Bhadrapadaa Ambaji Fair 2023: लगने वाला है भाद्रपद अंबाजी मेला, प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर से जुड़ा है इसका इतिहास

Bhadrapadaa Ambaji Fair 2023: भाद्रपद अंबाजी मेला मां अंबा जो नारी शक्ति का प्रतिक है उन्का प्रतिनिधित्व करता है. इस महामेले में देश के तकरीबन 20 लाख श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए उमड़े पड़ेंगे. उल्लेखनीय है कि अंबाजी मंदिर में किसी देवी की मूर्ति पूजा नहीं परन्तु वीसायंत्र की पूजा की जाती है.

By Shaurya Punj | August 13, 2023 2:45 PM

Bhadrapadaa Ambaji Fair 2023: भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के बनासकांठा में लगने वाला भाद्रपद अंबाजी मेला एक बहुसांस्कृतिक मेला है जहां न केवल हिंदू बल्कि सभी धर्मों के लोग सक्रिय रुप भाह लेते हैं. यह मेला मां अंबा जो नारी शक्ति का प्रतिक है उन्का प्रतिनिधित्व करता है. इस महामेले में देश के तकरीबन 20 लाख श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए उमड़े पड़ेंगे. उल्लेखनीय है कि अंबाजी मंदिर में किसी देवी की मूर्ति पूजा नहीं परन्तु वीसायंत्र की पूजा की जाती है. आपको बता दें इस साल ये मेला 29 सितंबर को लगने जा रहा है.

इस मेले में आए लोग आसपास की जगह पर धूमने जाते है. तो कुछ सप्तशती के पाठ में शामिल हुआ करते है. मंदिर के आसपास दुकानों और स्टॉलों पर आपको बांस के लेख, ताबीज,मूर्तियां,चित्र,खिलौने, और खाने-पीने के सामान की बिक्री की जाती है. हर महीने की पूर्णिमा के दिन कोई ना कोई प्रोग्राम आयोजित किया जाता है. जैसे की गरबा ,भवाई लोकनाटक और लोकगीत भी गाए जाते हैं.

अंबाजी मेले और विश्व प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर का इतिहास

गुजरात का विश्व प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर देश के इक्यावन शक्तिपीठों में अग्रगण्य है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर में देवी सती का हृदय गिरा था. इसका उल्लेख ‘तंत्र-चूड़ामणि’ ग्रंथ में भी मिलता है. सामान्य मंदिरों के विपरीत इस मंदिर गर्भगृह में देवी की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है. इस मंदिर में देवी की प्रतिमा के स्थान पर हिन्दुओं के पवित्र श्रीयंत्र का पूजन होता है. इस यंत्र को भी श्रद्धालु प्रत्यक्ष तौर पर सीधी आंखों से नहीं देख सकते हैं. यहाँ रोपवे की सवारी, माताजी के झूले, गुफा और सूर्यास्त बिंदु का दृश्य बहुत सुन्दर आनंद दायक दृश्य है.

यहां इसका फोटो खींचना भी वर्जित है. यहां के पुजारी इस श्रीयंत्र का श्रृंगार इतना अद्भुत ढंग से करते हैं कि श्रद्धालुओं को प्रतीत होता है कि मां अंबाजी यहां साक्षात विराजमान हैं. इसके समीप ही पवित्र अखण्ड ज्योति जलती है, जिसके बारे में कहते हैं कि यह कभी नहीं बुझी.

अंबाजी मंदिर की पौराणिक कथा

ऐसा कहा जाता है की इस जगह भगवन श्रो कृष्ण का मुंडन संस्कार हुआ था. दूसरी और भगवान श्री राम शक्ति उपासना के लिए यहाँ ठहरे थे. और जब रावण ने सीता माता का हरण करलिया तब माता की खोज में अम्बाजी और आबू के जंगलो में आये थे. तब श्रृंगी ने उन्हें अम्बाजी की पूजा अर्चना करने को कहा गया था. देवी ने उन्हें एक अजय तीर दिया जिनसे भगवान राम ने रावणका वध किया था.महाभारत के लिए यह दंतकथा प्रचलित है. की पांडवों ने अपने वनवास के दौरान अंबाजी माता की पूजा की .

इसलिए माता ने भीमसेन को अजयमाला दी. जिनसे युद्ध में पांडवो को विजय दिलाने में बहुत मदद की थी .दूसरी और अर्जुन को विराट के राज्य में छिपते हुए अज्ञातवास के वर्ष में बृहनाल के रूप में भेस के लिए दिव्य वेशभूषा दी थी . श्री कृष्णा की पत्नी रुक्मणि ने अपने पति भगवान कृष्णा को पाने के लिए माँ अम्बा की पूजा की थी. पुरे ब्रह्माण्ड में देवी शक्ति सर्वोच्च ब्रह्मांडीय शक्ति का उपनाम कहाजाता है. माता की शक्ति बुराई पर हमेशा हावी हुआ करती है. ऐसा कहा जाता है. की यह मंदिर माता रानी के दिल का प्रतिक है.

Next Article

Exit mobile version