Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर जानें इस दिन की परंपरा और अहमियत

Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की रक्षा के लिए मुगलों और उनके सहयोगियों से 14 बार लड़े. वीर बहादुर और कवि गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मोत्सव हर साल पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2022 7:41 AM

Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जा रही है. इस दिन गुरुद्वारों को भव्य रूप से सजाया जाता है, जगह-जगह फेरियां निकाली जाती है, भजन,कीर्तन, अरदास, लंगर का विशेष आयोजन होते हैं.इस दिन गुरु के बलिदान और उनके वीरता को याद कर कई कार्यक्रम किए जाते हैं.

जानें गुरु गोबिंद सिंह के बारे में

गुरु गोबिंद सिंह जी बचपन से ही बहादुर योद्धा थे. उनके पिता और सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर को औरंगजेब ने शहीद किया था, जिसकी वजह से गुरु गोबिंद सिंह जी ने 09 वर्ष की आयु में पिता की गद्दी पर आसीन हो गए. वे सिखों के 10वें गुरु बने. उन्होंने धर्म रक्षा के लिए अपने परिवार को कुर्बान कर दिया. उनके दो बेटों को दुश्मनों ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था. उन्होंने ​खालसा पंथ की स्थापना की थी और खालसा वाणी दी थी.

गुरु गोबिंद सिंह जयंती का महत्व

गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की है. सिख धर्म के अनुयायी पर गुरु वाणी का विशेष प्रभाव पड़ा है. खासकर युवाआों के लिए गुरु गोबिंद सिंह की वाणी प्रेरणास्त्रोत हैं. गुरु जी कवि, लेखक, दार्शनिक और साहित्यकार थे. उन्होंने कई साहित्य की रचना की है. सन 1708 में गुरु जी की मृत्यु के पश्चात गुरु गोबिंद सिंह को गुरु घोषित किया गया.

कैसे मनाएं गुरु गोबिंद सिंह जयंती ?

भारत में यहां मनाए जाने वाले किसी भी अन्य त्योहार की तरह, कई व्यंजन जो इस अवसर के लिए अद्वितीय हैं जैसे इमली चावल पकवान जिसे पुलिगोर कहा जाता है, होलिगे – उगादि पचड़ी के साथ मीठी रोटी – मीठी और खट्टी चटनी तैयार की जाती है और उत्सव के दौरान परोसी जाती है. कविता सत्र आयोजित किए जाते हैं जिसमें स्वयं गुरु गोबिंद सिंह द्वारा लिखित कविता का पाठ किया जाता है. गुरुद्वारा किसी भी धर्म, जाति या पंथ की परवाह किए बिना इस शुभ अवसर पर गुरु गोबिंद सिंह को सम्मान देने वाले सभी लोगों को लंगर परोसते हैं, लेकिन इससे पहले सभी भक्त गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं.

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