धनबाद (संजीव झा) : जमीन किसी और की, डीड किसी दूसरे के नाम का एवं दखल कब्जा किसी और का. यह हालत है धनबाद में. जमीन के नाम पर इस खेल में भू-माफिया एवं राजस्व एवं निबंधन विभाग के अधिकारी शामिल हैं. सरकारी, आदिवासी एवं सीएनटी जमीनों का रातों-रात खाता व प्लॉट नंबर बदल कर इस खेल को अंजाम दिया जा रहा है. इसमें बर्बाद हो रहे हैं आम लोग, जो लाखों रुपये लगा कर जमीन खरीद रहे हैं.
केस स्टडी वन
गोविंदपुर अंचल के मौजा पंडुकी 90 खाता संख्या 42 प्लॉट संख्या 906 रकबा 5.48 डिसमिल भूमि का नामांतरण शुद्धि पत्र मुकदमा संख्या 1619/ 2019-2020 द्वारा दिनांक 18-09-2019 को क्रेता पूजा सिन्हा के नाम किया गया. खाता संख्या 42 के खतियान का किया गया तो पता चला कि खतियान में प्लॉट संख्या 906 अंकित नहीं है. प्लॉट संख्या 906 का वास्तविक खाता संख्या 25 है. पूजा सिन्हा ने दलील संख्या 1588 द्वारा दिनांक 30-04-2017 को अरुण कुमार पांडे, भीम लाल पांडे, अर्जुन कुमार पांडे से खरीदी है.
केस स्टडी -टू
गोविंदपुर अंचल के मौजा जियलगोड़ा 129 खाता संख्या 99 प्लॉट संख्या 574 रकबा 2.29 डिसमिल भूमि का नामांतरण शुद्धि पत्र मुकदमा संख्या 3908/ आर 27 2018-2019 द्वारा दिनांक 12-02-2019 को क्रेता मंजू सिंह के नाम किया गया. खाता संख्या 99 के खतियान का सत्यापन किया गया तो खतियान में प्लॉट संख्या 574 अंकित नहीं है. प्लॉट संख्या 574 का वास्तविक खाता संख्या 243 है. मंजू सिंह ने दलील संख्या 4677 द्वारा दिनांक 03-11-2018 को मे. टेक्नो कल्चर बिल्डिंग सेंटर प्राइवेट लिमिटेड के दिनेश कुमार तिवारी से खरीदी है.
केस स्टडी – थ्री
गोविंदपुर अंचल के मौजा जियलगोड़ा 129 खाता संख्या 141 प्लॉट संख्या 498 एवं 497 रकबा 0.5 एवं 6.39 डिसमिल भूमि का नामांतरण शुद्धि पत्र मुकदमा संख्या 180/ आर 27 2019-2020 द्वारा दिनांक 18-07-2019 को क्रेता महताबी मल्लिक के नाम किया गया. खाता संख्या 141 के खतियान का सत्यापन किया गया तो खतियान में प्लॉट संख्या 497 अंकित नहीं है. प्लॉट संख्या 497 का वास्तविक खाता संख्या 142 है. महताबी मल्लिक ने दलील संख्या 7803 द्वारा दिनांक 30-11-2018 को कन्हैया प्रसाद सिंह से जमीन खरीदी है.
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जमीन दलाल खरीददार को जो जमीन दिखाते हैं, वह पूरी तरह खाली होती है. कागज किसी रैयती का होता है. अगर जमीन के कागजात का सत्यापन कराते हैं तो सत्यापन में जमीन रैयती ही दिखती है. रजिस्ट्री के समय खाता संख्या, प्लॉट नंबर बदल दिया जाता है. बाद में उसका म्यूटेशन भी हो जाता है. जब दखल कब्जा के लिए खरीददार जाते हैं तो पता चलता है कि जमीन पर पहले से ही किसी दूसरे का कब्जा है. नहीं तो जमीन मूलत: आदिवासी खाता या सीएनटी के दायरे में आता है. ऐसी जमीन पर न बैंक से लोन मिलता है और न ही भविष्य में खरीद-बिक्री कर पाते हैं.
धनबाद में ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जो इस तरह की जमीन खरीद कर परेशान हैं. जमीन के क्रय-विक्रय में गड़बड़ी की हो रही प्रशासनिक जांच में कई मामलों की पुष्टि हुई है. अभी डेढ़ सौ से अधिक डीड की जांच हो रही है. आने वाले समय में कई और मामलों की जांच हो सकती है.
Posted By : Guru Swarup Mishra