केसरी फूल प्रयोग में लाए जाते हैं. गोवर्धन के चित्र के पास दीप जलाकर भगवान को याद किया जाता है. मान्यता है कि आज के दिन अगर विधि-विधान से भगवान गोवर्धन की पूजा की, तो श्रीकृष्ण पूरे साल अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं.

Govardhan Puja Katha: गोवर्धन पूजा के पीछे की कथा

माना जाता है कि ब्रज के लोगों पर जब भगवान इंद्र का प्रकोप बढ़ा, तो उनकी रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से ही विशाल गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था, ताकि उसके नीचे हजारों जीव-जतुं और मनुष्य आसरा ले सकें. इंद्र के घमंड को चूर करने के लिए प्रभु ने अपनी दिव्य लीला दिखाई थी और गोवर्धन पर्वत की पूजा भी की थी. तभी से हर साल इस दिन पर लोग अपने घरों में गोवर्धन बनाते हैं.

गोवर्धन पूजा 2022 तिथि

पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा करते हैं. इस साल कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ आज 25 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 18 मिनट से होना है और यह कल 26 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक है.

गोवर्धन पूजन विधि

गोवर्धन के दिन शाम को घर के मुख्य दरवाजे पर गोबर ​से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाएं जाते हैं और इसके आस-पास ग्वाले, अन्न, फसल की तस्वीर बनाई जाती है. इसके बाद अन्नकूट का भोग बनाया जाता है. इसमें सभी सब्जियां और अनाज का उपयोग किया जाता है. फिर घर के सभी सदस्य प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाते हैं और भगवान श्रीकृष्ण से आर्शीवाद लेते हैं. कई जगहों पर इस दिन गौधन पूजा का भी विशेष महत्व होता है.

Govardhan Puja 2022 : गोवर्धन पूजा पर न करें ऐसी गलतियां

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में नहीं करनी चाहिए.

गायों की पूजा करते हुए भगवान कृष्ण की पूजा जरूर करें.

परिवार के सभी एक साथ पूजा करें.

पूजन में सम्मिलित लोग काले रंग के वस्त्र धारण न पहनें. हल्के पीले या नारंगी रंग के कपड़ें पहनें.

गोवर्धन पूजा के दिन गाय या जीवों की सेवा करनी चाहिे.

आज के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें. अगर कोई व्यक्ति कमजोर हो तो उसके साथ बुरा व्यवहार बिल्कुल न करें.

Govardhan Puja 2022 Shubh Mahurat: गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - 06:29 am से 08:43 am

अवधि - 02 घंटे 14 मिनट

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 25, 2022 को 04:18 pmबजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 26, 2022 को 02:42 pm बजे

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