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West Bengal : बकाया डीए काे लेकर पूजा के बाद राज्य सचिवालय व राजभवन के सामने प्रदर्शन करेंगे सरकारी कर्मचारी

सरकार ने एसएटी के आदेश को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और हाईकोर्ट ने भी एसएटी के आदेश को बरकरार रखा और राज्य को तीन महीने के भीतर बकाया चुकाने को कहा था. हालांकि, हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है.

केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के डीए में चार प्रतिशत की वृद्धि की है. इससे केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच डीए का अंतर 36 प्रतिशत से बढ़ कर 40 प्रतिशत हो जायेगा. वहीं, राज्य के सरकारी कर्मचारी संग्रामी संयुक्त मंच के बैनर तले पिछले 265 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. अब कर्मचारियों ने आंदोलन को और तेज करने फैसला किया है. इस संबंध में संग्रामी संयुक्त मंच के संयोजक भाष्कर घोष ने कहा कि पूजा के बाद बकाया डीए की मांग को लेकर आंदोलन और भी तेज किया जायेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा डीए में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद अब उन्हें अपने केंद्रीय समकक्षों की तुलना में 40 प्रतिशत कम डीए मिलेगा. चार फीसदी डीए बढ़ने से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 46 फीसदी डीए मिलेगा. राज्य सरकार के कर्मचारियों को सिर्फ छह फीसदी डीए मिल रहा है.


बकाया डीए की मांग को लेकर आंदोलन को और तेज करेगा संग्रामी संयुक्त मंच

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कर्मचारियों की जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया और नियमित अंतराल में डीए की घोषणा की. लेकिन बंगाल सरकार अपने कर्मचारियों की सुध नहीं लेती. इसलिए हमें 40 प्रतिशत कम डीए मिल रहा है. संग्रामी संयुक्त मंच के नेता ने कहा कि जल्द ही हम राज्य सचिवालय नबान्न भवन और राजभवन के सामने विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति मांगेंगे और जब तक सरकार हमारा बकाया भुगतान नहीं कर देती, हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे.

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डीए मामले पर नवंबर में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने की संभावना

गौरतलब है कि इससे पहले, राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एसएटी) ने पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया था कि वह अपने कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर डीए का भुगतान करे और बकाया का भुगतान करे. सरकार ने एसएटी के आदेश को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और हाईकोर्ट ने भी एसएटी के आदेश को बरकरार रखा और राज्य को तीन महीने के भीतर बकाया चुकाने को कहा था. हालांकि, हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है. इस मामले पर नवंबर में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने की संभावना है.

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