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एक्सआइएम, राउरकेला व आदिवासी विवि को लेकर ओडिशा सरकार ने साधी चुप्पी

संबलपुर विश्वविद्यालय से लगभग 200 कॉलेज संबद्ध हैं. सर्टिफिकेट बनवाने के अलावा छोटे-छोटे काम होने पर इतनी दूर जाने के लिये राउरकेला समेत जिले के अन्य कालेजों के छात्र-छात्राओं को मजबूर होना पड़ता है.

किसी जमाने में उच्च शिक्षा हासिल करने से लेकर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए युवा राउरकेला आते थे. यही कारण है कि राउरकेला इस्पात नगरी ही नहीं, बल्कि शिक्षा नगरी के तौर पर भी जाना जाता था. लेकिन अब यह पुराने व बीते दिनों की बात हो गयी है. वहीं, पूरे सूबे में शिक्षा नगरी के तौर पर परिचित राउरकेला धीरे-धीरे अपनी चमक खोता जा रहा है. इसका एकमात्र कारण सरकार की उदासीनता है. यहां न तो कोई नया उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित नहीं किया गया और ना ही मौजूदा शिक्षा प्रणाली को विकसित किया जा रहा है.

शहर में दूसरे भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम), जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (एक्सआइएम) की स्थापना, सरकारी कॉलेजों को विश्वविद्यालय का दर्जा, बीपीयूटी का पुनरुद्धार, केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना आदि मांगों की लंबी फेहरिस्त है. यदि इन मांगों को पूरा कर लिया जाये तो उच्च शिक्षा का विकास संभव है, अन्यथा प्रतिभावान युवाओं के शहरों को छोड़ने का चलन बना रहेगा.

आइआइएम को संबलपुर स्थानांतरित करने के साथ शुरू हुई राउरकेला की उपेक्षा : उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राउरकेला की उपेक्षा 2015 की शुरुआत में ही शुरू हो गयी थी. उस समय केंद्र सरकार ने राज्य में दूसरा भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) की स्थापना की घोषणा की थी. आइआइएम की स्थापना के लिए संबलपुर और राउरकेला दो प्रमुख दावेदारों के रूप में उभरे. दोनों शहरों ने व्यापक आंदोलन भी देखा, जबकि राउरकेला में आंदोलन व्यापक और दूरगामी था.

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विभिन्न ट्रेड यूनियनों, स्वैच्छिक-सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर संघर्ष किया. वहीं, स्कूल-कॉलेजों के लगभग सभी छात्र-छात्राएं सड़क पर उतर आएं. नतीजतन, केंद्र सरकार ने दबाव में आकर राज्य सरकार को स्थान निर्धारित करने की जिम्मेदारी सौंप दी. बाद में, राज्य सरकार ने एक राजनीतिक चाल चली और आधिकारिक रूप से संबलपुर के नाम पर मुहर लगा दी. राउरकेला के वैध दावे की खुलेआम अनदेखी करते हुए संबलपुर को चुने जाने के कारण यह उच्च शिक्षा संस्थान राउरकेला में स्थापित नहीं हो सका.

राउरकेला में विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग भी अनसुनी : पानपोष स्थित ऑटोनोमस राउरकेला गवर्नमेंट कॉलेज को विश्वविद्यालय में तब्दील करने की मांग दो दशक पुरानी है. लेकिन मांग को लगातार नजरंदाज किया जा रहा है. 1961 में स्थापित इस कॉलेज में वर्तमान में 5,700 छात्र पढ़ रहे हैं. 31 डिग्री पाठ्यक्रम और 27 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम हैं. अब यह कॉलेज संबलपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध है और राउरकेला से इसकी दूरी करीब 180 किलोमीटर है. संबलपुर विश्वविद्यालय से लगभग 200 कॉलेज संबद्ध हैं. सर्टिफिकेट बनवाने के अलावा छोटे-छोटे काम होने पर इतनी दूर जाने के लिये राउरकेला समेत जिले के अन्य कालेजों के छात्र-छात्राओं को मजबूर होना पड़ता है.

महज सरकारी घोषणा तक सीमित राउरकेला में एक्सआइएम की स्थापना

आइआइएम को संबलपुर में स्थानांतरित करने के बाद, राज्य सरकार ने 4 मार्च 2015 को राउरकेला के लोगों के असंतोष को शांत करने के लिए जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आइएक्सएम) की दूसरी शाखा स्थापित करने की घोषणा की. घोषणा को 8 साल बीत चुके हैं; लेकिन अभी तक कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है. बेशक, अतीत में ऐसा करने का प्रयास किया गया था, लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण लंबित पड़ा हुआ है. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद राज्य सरकार-आरएसपी-जेवियर अधिकारियों के बीच उच्च स्तरीय त्रिपक्षीय बैठक हुई.

उसी वर्ष 22 जुलाई को, आरएसपी अधिकारियों ने राज्य उच्च शिक्षा विभाग के सचिव को एक पत्र के माध्यम से परियोजना के लिए अपनी स्वीकृति दे दी. इसके अलावा वे पिछली चर्चा के अनुसार 300 एकड़ जमीन और 120 करोड़ रुपये देने पर सहमत हुए. इसके लिए आरएसपी ने एक्सआइएम राउरकेला के प्रबंधन बोर्ड में आरएसपी का प्रतिनिधित्व, आरएएसपी कर्मचारियों के बेटे-बेटियों के लिए 25 प्रतिशत सीटों का आरक्षण और आवश्यक 120 करोड़ रुपये किश्तों में भुगतान करने जैसी विभिन्न शर्तों को निर्धारित किया था.

वैसे इन शर्तों को राज्य सरकार और एक्सआइएम अधिकारियों ने स्वीकार नहीं किया था. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि इन शर्तों को क्यों खारिज कर दिया गया. तब से यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.

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