पश्चिम बंगाल में माध्यमिक स्तर पर ग्रुप-डी श्रेणी की नियुक्तियों में हुई धांधली के मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट (Calcutta High Court) ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश विश्वजीत बसु ने ऐसे अभ्यर्थियों के स्कूल में प्रवेश करने पर रोक लगाने का आदेश दिया, जिन्हें नियुक्ति परीक्षा में शून्य अंक मिले थे. आरोप है कि कई अभ्यर्थियों को जीरो नंबर मिला था, फिर भी अवैध तरीके से उनकी नियुक्ति की गयी. मामले की जांच कर रही सीबीआई ने कुल 1698 ऐसे अभ्यर्थियों की सूची हाइकोर्ट में सौंपी है, जिनके ओएमआर शीट में फेरबदल किया गया है.
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सीबीआई ने बताया है कि इनमें से 43 ऐसे अभ्यर्थी भी हैं, जिन्हें परीक्षा में शून्य मिला था. मामले की सुनवाई के दौरान जब सीबीआई के अधिवक्ता ने कोर्ट में यह बताया तो न्यायाधीश भी आश्चर्यचकित हो गये. उन्होंने सीबीआई अधिवक्ता से कहा,‘‘ थोड़ा जोर-जोर से बताइये ताकि सारे लोग समझ सकें. जीरो नंबर मिला है फिर भी सरकारी नौकरी मिल गयी.’’ इसके बाद न्यायाधीश ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को यह बताने का आदेश दिया है कि सीबीआई की सूची में शामिल लोग किन स्कूलों में नौकरी कर रहे हैं, इसकी जानकारी दें. साथ ही उन्हें तत्काल प्रभाव से स्कूल में घुसने से रोकने का आदेश दिया. न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि पता नहीं इतने दिनों से इन लोगों ने स्कूल का क्या हाल कर रखा होगा.
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राज्य के महाधिवक्ता सौमेंद्रनाथ मुखर्जी को न्यायाधीश ने कहा कि शिक्षा विभाग को हिसाब लगाने को कहिए कि इन अभ्यर्थियों ( जो अभी नौकरी कर रहे हैं) को वेतन के तौर पर कितनी राशि दी गयी है? उसे वापस लिया जाये. न्यायाधीश के इस आदेश के बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता ने एक दिन का समय मांगा. उन्होंने कहा कि इतने लोगों की सूची है. इसे एक दिन में सूचीबद्ध कर पाना संभव नहीं है. हालांकि न्यायाधीश ने उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया और कहा कि आज के डिजिटल जमाने में एक क्लिक में सारे तथ्य सामने आ जाते हैं. मामले की द्वितीय चरण में सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने सीबीआई द्वारा दी गयी सूची को सभी डीआइ के पास भेजने के लिए कहा और सभी डीआई को अपने-अपने क्षेत्र में कार्यरत लोगों की तालिका बना कर पेश करने का निर्देश दिया. साथ ही हाइकोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग व पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा पर्षद से मामले में हलफनामा पेश करने के लिए कहा.
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