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झारखंड: बदहाल हैं करोड़ों की लागत से बने सरकारी स्वास्थ्य उपकेंद्र, ग्रामीण प्राइवेट में इलाज कराने पर मजबूर

सभी स्वास्थ्य उपकेंद्र एएनएम के भरोसे हैं. जरूरी दवाइयां व चिकित्सकों के अभाव में क्षेत्र के स्वास्थ्य उपकेंद्र सिर्फ टीकाकरण केंद्र व गरीब गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने का माध्यम मात्र बन कर रह गये हैं. जिसे आंगनबाड़ी व सहिया दीदी के सहयोग से चलाने का प्रयास किया जाता है.

घाटोटांड़ (रामगढ़), रवींद्र कुमार: मांडू प्रखंड में सरकारी चिकित्सा व्यवस्था की स्थिति काफी लचर है. प्रखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के लोग इलाज के लिए झोलाछाप चिकित्सकों या प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर हैं. वैसे सरकार द्वारा रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मांडू अंतर्गत 13 स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित हैं. प्रत्येक उपकेंद्रों में दो-दो एएनएम का पद भी सृजित है, परंतु लचर व्यवस्था के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. अधिकतर उपकेंद्रों में नियमित एएनएम के नहीं आने से स्वास्थ्य उपकेंद्र नियमित नहीं खुलते हैं. वैसे किसी भी स्वास्थ्य उपकेंद्र में चिकित्सकों की पदस्थापना नहीं की गयी है.

एएनएम के भरोसे सभी स्वास्थ्य उपकेंद्र

सभी स्वास्थ्य उपकेंद्र एएनएम के भरोसे हैं. जरूरी दवाईयों व चिकित्सकों के अभाव में क्षेत्र के स्वास्थ्य उपकेंद्र सिर्फ टीकाकरण केंद्र व गरीब गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने का माध्यम मात्र बन कर रह गये हैं. जिसे आंगनबाड़ी व सहिया दीदी के सहयोग से चलाने का प्रयास किया जाता है. मांडू प्रखंड के सुदूर ग्रामीण इलाका लईयो है. आसपास के प्रभावित क्षेत्रों को मिलाकर यहां की आबादी करीब 25 हजार होगी. यहां एक 50 बेड का स्वास्थ्य केंद्र है, जो 2019 में करीब 2.5 करोड़ की लागत बना था. यहां चिकित्सकों व पारा मेडिकल स्टाफ के रहने के लिए आवास की भी व्यवस्था है, परंतु चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ, दवाइयों सहित अन्य जरूरी सुविधाओं के अभाव में यह स्वास्थ्य केंद्र भी सिर्फ टीका केंद्र बन कर रह गया है. यह स्वास्थ्य केंद्र लईयो उत्तरी व दक्षिणी दो पंचायतों के अलावा आसपास के लोगों के लिए बना है, परंतु यहां न तो कोई चिकित्सक पदस्थापित हैं न ही यहां जरूरी दवाइयां उपलब्ध हैं. एक चिकित्सक कभी-कभी सप्ताह में एक दिन के लिए आते हैं . परंतु पारा मेडिकल स्टाफ की कमी के कारण सिर्फ हाजरी बना कर लौट जाते हैं. इस स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए कोई अच्छी सड़क तक नहीं है, जिसके कारण बरसात में गर्भवती महिलाएं नहीं जा पाती हैं.

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क्या कहते हैं पंचायत के मुखिया

