पश्चिम बंगाल में राज्यपाल सीवी आनंद बोस व शिक्षा मंत्री के बीच कड़वाहट खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. राज्यपाल सीवी आनंद बोस एक बार फिर शिक्षा मंत्री पर कटाक्ष करते हुए नजर आ रहे है. उन्होंने ब्रात्य बसु को ‘जूनियर अप्वाइंटी’ कहते हुए कहा कि उनसे बात करना वह बिल्कुल जरुरी नहीं समझते है. उनका कहना है कि किसी भी समस्या पर वह सीधे तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात करेंगे. सोमवार को राजभवन में मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल मैं मुख्यमंत्री से काेई बात नहीं करना चाहता हूं वह विदेश दौरे पर है और मैं उन्हें कोई परेशानी नहीं देना चाहता हूं.
शिक्षा विभाग और राज्य सरकार के बीच दूरी के बारे में पूछे जाने पर राज्यपाल ने बिना नाम लिए कहा अगर मुझे कुछ कहना है या कुछ चाहिए तो मैं अपने संवैधानिक सहयोगी मुख्यमंत्री को बताऊंगा, उनके अधीनस्थ सहयोगियों को नहीं. माना जा रहा है कि उनका मतलब दरअसल शिक्षा मंत्री से था.
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हालांकि, राजभवन में फाइलें अटकने को लेकर सरकार की ओर से की गई शिकायत पर राज्यपाल ने भी प्रतिक्रिया दी है. उनके मुताबिक 8 फाइलें आ चुकी हैं. मैंने राज्य सरकार को 7 फाइलों के बारे में सवाल भेजे हैं. मैंने सात फाइलों का स्पष्टीकरण मांगा तो सातों फाइलें राजभवन में नहीं बल्कि सरकारी दफ्तरों में अटकी हैं. एक और फाइल कोर्ट में लंबित है. बोस ने कुलपति की नियुक्ति पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की. उन्होंने कहा, स्थायी कुलपति की नियुक्ति एक लंबी प्रक्रिया है. चयन समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और यूजीसी के नियमों के अनुसार किया जाएगा.इसके बाद स्थायी कुलपति की नियुक्ति की जायेगी. तब तक अस्थायी कुलपति बने रहेंगे. अंतर-कुलपतियों के लिए कोई अलग मानदंड नहीं है.
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मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि 10 साल के शिक्षण अनुभव के बिना कुलपतियों की नियुक्ति की जा रही है. ऐसे आरोपों के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि अंतरिम कुलपति की नियुक्ति के लिए कोई विशिष्ट शिक्षण योग्यता नहीं है. किसी भी योग्य व्यक्ति को अंतरिम कुलपति नियुक्त किया जा सकता है. यही नियम है और उसका पालन किया जा रहा है. लेकिन बोस ने कहा कि वह इस राज्य में काम करके खुश हैं. हालांकि वह कई आईएएस और आईपीएस के पक्षपातपूर्ण व्यवहार की जानकारी देना नहीं भूले. हालांकि राज्यपाल ने यह भी टिप्पणी की कि सभी अधिकारी ऐसे नहीं हैं.
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राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस ने शनिवार आधी रात से कुछ देर पहले दो ”गोपनीय’ पत्र लिखे. सीलबंद लिफाफे में एक पत्र राज्य सचिवालय न भेजा गया, दूसरे को दिल्ली यानी कि केंद्र सरकार के पास भेजा गया है. इस बारे में कई अटकलें लगायी जा रही हैं कि यह पत्र किसे संबोधित था, या किसके लिए लिखा गया है. राजभवन ने साफ कर दिया है कि पत्र का विषय ”गोपनीय” है. किसी भी गुप्त मामले की तरह इस मामले में भी अटकलें लाजिमी हैं. राज्यपाल ने पहले ही जानकारी दे दी थी कि वह आधी रात को ‘एक्शन’ लेने वाले हैं. हालांकि, किसी तरफ से कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन गवर्नर की चिट्ठी का निशाना कौन है, इसकी अटकलों में ब्रात्य का नाम सबसे ज्यादा आ रहा है. ऐसे ही संकेत तृणमूल या भाजपा प्रवक्ताओं की बातों से मिलते हैं.
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फलस्वरूप सभी को जिज्ञासा उत्पन्न हो रही है. राज्यपाल ने शनिवार सुबह यह भी साफ कर दिया था कि ‘कार्रवाई’ विकास भवन और राजभवन के बीच चल रहे टकराव पर है. दोपहर के समय शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने आग में घी डालने का काम किया. उन्होंने अपने ”एक्स” हैंडल पर ‘खून चूसने वाला” कहकर राज्यपाल पर हमला किया. हालांकि उन्होंने राज्यपाल का नाम नहीं लिया. ब्रात्य ने लिखा कि वह शनिवार की आधी रात का इंतजार कर रहे हैं, इसे ””राक्षस पहर”” कहते हैं. यह माहौल इंगित करता है कि राज्यपाल द्वारा वर्णित ”कार्रवाई’ ब्रात्य और शिक्षा विभाग के विरुद्ध हो सकती है.
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