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Guru Pradosh Vrat 2023: 1 जून को गुरु प्रदोष व्रत, जानें पूजा का महत्व, शुभ मुर्हूत और पूजा विधि

Guru Pradosh Vrat 2023: हिंदुओं में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है. भक्त इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं. लोग इस विशेष दिन पर बड़ी भक्ति और समर्पण के साथ व्रत रखते हैं और भगवान की पूजा करते हैं.

By Bimla Kumari | May 31, 2023 7:53 PM

Guru Pradosh Vrat 2023: हिंदुओं में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है. भक्त इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं. लोग इस विशेष दिन पर बड़ी भक्ति और समर्पण के साथ व्रत रखते हैं और भगवान की पूजा करते हैं. द्रिक पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान आता है. जून माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 जून 2023 को ज्येष्ठ माह में पड़ेगी और इस बार गुरु प्रदोष व्रत होगा क्योंकि यह गुरुवार को पड़ रहा है.

Guru Pradosh Vrat 2023: गुरु प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त और तिथि

  • त्रयोदशी तिथि प्रारंभ – 1 जून 2023 – दोपहर 01:39 बजे तक

  • त्रयोदशी तिथि समाप्त – 2 जून 2023 – दोपहर 12:48 बजे तक

  • पूजा मुहूर्त – 1 जून 2023 – 07:14 PM से 09:16 PM तक

Guru Pradosh Vrat 2023: गुरु प्रदोष व्रत का महत्व

  • गुरु प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. इस दिन भक्त शुद्ध मन से उपवास रखते हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो लोग पूरे दिन प्रदोष व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. पूजा हमेशा शाम के समय की जाती है.

  • हिंदू शास्त्रों के अनुसार, जो युवा अपने मनचाहे साथी की तलाश में हैं, उन्हें इस दिन उपवास रखना चाहिए और भगवान शिव और देवी पार्वती से आशीर्वाद लेना चाहिए. कुछ लोग भगवान नटराज की भी पूजा करते हैं, जो भगवान शिव का दूसरा रूप हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान नटराज सभी भ्रमों को दूर करने और जीवन में स्पष्टता लाने में मदद करते हैं.

  • महिला भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे देवी पार्वती की पूजा करें और देवी को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें और सभी सुख, समृद्धि और मनचाहा साथी पाने का आशीर्वाद लें.

Guru Pradosh Vrat 2023: पूजा विधान

लोग सुबह जल्दी उठते हैं और पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले स्नान करते हैं. भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति रखें, एक दीया जलाएं, तिलक लगाएं, देवी पार्वती को सिंदूर और मिठाई चढ़ाएं. शाम को गौधूलि के समय शिव चालीसा का पाठ करें और आरती करें. सभी अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद, भक्त अपना व्रत तोड़ सकते हैं और सात्विक भोजन कर सकते हैं.

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