Budget 2023 : ‘बजट में निर्यात प्रोत्साहन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को उठाने होंगे 5 कदम’

बजट में इन उपायों की घोषणा से घरेलू निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे देश से निर्यात भी बढ़ेगा. भारत का वस्तु व्यापार 2022 में 1.1 लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो गया. अगले बजट में कुछ ठोस कदमों की घोषणा से निर्यातक समुदाय को मदद मिलेगी.

By KumarVishwat Sen | January 20, 2023 3:04 PM

नई दिल्ली : लोकसभा में केंद्रीय बजट पेश होने में अब 10 दिन शेष रह गए हैं. 1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी. इस बीच, आर्थिक विचार-समूह जीटीआरआई ने कहा है कि एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में शुल्कों के त्वरित रिफंड, उलट शुल्क ढांचे के समाधान और डाक एवं कूरियर के जरिये निर्यात को मानक सीमा-शुल्क मंजूरी के समान करने जैसे उपायों की घोषणा से निर्यात को बढ़ावा देने में काफी मदद मिलेगी.

2023 में व्यापार करना मुश्किल होने का अनुमान

‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि अधिकांश पूर्वानुमानों में वर्ष 2023 को व्यापार के लिए मुश्किल बताया जा रहा है. ऐसी स्थिति में अगले बजट में कुछ ठोस कदमों की घोषणा से निर्यातक समुदाय को मदद मिलेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी. थिंक टैंक ने निर्यात प्रोत्साहन के लिए पांच उपायों का सुझाव दिया है.

बजट उपायों से घरेलू निर्यातकों को मिलेगी मदद

जीटीआरआई ने कहा है कि बजट में इन उपायों की घोषणा से घरेलू निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे देश से निर्यात भी बढ़ेगा. इसके मुताबिक, भारत का वस्तु व्यापार 2022 में 1.1 लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो गया. इसके साथ ही, विचार समूह ने शुल्क वापसी और निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट संबंधी रॉडटेप योजनाओं के विलय का सुझाव भी दिया है.

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वे पांच अहम कदम

  1. वस्तुओं की खेप रवाना होते ही सभी शुल्क रिफंड को निर्यातकों के खाते में भेजना आवश्यक है.

  2. मेक इन इंडिया को प्रभावित करने वाले उलट शुल्क ढांचे (तैयार उत्पाद की तुलना में इनपुट उत्पादों पर अधिक शुल्क) की घटनाओं को कम करने पर ध्यान देना होगा.

  3. सीमा शुल्क से जुड़ी सूचनाओं में सरल भाषा का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है.

  4. डाक और कूरियर के माध्यम से निर्यातको मानक सीमा शुल्क मंजूरियों के समान करना और घरेलू बाजार के लिए उत्पाद बनाने को शुल्क-मुक्त मशीनरी आयात की अनुमति नहीं देने का सुझाव भी दिया गया है.

  5. उलट शुल्क ढांचे के तहत उत्पादन में लगने वाले सामान के महंगा होने से तैयार उत्पाद भी महंगा हो जाता है, जो उसे निर्यात बाजार की प्रतिस्पर्धा से बाहर कर देता है. वहीं, घरेलू बाजार में ऐसे उत्पादों के सस्ते आयात की संभावना रहती है.

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