पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और तृणमूल के बीच जुबानी जंग जारी ही रहता है. गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि के अवसर पर मंगलवार को राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस ने राज्य में पंचायत चुनाव में हुईं हिंसा की घटनाओं की आलोचना की. उन्होंने कहा कि गुरुदेव ने समाज को बहुत कुछ दिया, लेकिन आज पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति गुरुदेव के सपनों के बिल्कुल विपरीत है. महान कवि, लेखक और शिक्षाविद् टैगार का उदाहरण देते हुए राज्यपाल ने कहा गुरुदेव ने एक ऐसी स्थिति के बारे में बात की थी, जहां मन भय रहित होता है और सिर ऊंचा रखा जाता है. आज का बंगाल वैसा बंगाल नहीं है. अभी भी देर नहीं हुई है. इससे पहले कि बहुत देर हो जाये, हिंसा व भ्रष्टाचार मुक्त बंगाल के लिए सभी को एकजुट होना होगा. भ्रष्टाचार के अंत की शुरुआत कहीं से करनी होगी. उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि राज्य में भ्रष्टाचार को लेकर उनका सिर घूम रहा है. राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने उन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बंगाल पर कटाक्ष करना बंद करें वरना आपका काला चश्मा कहीं नीचे ना गिर जाये. इस कटाक्ष के जरिये ब्रत्य बसु ने केन्द्र पर हमला बोला है.
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि भारतीय संविधान भारत की एकता का प्रतीक है. भारतीय संविधान भारतीयों को विभिन्न मौलिक अधिकार प्रदान करता है. मैं यह कहना चाहूंगा कि हिंसा और भ्रष्टाचार बंगाल छोड़ें. उन्होंने आम लोगों से भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हर कोई व्यक्तिगत लड़ाई लड़ सकते हैं.
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राज्यपाल के बयान पर शिक्षा मंत्री बोले राज्यपाल ने अपने दृष्टिकोण से अपनी राय व्यक्त की. उनका एक उद्देश्य है. वह उस उद्देश्य से बात कर रहे हैं. राज्यपाल को पहले बांग्ला सीखनी चाहिए. उसके बाद रवीन्द्रनाथ को लेकर बात करना चाहिए. मालूम रहे कि राज्यपाल ने पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा की विभिन्न घटनाओं के लिए राज्य चुनाव आयुक्त पर भी जमकर हमला बोला था. साथ ही राजभवन में उन्होंने एक शिकायत केंद्र भी खोला. इसके अलावा उन्होंने हाल ही में राजभवन में ””एंटी करप्शन सेल”” का भी शुभारंभ किया है. अब इस बार उन्होंने बंगाल से भ्रष्टाचार और हिंसा को बंगाल छोड़ने की बात कही.
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राजभवन की ओर से फिर एक पत्र वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज को भेजा गया है. पत्र में राज्यपाल ने कुलपति को 72 घंटे के अंदर राजभवन बुलाया है. बता दें कि हेल्थ यूनिवर्सिटी के वीसी को लिखा गया राज्यपाल का यह तीसरा पत्र है. राज्यपाल द्वारा नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठने के बाद भी कुलपति पद पर क्यों बैठे हैं? राजभवन की ओर से भेजे गये पत्र में इस पर सवाल उठाया गया है. हेल्थ यूनिवर्सिटी के सूत्रों के अनुसार, राजभवन ने पत्र मिलने के 72 घंटे के भीतर कुलपति प्रो. डॉ सुहृता पाल से माफी मांगने की मांग की है.
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पत्र से हेल्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. गौरतलब है कि डॉक्टर एसोसिएशन के ज्वाइंट फोरम ने कुलपति के खिलाफ राज्यपाल को लिखे पत्र में हेल्थ यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर अराजकता का आरोप लगाया है. बता दें कि राज्य स्वास्थ्य विश्वविद्यालय का निर्माण 2004 में हुआ था. उस समय कुलपति की नियुक्ति के लिए जो सर्च कमेटी बनी थी, उसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी) का एक नामित प्रतिनिधि था. लेकिन 2013 में कानून में संशोधन के बाद यूजीसी प्रतिनिधि को सर्च कमेटी से बाहर कर दिया गया. नयी कमेटी के माध्यम से ही सुहृता पाल को स्वास्थ्य विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था.
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