श्रीश्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ व प्राण प्रतिष्ठा के लिए निकाली गई भव्य कलश यात्रा, 351 महिलायें हुई शामिल
बंदगांव प्रखंड की कराईकेला थाना के हुडंगदा पंचायत के माधोसाई में श्रीश्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं प्राण प्रतिष्ठा तथा हरि संकीर्तन के लिए गुरुवार को कलश यात्रा निकाली गई. इसमें कराईकेला साहू टोला स्थित नदी चेयर घाट से 351 महिलाओं ने पंडितों द्वारा पूजा अर्चना के बाद कलश यात्रा निकाली.
बंदगांव प्रखंड की कराईकेला थाना के हुडंगदा पंचायत के ईचाहातु के माधोसाई में गुरुवार से शुरू हुए श्रीश्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं प्राण प्रतिष्ठा तथा हरि संकीर्तन के लिए गुरुवार को बाजे-गाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई. कलश यात्रा कराईकेला साहू टोला स्थित नदी चेयर घाट से 351 महिलाओं ने गाजे बाजे के साथ पंडितों द्वारा पूजा अर्चना के बाद कलश यात्रा निकाली. कराईकेला के अलावे केरा समेत अन्य गांव से महिला पुरुष श्रद्धालु कलश यात्रा में शामिल हुई. इस दौरान जय श्री राम, हर हर महादेव के उद्घोष से आस-पास का क्षेत्र भक्तिमय हो उठा.
कलश पूजा के दौरान कराईकेला के चेयरघाट नदी में मौजूद महिला पुरुष श्रद्धालु
कलश यात्रा ईचाहातु के माधोसाई आयोजन स्थल से निकली. कलश यात्रा में शामिल महिलाएं व युवतियां सिर पर कलश लेकर कराईकेला के चेयरघाट नदी पहुंची, जहां विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना कर कलश में जल भरा गया. यहां मौजूद काशी से पहुंचे पुरोहितों ने मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना किया. कलश यात्रा के दौरान पीपुल्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डॉ. विजय सिंह गागराई, भाजपा नेता ललित नारायण ठाकुर, तिरथ जामुदा, राजेश गागराई भी शामिल हुए. नदी से पूजा-अर्चना कर कलश यात्रा में जल भरकर ईचाहातु माधोसाई लाया गया. इसके बाद यहां पूजा अर्चना प्रारंभ किया गया. शुक्रवार को वेदी निर्माण, मण्डप पूजन एवं मूर्तियों का संस्कार किया जाएगा. गुरुवार से शुरू हुआ यह आयोजन 5 मई तक चलेगा. इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्यों के अलावे बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालु मौजूद थे.
यज्ञ और हवन सनातन हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा है- विजय सिंह गागराई
वेद और पूजा पद्धतियों में यज्ञ और हवन के महत्व के बारे में बताया गया है. विजय सिंह गागराई ने बताया कि यज्ञ और हवन सनातन हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा है, जिसकी परंपरा सदियों से चली आ रही है. यज्ञ या हवन ऐसी धार्मिक क्रिया है जिसे आमतौर पर किसी मनोकामना की पूर्ति या अनिष्ट को टालने हेतु कराया जाता है. वहीं 28 अप्रैल को वेदी निर्माण, मण्डप पूजन, एवं मूर्तियों का संस्कार किया जाएगा. 29 अप्रैल को वेदी व मण्डप पूजन के साथ मूर्तियों का अधिवास किया जाएगा. 30 अप्रैल को अरही मंथन पूजन के साथ हवन प्रारंभ होगा साथ ही मूर्तियों का अधिवास किया जाएगा.
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1 मई सोमवार को मण्डप पूजन, हवन, मूर्तियों का अधिवास, 2 मई को मण्डप पूजन, हवन, शिखर स्नान, नगर भ्रमण किया जाएगा. 3 मई को पूजन, मूर्तियों का प्राण प्रतिष्ठा, विशेष हवन, पूर्णाहूति किया जाएगा. साथ ही इस दिन महाभंडारा के साथ हरि संकीर्तन प्रारंभ किया जाएगा. 4 मई को हरि संकीर्तन व 5 मई को हरि संकीर्तन का समापन किया जाएगा. इस मौके पर रतिकांत प्रधान, दुर्गाचरण प्रधान, शंशाक प्रधान,अश्वनी प्रधान, संजय प्रधान, पूर्णचंद्र प्रधान, पवन प्रधान समेत अन्य मौजूद थे.