पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार ने मंत्रियों और विधायकों के भत्ते में बढ़ोतरी संबंधी विधेयक को पारित कराने के लिए सोमवार को राज्य विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाया था, लेकिन राज्यपाल द्वारा विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने से जटिलताएं पैदा हो गयीं. सोमवार को दिनभर चली बहस को खत्म किये बिना राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मंत्रियों और विधायकों के भत्ते में बढ़ोतरी संबंधी बिल पर मंगलवार को हस्ताक्षर कर दिया. मंगलवार को राजभवन ने 2 बिलों पर हस्ताक्षर कर उन्हें वापस विधानसभा को भेज दिया. नतीजा यह हुआ कि इन दोनों विधेयकों पर चर्चा और वोटिंग में कोई बाधा नहीं आयी.
सरकार ने मंत्रियों और विधायकों के भत्ते में बढ़ोतरी संबंधी विधेयक को पारित कराने के लिए सोमवार को राज्य विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाया था लेकिन राज्यपाल द्वारा विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने से समस्याएं पैदा हो गयीं. विधान सभा में वित्त विधेयक पेश करने से पहले राज्यपाल का हस्ताक्षर अनिवार्य है. चूंकि राज्यपाल ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किये, इसलिए सरकार ने विधेयक को ही पेश करने का फैसला किया. हालांकि, बताया गया है कि इस बिल पर कोई चर्चा या वोटिंग नहीं होगी. इसी तरह सरकार ने सोमवार को विधानसभा में बिल पेश किया.
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परिषद के मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने के लिए राज्यपाल की आलोचना की. उन्होंने कहा, ”राज्यपाल संविधान के मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं.’ राजभवन सूत्रों के मुताबिक मंगलवार दोपहर राज्यपाल ने मंत्रियों और विधायकों के भत्ते बढ़ाने से जुड़े 2 विधेयकों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं. लेकिन जानकारों का मानना है कि इस बिल के दिसंबर से पहले पास होने की संभावना नहीं है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक पर बहस और मतदान होने की उम्मीद है.