लईयो उत्तरी पंचायत के मुखिया मदन महतो ने बताया कि यह स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ एएनएम व एक प्राइवेट ड्रेसर के भरोसे है. एक चिकित्सक सप्ताह में कभी कभार आते हैं. संसाधनों के कमी के कारण यहां प्रसव कराना भी खतरे से खाली नहीं है. इसलिए कोई महिला यहां प्रसव के लिए नहीं आती. सिर्फ एएनएम आती है. यहां के गरीब लोग झोलाछाप चिकित्सक के भरोसे जीते-मरते हैं. आर्थिक रूप से संपन्न लोग बीमार पड़ने पर बाहर जाकर इलाज कराते हैं. यहां सीसीएल की एक डिस्पेंसरी थी, जो वर्षों पहले से बंद है. ऐसे में यहां के लोगों को परेशानी होती है. बसंतपुर पंचायत क्षेत्र में तो कहीं कोई स्वास्थ्य केंद्र ही नहीं है. यहां सीसीएल का केदला बसंतपुर वाशरी है, परंतु यहां भी कोई स्थाई डिस्पेंसरी नहीं है. यदि कोई बीमार हुआ तो झोलाछाप डॉक्टर अथवा प्राइवेट चिकित्सा केंद्रों में जाकर इलाज कराना पड़ता है. बारूघुटू पंचायत के बंजी में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र है, परंतु इसकी स्थिति भी ठीक नहीं है. यहां कि एएनएम आकर स्वास्थ्य केंद्र को खोलती जरूर है, परंतु चिकित्कों व जरूरी दवाइयों के अभाव में यहां मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है. यहीं स्थिति प्रखंड के दूसरे स्वास्थ्य उपकेंद्रों केदला, बड़गांव, तापिन, चुम्बा आदि का भी है. जिसके कारण लोगों को इलाज के लिए झोलाछाप डॉक्टर अथवा बाहर जाना पड़ता है. बच्चों के बीच नियमित रूप से टीकाकरण करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर जरूर है, परंतु विभाग की लचर व्यवस्था के कारण समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की योजना मांडू में विभाग को मुंह चिढ़ा रही है.

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सीसीएल डिस्पेंसरी का हाल बेहाल

यह पूरा क्षेत्र वैसे तो सीसीएल व टाटा स्टील से प्रभावित क्षेत्र है, परंतु सीसीएल में भी (स्वास्थ्य केंद्रों )डिस्पेंसरी की स्थिति ठीक नहीं है. यहां भी चिकित्सकों व दवाइयों की कमी के कारण प्रभावित ग्रामीणों की बात कौन करे सीसीएल कमियों व उनके परिजनों तक का बेहतर इलाज नहीं हो पाता है. उन्हें भी या तो झोलाछाप चिकित्सकों के पास जाना पड़ता है अथवा गंभीर बीमारी होने पर बाहर का रुख करना पड़ता है.

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टाटा स्टील से प्रभावित गांवों में टीएसएफ करता है इलाज

वैसे टाटा स्टील के सीएसआर विंग टाटा स्टील फाउंडेशन ( टीएसएफ ) द्वारा टाटा स्टील वेस्ट बोकारो डिवीजन से प्रभावित ग्रामीणों का प्राथमिक उपचार हो जाता है, परंतु सरकार द्वारा चिकित्सा का कोई व्यवस्था नहीं है. पंचायत क्षेत्र की कोई गरीब महिला गर्भवती होती है तो उसे सहिया दीदी द्वारा मांडू ले जाकर प्रसव कराया जाता है.

क्या कहते हैं मांडू प्रखंड प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

मांडू प्रखंड में स्वास्थ्य विभाग की दयनीय स्थिति के बाबत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नीतेश कुमार ने प्रभात खबर को बताया कि डॉक्टरों व पारा मेडिकल स्टाफ सहित अन्य मैनपावर की कमी है. चिकित्सकों की पदस्थापना सीएससी में है. एचएससी में स्थायी डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति नहीं है. जरूरत पड़ने पर सीएससी से ही डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं. सभी स्वास्थ्य उपकेंद्र में एएनएम प्रतिनियुक्त हैं. जिन्हें प्रतिदिन स्वास्थ्य उपकेंद्र को सुबह 9 बजे से तीन बजे तक खोल कर रखना है. उन्होंने लईयो स्वास्थ्य केंद्र के बाबत बताया कि वहां पारा स्टाफ की कमी है. वहां आने जाने की सड़क भी ठीक नहीं है. इसकी जानकारी उपायुक्त को दी गयी है. हमने मैनपावर की भी मांग की है, ताकि लईयो स्वास्थ्य केंद्र सहित अन्य उपकेंद्रों को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके .

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